शिवराज के यही अंदाज उन्हें खास बनाते हैं…

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शिवराज के यही अंदाज उन्हें खास बनाते हैं…

कौशल किशोर चतुर्वेदी
राजनीति में लोकप्रियता के अपने-अपने अलग-अलग अंदाज हैं। पर कुछ नेताओं के अंदाज उन्हें खास बनाते हैं। इनमें ही एक नाम है शिवराज। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम देश के गिने-चुने उन राजनेताओं में शुमार है, जिन्हें प्रथम पंक्ति में स्थान प्राप्त है। भाजपा के सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने का रिकॉर्ड उनके नाम पर है। तो मध्यप्रदेश में सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी उनके नाम पर है। केंद्रीय कृषि मंत्री विगत 3 वर्ष से प्रतिदिन पौधारोपण कर रहे है। यह बात अपनी जगह ठीक है। जब मुख्यमंत्री पद से हटे तो उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से श्यामला हिल्स पर उनके द्वारा विकसित वन स्थली पर पौधारोपण करने की अनुमति भी मांग ली। खैर यह बात और है। पर फिलहाल उनके छोटे बेटे की शादी चर्चा में रही। विशिष्ट मेहमानों ने बेटे-बहू को आशीर्वाद दिया। पर इन सबसे अधिक चर्चा शिवराज के उस खास अंदाज की रही, जब बेटे-बहू कुणाल-रिद्धि को आठवां वचन दिला दिया। यह कार्य शिवराज जैसा पिता ही कर सकता है। और इसीलिए शिवराज का राजनीति और जन-जन के मन में अलग स्थान है। उनकी सहजता, सरलता, विनम्रता जनता जानती है तो यह भी छिपा नहीं है कि उनके साथ कार्य करने वाले राजनेता उनकी क्लिष्टता से भी खूब परिचित होंगे।
खैर अभी हम बात कर रहे हैं शिवराज के उस खास अंदाज की, जिसमें उन्होंने छोटे बेटे कुणाल के विवाह अवसर पर कुणाल और रिद्धि को आठवां वचन दिलाया कि प्रतिवर्ष विवाह की वर्षगांठ पर पौधारोपण करोगे, प्रकृति की सेवा करेंगे और अपना जीवन परोपकार के कार्यों एवं लोगों की सेवा में लगाएंगे। शिवराज ने बताया कि 14 फरवरी 2025 को कुणाल और रिद्धि ने सात वचनों के साथ आठवां वचन पौधरोपण कर प्रकृति की सेवा के लिए लिया। यह वचन न केवल उनके प्रेम और संकल्प का प्रतीक है, बल्कि हमारी धरती मां के प्रति जिम्मेदारी और देखभाल करने का संदेश भी है। दोनों बच्चे सदैव प्रसन्न रहें, हमारी मां समान प्रकृति सुरक्षित रहे; यही कामना है।
तो पहले के सात वचनों के बारे में भी उन्होंने ज्ञानवर्धन किया कि सनातन परंपरा में सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विवाह, दो आत्माओं का पवित्र मिलन है। यह एक सामाजिक बंधन के साथ साथ जीवन के चार प्रमुख पुरूषार्थों की पूर्ति का मार्ग भी है। आज मेरे बेटे कुणाल और बेटी रिद्धि ने विधिवत् वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया, अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरों के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने का वचन लिया। इन सात फेरों का हर कदम प्रेम, विश्वास, सम्मान और समर्पण की अटूट डोर में बंधा है। दोनों ने एक साथ मिलकर चलने, ऐश्वर्य प्राप्त करने, सदा पुरुषार्थी होने के लिए एक-दूसरे को सात वचन किए। पहला वचन हर धार्मिक कार्य में सहभागी होने के लिए, दूसरा वचन अभिभावकों का सदैव सम्मान करने के लिए, तीसरा वचन तीनों अवस्थाओं ( युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था ) में साथ देने के लिए, चौथा वचन कुटुंब पालन के लिए, पांचवां वचन धन के व्यय में आपसी सहमति हेतु, छठवां वचन सदा सम्मान के लिए और सातवां वचन प्रत्येक स्त्री में माता का रूप देखने के लिए।
और आठवां वचन दिलाने के साथ शिवराज ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं, कि कुणाल को जीवन के इस नए अध्याय में प्रवेश करते देखना मेरे और साधना के लिए बेहद भावुक और आनंद से भरा क्षण है। यह विवाह दो दिलों के मिलन के साथ दो परिवारों के बीच खुशियों और आत्मीयता का एक अनुपम प्रयाग भी है।मेरी ओर से कुणाल और रिद्धि को इस मंगलमय यात्रा की अनंत शुभकामनाएं और आशीर्वाद। उनका जीवन उद्देश्यपूर्ण हो, प्रेम, विश्वास, आपसी समझ और खुशियों से भरा रहे। ईश्वर से प्रार्थना है कि ये नया अध्याय उनके जीवन में सुख, समृद्धि और आनंद का प्रतीक बने।
तो है न खास बात। बहनों के भैया, बेटे-बेटियों के मामा और मध्यप्रदेश के जन-जन के ह्रदय में अपना विशिष्ट स्थान रखने वाले शिवराज सिंह चौहान का अंदाज राजनीति में पदार्पण करते हुए सबसे अलग रहा है। चाहे सांसद रहते हुए कन्याओं के विवाह की शुरुआत करने की बात हो जो बाद में मुख्यमंत्री बनने पर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना बनी हो। चाहे बेटे-बेटियों के प्रति सामाजिक दायित्व के निर्वहन को प्रदर्शित करती दूसरी कई योजनाएं रही हों। चाहे लाड़ली बहना योजना की बात हो। पर अब जब बेटे-बहू को आठवां वचन दिलाकर धरती मां के प्रति जिम्मेदारी और देखभाल करने का संदेश भी दे दिया और प्रकृति के प्रति दायित्व निर्वहन का अटूट संकल्प भी दिला दिया। यह कार्य शिवराज जैसा बिरला राजनेता ही कर सकता है।शिवराज के यही अंदाज उन्हें राजनीति, समाज और जन-जन में खास बनाते हैं…।