काशी में विश्वनाथ, गंगा और मोदी हैं…

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काशी में विश्वनाथ, गंगा और मोदी हैं…

स्कन्दपुराण काशी की महिमा का गुण-गान करते हुए कहता है- भूमिष्ठापिन यात्र भूस्त्रिदिवतोऽप्युच्चैरध:स्थापियाया बद्धाभुविमुक्तिदास्युरमृतंयस्यांमृताजन्तव:,या नित्यंत्रिजगत्पवित्रतटिनीतीरेसुरै:सेव्यते सा काशी त्रिपुरारिराजनगरीपायादपायाज्जगत्।
जो भूतल पर होने पर भी पृथ्वी से संबद्ध नहीं है, जो जगत की सीमाओं से बंधी होने पर भी सभी का बन्धन काटने वाली (मोक्षदायिनी) है, जो महात्रिलोकपावनी गंगा के तट पर सुशोभित तथा देवताओं से सुसेवित है, त्रिपुरारि भगवान विश्वनाथ की राजधानी वह काशी संपूर्ण जगत् की रक्षा करे।
सनातन धर्म के ग्रंथों के अध्ययन से काशी का लोकोत्तर स्वरूप विदित होता है। कहा जाता है कि यह पुरी भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसी है। अत: प्रलय होने पर भी इसका नाश नहीं होता है। वरुणा और असि नामक नदियों के बीच पांच कोस में बसी होने के कारण इसे वाराणसी भी कहते हैं। काशी नाम का अर्थ भी यही है-जहां ब्रह्म प्रकाशित हो। भगवान शिव काशी को कभी नहीं छोडते। जहां देह त्यागने मात्र से प्राणी मुक्त हो जाय, वह अविमुक्त क्षेत्र यही है। सनातन धर्मावलंबियों का दृढ विश्वास है कि काशी में देहावसान के समय भगवान शंकर मरणोन्मुख प्राणी को तारकमन्त्र सुनाते हैं। इससे जीव को तत्वज्ञान हो जाता है और उसके सामने अपना ब्रह्मस्वरूप प्रकाशित हो जाता है।
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हां हम काशी यानि वाराणसी की ही बात कर रहे हैं। यहां गंगा किनारे चौरासी घाट‌ सबका मन मोह लेते हैं। सुबह और शाम की गंगा आरती देशी-विदेशी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। तो काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर आत्मा तृप्त हो जाती है। पर जो काशी में देखने को मिलता है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलता। गंगा के किनारे के घाट देह और आत्मा दोनों को संजीवनी देते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के घाट‌ के बगल में ही मणिकर्णिका घाट स्थित है। यहां सुबह से रात तक जलती चिंताओं को देखकर भी मन विचलित नहीं होता, बल्कि एक अलग तरह का सौंदर्य मन को ज्ञान की रोशनी से भर देता है। वैसे चिताओं को जलते तो हरिश्चंद्र घाट पर भी देखा जा सकता है। जो गंगा घाट और ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य के काशी स्थित श्री विद्या मठ से लगा हुआ है। पर काशी विश्वनाथ मंदिर से लगे मणिकर्णिका घाट की बात ही कुछ और है। लगता यही है कि मौत से भयाक्रांत होने की जरूरत कतई नहीं है। और ज्ञानी और अज्ञानी किसी को इसका शोक मनाने की जरूरत नहीं है। यह बात यहां तो सच‌ ही लगती है कि यहां मरने वाले को मोक्ष ही मिलता है। और बात जब ज्ञान की तो बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर में बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद औरंगजेब की दूषित मानसिकता की प्रतीक बनी अब खुद को कोसती नजर आती है। फिलहाल यहां पर कोर्ट के आदेश से पूजा और नमाज दोनों हो रही हैं। बाबा विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर के दर्शन कर हर श्रद्धालु यहां के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जरूर जताते हैं।
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और अंत में बस यही बात कि वाराणसी तीसरी बार भी नरेंद्र मोदी को सांसद बनाने के लिए तैयार है। वाराणसी से एक ही आवाज आ रही है कि दो सौ फीसदी जीत तय है मोदी की वाराणसी से।‌ यहां के मतदाता मोदी और बुलडोजर बाबा दोनों के प्रति स्नेह से सराबोर हैं। शांति, सुरक्षा, विकास और विश्वास सब कुछ दिया है मोदी और योगी ने। 2014 में नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 371784 मतों से हराया था। 2019 में नरेंद्र मोदी ने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 479505 मतों से हराया था। तो इस बार वाराणसी की आवाज यही है कि मोदी पिछले दोनों बार से ज्यादा अंतर से जीतेंगे।
खैर वाराणसी आकर यह खुली आंखों से देखा जा सकता है कि विश्वनाथ, गंगा और मोदी यहां दिलों में बसे हैं। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद अब धार्मिक पर्यटक दोनों जगह जाकर भगवान के दर्शन करते हैं तो मोदी के प्रति भी प्रेम से भर जाते हैं। यही कहा जा सकता है कि अगर किसी के मन में मोदी को लेकर कोई संशय‌ है तो वाराणसी आ जाए, उसकी आंखें खुद-ब-खुद खुल जाएंगी…।