सराहनीय है विष्णु का यह सांगठनिक धर्म…

सराहनीय है विष्णु का यह सांगठनिक धर्म…

बुंदेलखंड के कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय जितेंद्र सिंह बुंदेला की चौथी पुण्यतिथि और मूर्ति अनावरण के अवसर पर छतरपुर पहुंचकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने बुंदेला के पार्टी के लिए समर्पण के प्रति श्रद्धावनत होकर कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण संदेश दिया है। निश्चित तौर से संगठन के मुखिया होने के नाते विष्णु दत्त शर्मा का यह सराहनीय कार्य है, तो पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते एक वरिष्ठ समर्पित कार्यकर्ता के पार्टी के प्रति योगदान का‌ स्मरण कर दूसरे सभी कार्यकर्ताओं में भाजपा की रीति-नीति पर गर्व करने का भाव पैदा करना भी है। छतरपुर में पूर्व सांसद-विधायक स्व. जितेद्रसिंह की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए विष्णु दत्त शर्मा पहुंचे और कार्यकर्ताओं के बीच भरपूर समय मौजूद रहे। यह संदेश भी दिया कि स्व. जितेंद्रसिंह जी के कामों को आगे बढ़ाना हम सब की जिम्मेदारी है। उस दौर में विष्णु दत्त शर्मा का यह कार्य ज्यादा सराहनीय है, जब यह भाव आम कार्यकर्ता के मन में घर करता जा रहा है कि किसी नेता की पूछपरख तब तक ही है जब तक कि वह पद पर है।
जितेंद्र सिंह बुंदेला का जन्म सतना जिले में 22 सितंबर 1958 को हुआ था। जितेंद्र सिंह बुंदेला का राजनैतिक सफर पंच से शुरू हुआ और पार्टी में जब भी जो जिम्मेदारी मिली, उसे उन्होंने पूरे मन से निभाया। राजनीति में वर्तमान में निजी हितों के अनुसार दलों को बदलने की जो परिपाटी बन गई है, जितेंद्र सिंह बुंदेला ऐसे विचारों से कोसों दूर थे। उनका राजनैतिक सफर वर्ष 1979-1980 से शुरू हुआ। तब वह महाराजा कॉलेज छतरपुर के अध्यक्ष बने। 1984-1989 निर्विरोध पंच ग्राम पंचायत बगौता छतरपुर बने। 1986-1991 अध्यक्ष कृषि उपज मंडी समिति छतरपुर रहे। 1998-2004 जिलाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी छतरपुर रहे। 2003-2008 में विधानसभा क्षेत्र बिजावर से विधायक बने। इस दौरान 2004-2008 डायरेक्टर मंडी बोर्ड भोपाल रहे। वह राज्य मुख्य आयुक्त भारत स्काउट गाईड मध्यप्रदेश और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारत स्काउट गाईड जैसे पदों पर भी रहे। वहीं 2017 से उनके निधन तक वह प्रदेश संयोजक, प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना प्रकोष्ठ मध्यप्रदेश भोपाल और छतरपुर के भाजपा जिला अध्यक्ष के पद पर थे। यानि कि पार्टी ने टिकट दिया तो खुशी-खुशी पार्टी लाइन पर काम किया और नहीं दिया तब भी बगावत जैसे भाव को दिल में पनपने नहीं दिया। वह मुझसे भी मित्रवत रहे और जब मिले तब गले लग गए। जब भी परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं रहीं, तब भी सहज-सरल भाव से यही कहा कि पार्टी उचित समय पर उचित विचार करेगी। कद के हिसाब से यही सहजता और पार्टी के प्रति समर्पण स्व. जितेंद्र सिंह बुंदेला के प्रति अनुकरण का भाव पैदा करती थी और करती रहेगी। 3 फरवरी 2019 को महज 60 वर्ष की आयु में जब उनके निधन की सूचना आई, तब उन्हें जानने वाला हर व्यक्ति शोकमय था। और यही व्यक्ति की पूंजी होती है, पद, पैसा और रुतबा सब पड़ा रह जाता है और व्यक्ति सब कुछ छोड़कर खाली हाथ उड़ जाता है…पर निधन की सूचना हर जानने वाले को शोकमय कर दे, यह पूंजी बिरले ही संग्रहित कर इस दुनिया से जा पाते हैं। स्व. जितेंद्र सिंह बुंदेला बुंदेलखंड के राजनैतिक परिदृश्य की ऐसी ही शख्सियत थे। उनके सम्मान में लिखी गईं यह पंक्तियां उनके व्यक्तित्व को ही चरितार्थ करती हैं कि ” भले ही आप इस दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन आपके विचार आज भी हम सबके जेहन में जिंदा हैं दाऊ साहब‌”।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने उन्हें याद करते हुए यही भाव व्यक्त किए कि यह कार्यक्रम एक ऐसे कार्यकर्ता की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया है, जिन्होंने अपनी मेहनत से, अपने खून-पसीने से छतरपुर में पार्टी संगठन को सींचा और संगठन के काम को खड़ा किया। मैं उन्हें अपनी ओर से तो श्रद़धासुमन अर्पित करता ही हूं, सभी को आश्वस्त भी करना चाहता हूं कि इस क्षेत्र में उनके किए गए कामों को आगे बढ़ाना सिर्फ उनके परिवार की नहीं, बल्कि हम सब कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है और हम उसे पूरा करने का हरसंभव प्रयास करेंगे। स्व. जितेंद्रसिंह बुंदेला का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि मैं विद्यार्थी परिषद के समय उनके संपर्क में रहा। बाद में जब पार्टी ने मुझे प्रदेश महामंत्री बनाया, तो उनके साथ काम करने का अवसर भी मिला। उस समय बुंदेला जी प्रधानमंत्री जनसेवा प्रकोष्ठ का काम देखते थे। इसके बाद जब मुझे इस लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया, तब मैं उनके घर जाकर उनसे मिला। बुंदेला जी किसी भी भूमिका में रहे हों, लेकिन उनके मन में हमेशा कार्यकर्ता भाव मौजूद रहता था और उसी भाव के साथ उन्होंने पार्टी का काम खड़ा करने में स्वयं को झोंक दिया था। भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा कार्यकर्ता आधारित दल है। पार्टी का हर कार्यकर्ता यह जानता है कि यहां व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ता, बल्कि हमारा विचार और पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल ही चुनाव लड़ता है। स्व. बुंदेला जैसे कार्यकर्ता भाव के साथ काम करने वाले लोगों के काम को ही पार्टी संगठन याद रखता है। उनके जैसे कार्यकर्ताओं के दम पर ही भारतीय जनता पार्टी आज दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है और अन्य दलों से अलग अपनी पहचान रखता है। स्व. बुंदेला जी जैसे कार्यकर्ता के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यही होगी कि प्रत्येक कार्यकर्ता अपने आपको पार्टी संगठन, उसके उद्देश्यों और विचार के साथ प्रतिबद्ध रखे। विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि राजनीति और चुनाव एक दूसरे के पूरक हैं। यहां के कार्यकर्ताओं ने आमजन के साथ परिवार भाव के साथ जो काम किया है,  यही परिवारभाव हमें जीत की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि स्व. बुंदेला जी की पुण्यतिथि पर हमें यह संकल्प लेकर जाना है कि हम संगठन में उनके काम को आगे बढ़ाते हुए 2023 और 2024 के चुनावों में जीत का इतिहास बनाएंगे।
निश्चित तौर से संगठन के मुखिया होने के नाते विष्णु का यह कार्य सराहनीय है। ऐसे कार्यकर्ताओं का स्मरण पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा और उत्साह से भर देता है। इससे पार्टी की विशिष्ट छवि को बरकरार रखने के लिए कार्यकर्ता प्राणप्रण से काम में जुटे रहते हैं। प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा स्व. जितेंद्र सिंह बुंदेला जैसे कार्यकर्ताओं को उनकी कर्मभूमि में जाकर स्मरण करना उनके संगठन कौशल का परिचायक है। पार्टी कार्यकर्ता के नाते यह व्यक्तिगत धर्म भी बनता है और मुखिया होने के नाते सांगठनिक धर्म भी है…और अच्छी बात यह कि वह सभी धर्म पर खरे उतर रहे हैं।
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khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।