आज रंगू पहलवान के लोटे से निकली गेर का दिन है…

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आज रंगू पहलवान के लोटे से निकली गेर का दिन है…

मध्यप्रदेश में अगर रंगपंचमी का नजारा देखना है, तो रंगपंचमी के दिन इंदौर में रहना जरूरी है। आज इंदौर में रंगपंचमी पर गेर निकलेगी। और इंदौर की रंग पंचमी की‌ इस गेर उत्सव को देश ही नहीं विदेशों में भी देखने के लिए लोग लालायित रहेंगे। ऐसा कहा जाता है कि गेर 1955-56 से निकलना शुरु हुई थी। लेकिन इससे पहले शहर के मल्हारगंज क्षेत्र में कुछ लोग खड़े हनुमान के मंदिर में फगुआ गाते थे एक दूसरे को रंग और गुलाल लगात थे। 1955 में इसी क्षेत्र में रहने वाले रंगू पहलवान एक बड़े से लोटे में केशरिया रंग घोलकर आने-जाने वाले लोगों पर रंग मारते थे। यहां से रंग पंचमी पर गेर खेलने का चलन शुरू हुआ। रंगू पहलवान अपनी दुकान के ओटले पर बैठक करते थे। वहां इस तरह गेर खेलने  सार्वजनिक और भव्य पैमाने पर कैसे मनाएं चर्चा हुई। तब तय हुआ कि इलाके की टोरी कार्नर वाले चौराहे पर रंग घोलकर एक दूसरे पर डालेंगे और कहते हैं वहां से इसने भव्य रूप ले लिया। तो यह भी कहा जाता है कि गेर निकालने की परंपरा होलकर वंश के समय से ही चली आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक होलकर राजघराने के लोग पंचमी के दिन बैलगाड़ियों में फूलों और रंग-गुलाल लेकर  सड़क पर निकल पड़ते थे। रास्ते में उन्हें जो भी मिलता, उन्हें रंग लगा देते। इस परंपरा का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को साथ मिलकर त्योहार मनाना था। यही परंपरा साल दर साल आगे बढ़ती रही। कोरोना के कारण 2020 और 2021 में आयोजन पर रोक लग गई थी। पर यह कहा जा सकता है कि गेर के बिना इंदौर में मानो मनहूसी छा गई थी। और कोरोना खत्म होने के बाद इंदौर बिना देर किए रंगपंचमी पर गेर के रंग में फिर रंग गया।

गेर क्यूं प्रसिद्ध है, यह तथ्य‌ भी इसकी गवाही दे रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि गेर की परंपरा 300 साल से चली आ रही है। सामाजिक रूप से गेर को मनाने की शुरुआत 100 साल पहले हुई। शहरभर में 3000 से ज्यादा पांडाल लगते हैं। 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग इसमें शामिल होते हैं। चूंकि इंदौर की गेर विश्वभर में प्रसिद्ध है और सभी जाति-धर्म के लोग इसमें शामिल होते हैं। और अब आजादी के बाद 75 साल की यह गेर अब पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने वाली है। इंदौर में 30 मार्च को रंगपंचमी पर निकलने वाली पांच गेर का क्रम नहीं बदलेगा। आज इंदौर की गेर को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। इस बार भी गेर में पर्यटकों के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। इंदौर की गेर अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है। इंदौर में होने वाले इस भव्य आयोजन को अब एक नई पहचान दिलाने के लिए विश्व धरोहर में शामिल किए जाने के प्रयास जारी हैं। इस बार भी देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की गेर में बहुत कुछ खास होने वाला है। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी गेर के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं। गेर में इस बार बहुत कुछ खास होगा। विदेशियों के लिए विशेष रथ बनाए जाएंगे जिसमें उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा।राजवाड़ा के आसपास की लगभग हर इमारत पूरी तरह से फुल रहेगी। छतों पर लोग खानपान की व्यवस्था के साथ गेर का आनंद लेंगे। ट्रैक्टर, मेटाडोर, डंपर समेत पानी की मिसाइल, गुलाल की मिसाइल, गुलाब उड़ाती तोप आकर्षण बनेगी। इसमें 200 फीट ऊपर तक मिसाइलों से रंग उड़ाने के साथ हवा में तिरंगा बनाया जाएगा। तोपों से फूल बरसाए जाएंगे और महिला बाउंसर भी तैनात की जाएंगी। हर तरफ आसमान रंगों से सराबोर नजर आएगा। गेर निकालने का परंपरागत मुख्य मार्ग गौराकुंड चौराहे से राजवाड़ा तक रंग ही रंग नजर आएगा। इसके अलावा भी शहर के अलग-अलग हिस्सों से गेर निकाली जाती है, लेकिन वो भी राजवाड़ा में ही समाप्त होती है।

आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित गणमान्य नागरिक गेर में शामिल होकर प्रेम के रंग में रंगने वाले हैं।‌ इंदौर की गेर अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है। इंदौर में होने वाले इस भव्य आयोजन को अब एक नई पहचान दिलाने के लिए विश्व धरोहर में शामिल किए जाने के प्रयास जारी हैं। लाखों मुंडियों को एक साथ रंग में रंगे देख हर कोई अचरज में पड़ जाता है। तो आज चाहे रंगू पहलवान के लोटे से निकली गेर का दिन हो या फिर होलकर रियासत से चली आ रही गेर का, पर यही आकांक्षा कि गेर का आनंद अनवरत जारी रहे…।