
Newborn का शव लेकर रोते हुए DM कार्यालय पहुंचा पिता Private hospital की लापरवाही से नवजात की मौत
Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में एक निजी अस्पताल की लापरवाही ने एक परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। 28 वर्षीय रूबी गुप्ता को 19 अगस्त को प्रसव पीड़ा हुई, जिसे पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजुआ और फिर जिला अस्पताल रेफर किया गया था। स्वजनों की सलाह पर उसने महेवागंज के गुलदार अस्पताल में रूबी को भर्ती कराया, जहां अस्पताल प्रशासन ने सामान्य डिलीवरी के 10 हजार और सर्जरी के लिए 12 हजार रुपए की मांग की। इलाज के लिए कुल 25 हजार रुपए जमा करने को कहा गया, लेकिन पिता विपिन गुप्ता के पास केवल 5 हजार रुपये थे, जो उन्होंने अस्पताल में जमा करा दिए और शेष अगले दिन देने की बात कही। विपिन ने आरोप लगाया कि तत्काल राशि जमा नहीं करवाने पर अस्पताल ने इलाज में देरी की, इलाज रोक दिया। इस लापरवाही के कारण नवजात बच्चे की मौत हो गई, जबकि पत्नी रूबी की भी हालत खराब है।
इस शर्मसार करने वाली घटना के बाद बेबस पिता विपिन गुप्ता अपने नवजात बच्चे के शव को झोले में डालकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। यहां रोते हुए विपिन में कलेक्टर को पूरा वाकया बताया और मदद की गुहार लगाई। उन्होंने कहा, “साहब, मेरे बच्चे को जिंदा कर दो, अस्पताल ने उसे मार दिया है।” पिता की व्यथा से प्रभावित होकर वहां मौजूद अधिकारी भी भावुक हो उठे। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से नवजात की मौत और मां रूबी की गंभीर हालत की खबर ने पूरे जिले में रोष उत्पन्न कर दिया।
इसी के बाद जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए गुलदार अस्पताल को सील कर दिया। प्रशासन ने अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों को जिले के महिला अस्पताल में स्थानांतरित किया और मामले की गहन जांच का आदेश दिया। अधिकारियों ने पीड़ित परिवार से जाकर मुलाकात की और हर संभव सहायता का भरोसा दिया। स्थानीय लोग और मानवाधिकार संगठन भी अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह घटना चिकित्सा व्यवस्था में पैसों के नाम पर हुई करतूत और मानवता की अनदेखी का जीता जागता उदाहरण है। नवजात और उसकी मां की जान गंवाने वाली यह घटना समाज में गहरी संवेदना और प्रशासनिक जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करती है।





