Transfer of Lands Stopped : एक नियम से जमीनों के कई नामांतरण खटाई में!

1956-57 के रिकार्ड के आधार पर नामांतरण का नियम सिर्फ रतलाम जिले में!

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रमेश सोनी की पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा से बातचीत

Ratlam : जिले में 1956-57 के रिकॉर्ड अनुसार नामांतरण के नियम के चलते जमीनों के कई नामांतरण रुके पड़े हैं। इसका असर शहर में लोगों के कामकाज पर आ रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा ने इस संबंध में कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी से नियम में राहत देकर आम जनता की परेशानी को दूर करने की मांग की है।

पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा में ‘मीडियावाला’ को जानकारी देते हुए बताया कि रतलाम जिले में लंबे समय से जमीनों के विक्रय के बाद होने वाले नामांतरण में 1956-57 के रिकॉर्ड को आधार बनाया जा रहा है। 1956-57 के रिकॉर्ड में यदि जमीन शासकीय दर्ज हैं, तो उस जमीन के नामांतरण नहीं किए जा रहे। भले ही इसके बाद के रिकॉर्ड में जमीन निजी नाम से भी दर्ज हो, फिर भी 1956-57 के रिकॉर्ड को आधार बनाकर नामांतरण निरस्त कर दिए गए या रोक दिए गए। डागा ने बताया कि 1958 से 1962 का शासकीय रिकॉर्ड भी मौजूद नहीं है। ऐसे में भी आम जनता को स्वयं की जमीन होते हुए भी परेशानी आ रही हैं।

पूर्व महापौर के अनुसार 1956-57 के रिकार्ड के आधार पर नामांतरण का नियम सिर्फ रतलाम जिले में ही शुरू किया गया हैं। पूर्व में इस तरह का कोई नियम लागू नहीं था। प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह नियम लागू नहीं हैं और जमीनों के नामांतरण किए जा रहे हैं। डागा ने बताया कि इस नियम के चलते कई जमीनों के नामांतरण रुक गए हैं।

इसका असर निजी प्रोजेक्ट और जमीनों के क्रय-विक्रय पर आ रहा है। नामांतरण नहीं होने से कई जमीनों के सौदे खटाई में पड़ गए हैं। इससे कारोबार और रोजगार दोनों प्रभावित हो रहा है। डागा ने कलेक्टर से इस नियम में राहत देकर आम जनता की परेशानी दूर करने की मांग की है।