Suicide Point: गांधी सागर डैम का महत्वपूर्ण प्वाइंट 

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Suicide Point: गांधी सागर डैम का महत्वपूर्ण प्वाइंट 

मंदसौर ज़िले में चंबल नदी पर बना विशाल जलाशय है .आजकल यहाँ मप्र पर्यटन का शानदार रिसोर्ट बन गया है जो पहले सिंचाई विभाग का विश्राम गृह हुआ करता था .इसी विश्राम गृह का क़िस्सा है .

एक दिन उज्जैन संभाग के आयुक्त महोदय पधारे .सिंचाई विभाग मुस्तैद था .कार्यपालन यंत्री एक महाराष्ट्रीयन सज्जन थे .गाँधी सागर की विशाल जल राशि देखकर आयुक्त महोदय मुग्ध हुए .अभियंताओं ने जल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने वाले टरबाइन और प्रक्रिया भी विस्तार से बताई .सुस्वादु रात्रि भोज से माहौल और दौरा सुखद बने हुए थे .अगले दिन सुबह सुबह उत्साहित कार्यपालन यंत्री इस विशाल जल राशि के किनारों की सुंदर जगहें दिखाने ले गये .गाँधी सागर पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है .यहाँ सघन वन में हिंगलाज गढ़ का प्राचीन दुर्ग है ,समीप ही ताखा जी नाम का पौराणिक स्थल व झरना है .भीम बैठका जैसी आदि मानव की रची कला कृतियों की प्राकृतिक कला गैलरी है जो कई किलो मीटर में विस्तारित है .

मेरा अनुविभाग गरोठ एक ओर धर्म राजेश्वर और पोला डूँगर के सनातनी व बौद्ध गुफाओं दूसरी ओर भानपुरा की छत्री ,हिंगलाज गढ़ और आदि मानव के रहवास स्थलों से समृद्ध था .

आयुक्त महोदय को यह सब दिखाने के बाद हमारे उत्साही ईई साब उन्हें बाँध के किनारे विशेष आग्रह करके ले गये .वहाँ कुछ ख़ास दिखा नहीं सो आयुक्त महोदय ने पूछा -यहाँ क्यों लाए यहाँ क्या है .ईई साब ने विनम्रतापूर्वक बताया -सर ये बहुत महत्वपूर्ण प्वाइंट है ?वह कैसे ?सर यह सुसाइड प्वाइंट है।लोग यहाँ से कूदकर गाँधी सागर में आत्म हत्या करते हैं .दक्षिण भारतीय आयुक्त को ई ई साब की हिन्दी शायद समझ नहीं आई तो उन्होंने ठीक से समझाने को कहा .हमारे महान ईई ने उन्हें ठीक से समझाना शुरू किया -सर मान लीजिये आपको आत्म हत्या करनी है तो आप वहाँ उस ऊँचाई से तेज दौड़कर यहाँ आयेंगे और इस प्वाइंट से छलाँग लगायेंगे तो सीधे डैम में जाकर गिरेंगे .उन्होंने बाक़ायदा हाथों के इशारे से पूरी प्रक्रिया बता दी .मैं ही नहीं अब आयुक्त भी हत प्रभ थे .उनकी हँसी छूट गई .हम लोग भी हँसी के रंग में डूब गए .हँसी के फ़व्वारे में माहौल फिर खुश गवार हो गया .आयुक्त महोदय के प्रस्थान के बाद मैंने ईई साब की क्लास ली -भाई ये क्या तरीक़ा था बताने का ?उन्होंने पूरी गंभीरता से कहा -मेरा फ़र्ज़ था उन्हें ठीक से बताने का ,क्या पता कभी उन्हें ज़रूरत पड़ जाये तो ?