आज का विचार :अगर ज़िंदगी में कुछ करना है तो एक निश्चय कर लो—–
बचपन में अक्सर माता पिता बच्चो को यह प्रेरक कथा सुनाते है .और कहते है कि अभी अपनी पढाई पर ध्यान दो .एकही लक्ष्य लेकर चलो सफल होने के लिए .बच्चा यह सोचता है कि फिर आखिर मैं बाकी कब करूँगा .माता पिता के अनुसार चलूं या नहीं ?तब फिर उन्हें यह कहानी सुनाई जाती है –यह जीवन के लक्ष्य की बात करती है आप पढ़िए इस आज के प्रेरक प्रसंग को क्या है इस एक निश्चय-एक अमल कहानी में ?
एक लड़के ने एक दिन बहुत धनी आदमी को देखा। उस धनी आदमी का ठाठ-बाठ देखकर लड़के के दिमाग में आया कि वाह! ज़िंदगी को तो ऐसी और फिर उसने सोच लिया कि अब उसे भी धनवान बनना है।
उसने कई दिनों तक इसके बारे में सोचा और फिर एक काम भी शुरू कर दी। कई दिन तक वह कमाई में लगा रहा और कुछ पैसे भी कमा लिए। चूंकि वो उतना नहीं कमा पा रहा था जिससे कि वो धनवान बन सके इसीलिए अब उसका धैर्य जैसे धीरे-धीरे खत्म हो लगा।
इसी बीच उसकी भेंट एक विद्वान से हुई। और वो उस विद्वान से इतना ज्यादा प्रभावित हुआ कि अब उसने विद्वान बनने का निश्चय किया और दूसरे ही दिन से कमाई-धमाई छोड़कर पढ़ने में लग गया। अब जैसे कि वो समझ चुका था कि पैसा-वैसा सब मोह-माया है ज्ञान अर्जित करना सबसे बड़ी बात है। ज्ञान के आगे तो पैसा भी फेल है।
उसने बड़े ज़ोर-शोर से पढ़ाई शुरू की कुछ सालों तक तो पढ़ाई निरंतर करता रहा लेकिन फिर जैसे उसका मन पढ़ाई में थोड़ा कम लगने लगा। धीरे-धीरे वो संगीत की तरफ आकर्षित हुआ, संगीत सुनकर वो अपनी ही धुन में खो जाया करता था। धीरे-धीरे उसे एहसास होने लगा कि वो संगीत को कितना समझता है!, शायद वो संगीत के लिए ही बना है।
संयोग से उसकी भेंट एक संगीतज्ञ से हुई और उस दिन उस संगीतज्ञ से बातचीत के बाद उसने फैसला कर लिया अब वह संगीत सीखेगा। अत: उस दिन से पढ़ाई बंद कर दी और संगीत सीखने लगा।
कुछ सालों बाद संगीत से भी उसका मन ऊब गया और उसने एक नेता बनने का निश्चय किया। उसने सोच लिया कि इस बार कोई गलती नहीं करनी है, नेता बनना है तो बनना है।
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काफी उम्र बीत गई, न वह धनी हो सका न विद्वान। न संगीत सीख पाया न नेता बन सका। तब उसे बड़ा दुःख हुआ। एक दिन उसकी एक महात्मा से भेंट हुई।
उसने अपने दुःख का कारण बताया। महात्मा मुस्कुरा कर बोले–“’बेटा! दुनिया बड़ी चिकनी है। जहाँ जाओगे कोई न कोई आकर्षण दिखाई देगा। तुम उसके पीछे भागोगे फिर से तुम्हें कुछ और आकर्षित करे
अगर ज़िंदगी में वाकई कुछ करना है तो एक निश्चय कर लो और फिर जीते-जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हारी उन्नति अवश्य हो जाएगी। बार-बार रुचि बदलते रहने से कभी भी उन्नति न कर पाओगे।”! युवक को समझ आ गया था।।
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