भाजपा का यह स्वर्णिम दौर है… 

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भाजपा का यह स्वर्णिम दौर है… 

भारतीय जनता पार्टी 6 अप्रैल 2024 को अपना 45वां स्थापना दिवस समारोह मना रही है। अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी सहित जनसंघ के नेताओं ने 6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी के नाम से नए राजनैतिक दल की स्थापना की थी। इससे पहले जनसंघ के नाम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा में रचा बसा राजनैतिक दल आजादी के बाद से राष्ट्रहित के मुद्दों पर कांग्रेस को घेरने का काम कर रहा था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में थे। वही पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिनकी अंत्योदय की विचारधारा पर आज भाजपा का कमल खिल रहा है। और वही डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जो नेहरू सरकार के उद्योग मंत्री का पद छोड़कर कश्मीर में शहीद हुए थे। और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वास्तविक रूप से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी है। जनसंघ की विचारधारा पर ही समान नागरिक संहिता की शुरुआत मोदी सरकार के नेतृत्व में होने को है। देवभूमि उत्तराखंड में इसने दस्तक दे दी है। तो बड़ी चुनौती गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की है। खैर भाजपा का स्वर्णिम दौर है। देश में पिछले दस साल से पूर्ण बहुमत की भाजपा की सरकार है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खुलकर फैसले ले रही है। तो जल, थल और नभ में उपलब्धियों की पताका फहरा रही है। हालांकि विपक्ष की नजरों में यह सब छलावा है। पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और भगवान राम की बाल स्वरूप में प्राण प्रतिष्ठा कर मोदी सरकार ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा के स्वर्णिम दौर में पार्टी की विचारधारा से समझौते का कोई सवाल ही नहीं है। और स्वर्णिम दौर इसे ही कहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले बहस इस बात पर हो रही है कि भाजपा चार सौ पार हो रही है या आलोचना की नजर से यह कि चार सौ पार हुई तो ईवीएम का कमाल है। खैर देश के साथ मध्यप्रदेश में भी भाजपा स्वर्णिम दौर से गुजर रही है। इक्कीसवीं सदी में 2003 के बाद भाजपा सरकार में है। 2018 में कांग्रेस की 15 माह की सरकार ने अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज कराई, लेकिन यह फीकी ही रही। और 2020 मार्च में फिर भाजपा सरकार में आ गई।जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक तथा झंडा भगवा रंग से भाजपा के कमल चुनाव चिन्ह तक का यह सफर संघर्षपूर्ण रहा। तो कमल के साथ स्वर्णिम दौर तक पहुंचना भाजपा के लाखों कार्यकर्ताओं का भागीरथी प्रयास ही माना जाएगा। 1989 में दो सांसद से लेकर आज चार सौ पार की बात खून पसीना एक होने की सौगात ही है।
इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल की घोषणा एवं आपातकाल के विरोध में सयुंक्त मोर्चा खड़ा करने के उद्देश्य से तत्कालीन जनसंघ के नेतृत्वकर्ताओं ने 1977 में जनसंघ का विलय जनता पार्टी में किया था। उस दौर में ऐसे कठोर फैसले लेना भी कोई सरल कार्य नहीं था। ऐसे ही फैसलों का परिणाम देश के हर कोने में आज भाजपा की सशक्त उपस्थिति है। आज कश्मीर से कन्याकुमारी और अटक से कटक तक भाजपा के बिना राजनीति की चर्चा नहीं की जा सकती। अटल बिहारी वाजपेयी ने एक दूरदर्शी सोच से भाजपा कार्यकर्ताओं में उम्मीद का सागर जगाया था। वह सोच थी कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा। उन्होंने अपने जीवनकाल में ही इन पंक्तियों को सत्य‌ साबित कर दिया था। गैर कांग्रेसी और एनडीए गठबंधन में भाजपा के पहले प्रधानमंत्री चेहरे के रूप में अटल जी ने देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी ने कमल को शिखर पर पहुंचाकर स्वर्णिम दौर का कीर्तिमान रच दिया है। आलोचना और प्रशंसा से परे मोदी चरैवेति चरैवेति संग भाजपा को इतिहास के पन्नों में विशिष्ट स्थान पर अंकित करा रहे हैं। राम मंदिर के निर्माण का सपना वास्तविकता बना है।  एक देश में “दो विधान दो प्रधान दो निशान” का अंत अनुच्छेद 370 को हटाकर कर दिया है। तीन तलाक कानून, नागरिकता संशोधन कानून, आपराधिक न्यायिक कानूनों में बदलाव जैसे फैसलों पर अमल किया है। आलोचना अपना आकलन करती रहेगी, पर उपलब्धियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं को यह अहसास कराया है कि स्वर्णिम दौर का यह काल बहुत ही खास है। इसे बनाए रखने के जतन में कोई कोताही नहीं करना चाहिए…।