The Spirits of Promising : इन होनहारों के हौंसलों को नहीं तोड़ सकी शारीरिक कमजोरी!

इंदौर के मूक-बधिर बच्चों ने बोर्ड परीक्षाओं में अव्वल आकर नाम रोशन किया!

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The Spirits of Promising : इन होनहारों के हौंसलों को नहीं तोड़ सकी शारीरिक कमजोरी!

Indore : शारीरिक और मानसिक रूप से कुछ बच्चों ने अपनी मेहनत और लगन से 10वीं और 12वीं की परीक्षा में सफलता पाई है। इन सभी विद्यार्थियों ने एमपी बोर्ड की परीक्षा को न केवल पास किया, बल्कि अच्छे अंक लाकर साबित कर दिया कि वे किसी सामान्य परीक्षार्थी से कम नहीं हैं।

शहर के एक मूक-बधिर संगठन के इन बच्चों ने शानदार परीक्षा परिणाम पाकर अपने हौसले को आसमान पर पहुंचा दिया। इन विद्यार्थियों में 10वीं, 12वीं के अलावा 5वीं और 8वीं के भी हैं। कक्षा 12वीं के कामर्स ग्रुप में कृष्णा जायसवाल और अभिषेक राज ने विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। स्वागत बिछाड़िया ने आर्ट विषय में अच्छे अंक प्राप्त किए। कक्षा 10वीं में अनमोल गुप्ता ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।

पाठ्यक्रम की काउंसलिंग होगी
इस संगठन की डॉ उषा पंजाबी ने बताया कि कक्षा 5वीं एवं 8वीं बोर्ड का नतीजा शत प्रतिशत रहा है। स्कूलों में पढ़ाई करने के बावजूद विद्यार्थियों ने पांच-सात घंटे सेल्फ स्टडी की। किसी विषय में तकलीफ आने पर वे शिक्षकों से मार्गदर्शन भी लेते रहे। उन्होंने बताया कि 12वीं पास कर चुके विद्यार्थियों की अब स्नातक पाठ्यक्रम को लेकर काउंसलिंग करेंगे। उसके आधार पर वे पाठ्यक्रम में प्रवेश लेंगे। इधर, 10वीं पास करने वाले विद्यार्थियों को विषय की भी चयन करने में मदद करेंगे।

कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी ने मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं कक्षा की परीक्षा में इतिहास रचने वाली मूक, बधिर और दृष्टि दिव्यांग गुरदीप का हौसला बढ़ाया। इस बालिका ने कठोर परिश्रम और हौसले से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर साबित कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं। कलेक्टर ने इस बालिका गुरदीप को 10 हजार की प्रोत्साहन राशि दी। उन्होंने बालिका को कहा कि आगे की पढ़ाई में भी हरसंभव मदद दी जाएगी।

स्वागत बिछाड़िया प्रतिभा उल्लेखनीय
इस छात्र ने आर्ट में 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। स्वागत बिछाड़िया की आर्ट के क्षेत्र में प्रतिभा सराहनीय है। वे राज्य स्तर की प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुके हैं। अब वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहते हैं इसलिए उन्होंने आर्ट विषय को चुना। मूक व बधिर स्वागत का हौसला उनकी उम्र से भी बड़ा है।

अनमोल गुप्ता दूसरों के लिए तैयार
शारीरिक कमजोरी को भूलकर दूसरों के लिए हमेशा खड़े रहने वाले अनमोल गुप्ता ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वे आगे चलकर सीए बनना चाहते हैं और इसीलिए वह कामर्स विषय को चुनकर आगे की पढ़ाई करेंगे। अनमोल हर चीज को सीखने में आगे रहते हैं। वे सांकेतिक भाषा को बेहतर समझते हैं और उसी के जरिए तैयारी करते हैं।

अभिषेक राज बिहार से पढ़ने आए
पढाई के लिए बिहार से इंदौर आकर और परिवार से दूर रहकर अभिषेक राज ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा में विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। अभिषेक को बचपन से सुनने की समस्या है। लेकिन, उनमें पढ़ने का जुनून है, इसलिए परिवार ने उन्हें बिहार से इंदौर बेहतर शिक्षा के लिए भेजा। अभिषेक ने सांकेतिक भाषा के जरिए परीक्षा की तैयारी की और सफलता हासिल की। वे प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते हैं।

कृष्णा जायसवाल, जीना है देश व परिवार के लिए
स्कूल में अव्वल रहने वाले कृष्णा जायसवाल सुन नहीं सकते। इसलिए उन्होंने सांकेतिक भाषा की सहायता से 12वीं की पढ़ाई की। वे पढ़ने में बहुत होशियार हैं और प्रशासनिक सेवा में जाकर देश व परिवार का नाम रोशन करना चाहते हैं। वे कहते हैं मुझे तो देश व परिवार के लिए जीना है।

दिवी खरे को अंधेरा मिटाना है
मन की आंखों से पढ़कर इंदौर की बेटी दिवी खरे ने दसवीं में 83.9% अंक अर्जित किए। दिवी की आंखों में रोशनी नहीं है, लेकिन वे अपने जीवन के अंधकार को मिटाने के लिए काफी मेहनत कर रही हैं। उन्होंने राइटर की मदद से परीक्षा दी और सफलता प्राप्त की। दिवी बताती हैं कि वे आगे चलकर यूपीएससी की तैयारी करेंगी तथा प्रशासनिक सेवा में जाकर देश की सेवा करेंगी। दिवी के पिता एसके खरे बताते हैं कि जब वह करीब डेढ़ साल की उम्र में थी, तब एक बार उसे मस्तिष्क ज्वर हुआ था। उस तीव्र ज्वर का कुप्रभाव यह हुआ कि उसकी दृष्टि चली गई। वह चल भी नहीं पाती। उसकी मां स्मिता खरे विशेष ध्यान तो रखती ही हैं, पढ़ाती भी वही हैं।