Narmada Jyanti: आज नर्मदा जयंती है…नर्मदा के बारे में बात करते हैं…

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Narmada Jyanti: आज नर्मदा जयंती है…नर्मदा के बारे में बात करते हैं…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

प्रत्येक वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती होती है। साल 2025 में 4 फरवरी को यह पावन दिन है। भारत में सात धार्मिक नदियों की मान्यता हैं, जिन्हें पवित्र और पूजनीय नदियों के रूप माना जाता है। उन्हीं में से एक नर्मदा नदी है। नर्मदा जयंती पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा समेत अन्य पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं और मां नर्मदा की पूजा भी करते हैं। धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां नर्मदा का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन नर्मदा जयंती मनाई जाती है। तो आइए आज मां नर्मदा के बारे में जानते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति के समस्त पापों से छुटकारा मिलता हैं और शारीरिक-मानसिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है और आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि मां नर्मदा की उपासना करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि मिलता है। नर्मदा जयंती के इस शुभ अवसर पर मध्य प्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा नदी के तट पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। तो नर्मदा किनारे सभी स्थानों पर मेला लगते हैं। नर्मदा नदी जिसे स्थानीय रूप से कही-कही रेवा नदी भी कहा जाता है, भारत की 5वीं व पश्चिम-दिशा में बहने वाली सबसे लम्बी नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य की भी सबसे बड़ी नदी है। नर्मदा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में बहती है। इसे अपने जीवनदायी महत्व के लिए “मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनरेखा” भी कहा जाता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक पठार में उत्पन्न होती है। फिर 1,312 किमी पश्चिम की ओर बहकर यह भरूच से 30 किमी पश्चिम में खम्भात की खाड़ी में बह जाती है, जो अरब सागर की एक खाड़ी है। कुछ स्रोतों में इसे उत्तर भारत और दक्षिण भारत की पारम्परिक विभाजक माना जाता है।प्रायद्वीप भारत में केवल नर्मदा और ताप्ती नदी ही दो मुख्य नदियाँ हैं जो पूर्व से पश्चिम बहती हैं। नर्मदा विंध्य पर्वतमाला और सतपुड़ा पर्वतमाला द्वारा सीमित एक रिफ्ट घाटी में बहती है और अन्य ऐसी नदियों की भांति ही एक ज्वारनदीमुख में सागर में बह जाती है। ताप्ती नदी, मही नदी और छोटा नागपुर पठार में बहने वाली दामोदर नदी भी रिफ्ट घाटियों में बहती है, लेकिन वे अन्य पर्वतीय श्रेणियों के बीच मार्ग बनाती हैं। नर्मदा नदी के कुल मार्ग का 1,077 किमी भाग मध्य प्रदेश में, 74 किमी महाराष्ट्र में, 39 किमी महाराष्ट्र-गुजरात की राज्य सीमा पर, और 161 किमी गुजरात में है।

नर्मदा, समूचे विश्व में दिव्य व रहस्यमयी नदी है,इसकी महिमा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में श्री विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने स्कन्द पुराण के रेवाखंड में किया है। इस नदी का प्राकट्य ही, विष्णु द्वारा अवतारों में किए राक्षस-वध के प्रायश्चित के लिए ही प्रभु शिव द्वारा अमरकण्टक के मैकल पर्वत पर कृपा सागर भगवान शंकर द्वारा 12 वर्ष की दिव्य कन्या के रूप में किया गया। महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में 10 हजार दिव्य वर्षों तक तपस्या करके प्रभु शिव से निम्न ऐसे वरदान प्राप्त किये जो कि अन्य किसी नदी और तीर्थ के पास नहीं हैं।

प्रलय में भी मेरा नाश न हो। मैं विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी प्रसिद्ध होऊँ, यह अवधि अब समाप्त हो चुकी है। मेरा हर पाषाण (नर्मदेश्वर) शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजित हो। विश्व में हर शिव-मंदिर में इसी दिव्य नदी के नर्मदेश्वर शिवलिंग विराजमान है। कई लोग जो इस रहस्य को नहीं जानते वे दूसरे पाषाण से निर्मित शिवलिंग स्थापित करते हैं। ऐसे शिवलिंग भी स्थापित किये जा सकते हैं परन्तु उनकी प्राण-प्रतिष्ठा अनिवार्य है। जबकि श्री नर्मदेश्वर शिवलिंग बिना प्राण के पूजित है। मेरे (नर्मदा) के तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें। सभी देवता, ऋषि मुनि, गणेश, कार्तिकेय, राम, लक्ष्मण, हनुमान आदि ने नर्मदा तट पर ही तपस्या करके सिद्धियाँ प्राप्त की। दिव्य नदी नर्मदा के दक्षिण तट पर सूर्य द्वारा तपस्या करके आदित्येश्वर तीर्थ स्थापित है। इस तीर्थ पर अकाल पड़ने पर ऋषियों द्वारा तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर दिव्य नदी नर्मदा 12 वर्ष की कन्या के रूप में प्रकट हो गई तब ऋषियों ने नर्मदा की स्तुति की। तब नर्मदा ऋषियों से बोली कि मेरे (नर्मदा के) तट पर देहधारी सद्गुरू से दीक्षा लेकर तपस्या करने पर ही प्रभु शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।

तो मां नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवनरेखा हैं। आज नर्मदा जयंती है। और नर्मदा किनारे सभी जगह श्रद्धालु डुबकी लगाकर पुण्य लाभ लेते हैं। मां नर्मदा सभी के कष्ट दूर करें, यही कामना है…।