आज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मदिन रामनवमी है। देश की अयोध्या के साथ मध्यप्रदेश की अयोध्या “ओरछा” और वनवासी राम की आश्रय स्थली “चित्रकूट” में रामनवमी बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी। राम को दैत्यों-दुर्जनों के संहारक और संतों-सज्जनों के पालक के रूप में पूजा जाता है। मर्यादा जिनका आभूषण है, ऐसे राम की बराबरी कर पाना किसी मानव के लिए कदापि संभव नहीं है। यहां तक कि सोलह कलाओं के स्वामी योगेश्वर श्रीकृष्ण भी मानव रूप में राम के आसपास नहीं ठहरते।
राम जहां जीवन संघर्ष की पराकाष्ठा का पर्याय हैं, तो जन-जन में इस सत्य को प्रतिस्थापित करने का सेतु भी हैं कि असत्य कितना भी अट्ठहास कर ले, कितना भी अहंकारी बन ले और कितना भी शक्तिशाली और समृद्धशाली दिखने लगे लेकिन वह अपने जीवन में सब कुछ नाश होता हुआ देखने को मजबूर होता है। और तब वह दुनिया का सबसे लाचार और दीनहीन व्यक्ति होता है। पर बिडंबना यही है कि ऐसे दानवों की बुद्धि उनके दुर्गुण और अहंकार ही हर लेते हैं, जिससे असीम कष्टों को भुगतते हुए भी वह सत्य को नहीं देख पाते। ऐसे दानव अंततः दुनिया में सिर्फ कलंक और अपयश के भागीदार ही बनते हैं। और जब उनकी आंखें खुलती हैं, तब तक उनकी आंखें सदा-सदा के लिए बंद हो रही होती हैं और जिंदगी की बाजी उनके हाथ से निकल चुकी होती है।
हम बात कर रहे हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम की। जिन्होंने अपने जीवन के हर पल को मर्यादा से बांधकर हर क्षण आदर्श का प्रतिमान स्थापित किया। यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि भगवान राम यहां राजा के रूप में ओरछा में विराजे हैं, तो वनवासी राम के रूप में चित्रकूट में उन्होंने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ जीवन का सबसे कठिन समय व्यतीत किया था। मध्यप्रदेश सरकार “रामवन गमन पथ” के रूप में धार्मिक पर्यटन क्षेत्र का निर्माण कर रही है। रामनवमी का पर्व इन दोनों नगरी ओरछा और चित्रकूट में भव्य तरीके से मनाया जा रहा है।
पर रामनवमी के पर्व पर वास्तव में राम को जीने की जरूरत है। खुद के अंदर महसूस करने की जरूरत है। ताकि राजा राम और वनवासी राम में छिपा जीवन का दर्शन हमें सच, त्याग, नैतिकता, शुचिता, तप, चरित्र, सज्जनता, विनम्रता जैसे गुणों से रूबरू करा सके और लोभ, मोह, मद, अहंकार, दुर्जनता, चरित्रहीनता, अत्याचारिता, हिंसा और उच्श्रृंखलता सहित सभी अवगुणों से मुक्त रख सके। मर्यादा हमारे जीवन में लक्ष्मण रेखा को पार कभी न कर सके, ताकि दुर्जन कभी हमारे पास न फटक पाए। तो वह जीवन दर्शन भी हमें हौसला देता रहे कि दुर्जनों से पाला पड़ भी जाए, तब भी हमें उनका सामना करने में कभी नहीं घबराना है। जब तक कि हमारा सत्य ऐसे दुर्जनों पर विजय का वरण नहीं करता है।
तो राम का जीवन यह दिशा देता है कि जीवन में कितनी भी प्रतिकूल परिस्थितियां क्यों न बन जाएं, लेकिन हमें मन से कभी हारना नहीं है। क्योंकि सत्य न कभी थकता है और न कभी हारता है…संघर्ष लंबा हो सकता है, लेकिन जीत मिले बिना नहीं रह सकती। तो रामनवमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। ओरछा में राजा राम को बारंबार प्रणाम तो चित्रकूट में वनवासी राम को कोटि-कोटि प्रणाम। दोनों ही राम हर मानव के मन में वास कर मर्यादा में बांधे रहें।