ताशकंद- उज़्बेक राष्ट्रवाद का प्रतीक

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ताशकंद- उज़्बेक राष्ट्रवाद का प्रतीक

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यात्रा के अन्तिम दिन आज हमने फिर से ताशकंद शहर का भ्रमण किया। रूसी कब्जे के बाद, 1991 में उज्बेकिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। इसकी राजधानी ताशकंद इसके नए राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गई। लेनिन की मूर्ति को नष्ट करके एक नया तैमूर चौक बनाया गया। बाहरी दुनिया के लिये एक सबसे घातक और क्रूर विजेता माने जाने वाले तैमूर ने एक विशाल तिमुरिड साम्राज्य की स्थापना की थी। वह अपराजित कमांडर था और सर्वमान्य रूप से उसे सबसे महान सैन्य नेतृत्व कर्ता और रणनीतिकारों में से एक माना जाता है।मैंने और लक्ष्मी ने उनकी प्रतिमा के सामने फोटो खिंचवाई।

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समरकंद और बुखारा के विपरीत, ताशकंद में अधिक ऐतिहासिक स्मारक नहीं हैं। एक मात्र महत्व का हजरत इमाम उस्मान का स्मारक परिसर है। यहां उज्बेकिस्तान की सबसे पुरानी पांडुलिपि और प्रसिद्ध मुस्लिम विरासत- ओथमान (उस्मान) की पवित्र कुरान मुशाफ है, जिसे यूनेस्को से प्रामाणिकता का प्रमाण पत्र भी प्राप्त है। हमने मृगछाल पर लिखी हुई ये बहुत बड़ी कुरान देखी। सरकार की ओर से यहां एक विशाल इस्लामिक कल्चरल सेंटर बनाया जा रहा है।
भारत-पाक युद्ध के बाद जनवरी 1966 में लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद आए थे। उन्होंने ताशकंद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी वहीं मृत्यु हो गयी। हमने शास्त्री स्मारक का अवलोकन किया। यह आश्चर्यजनक है कि इस स्मारक की देखभाल ठीक नहीं है।

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ताशकंद 40 लाख लोगों का शहर है और चौड़ी और साफ़ सड़कों और सुन्दर भवनों के साथ फैला हुआ है। इसमें खूबसूरत कलात्मक मेट्रो स्टेशन हैं। हमने पुराने शहर के चारसू मार्केट का भ्रमण किया। बाजार अपने सामान के साथ-साथ मोलतोल के लिए भी मशहूर है। पुराना शहर भी बहुत साफ़ और सुव्यवस्थित है।

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एक व्यस्त यात्रा और भ्रमण- कार्यक्रम के बाद रात में हम लोगों ने भारत रवाना होने के लिये हवाई अड्डे की ओर प्रस्थान किया।

Tashkent- Symbol of Uzbek Nationalism.

On the last day of our journey, we again visited Tashkent city.

After Russian occupation, Uzbekistan became a free nation in 1991. Its capital Tashkent became a symbol of its new nationalism. A new Timur Square was built destroying Lenin’s statue. Timur, known to the outside world as one of the most deadly and brutal conquerors, founded the vast Timurid empire. He was undefeated commander and widely regarded as one of the greatest military leaders and tacticians. I and Laxmi got photographed in front of his statue.

Tashkent, unlike Samarkand and Bukhara, doesn’t have many historical monuments. The only monument of consequence is Ensemble of Hazret Imam. Here is the oldest manuscript of Uzbekistan and a famous Muslim heritage- Holy Quran Mushaf of Othman, which also has the certificate of authenticity from UNESCO. We saw this very big Quran written on dear skin. An Islamic Cultural Centre is being built here by the government.

Lal Bahadur Shastri went to Tashkent in January 1966 after Indo-Pak war. He signed Tashkent Declaration but unfortunately died there in somewhat mysterious circumstances. We visited Shastri Memorial, which is surprisingly not well maintained.

Tashkent is a city of 4 million people and is well spread with broad roads and well maintained buildings. It has beautiful artistic metro stations. We visited Charsu Market in old city. Market is famous for its goods as well as bargain. The old city is also very clean and well maintained.

After a hectic journey, we headed to the airport for India.