Uma Bharti: Tweet attack इस बयानबाजी के मंतव्य को समझिए

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सुरेश तिवारी की खास रिपोर्ट

राजनेताओं की आदत होती है कि वे अनर्गल बयानबाजी के बावजूद अपनी गलतियां कभी नहीं स्वीकारते हैं। कुछ नेता कभी किसी बयान पर टिप्पणी नहीं करते और वहीं कुछ नेता हर बात पर टिप्पणी करने की अपनी आदत से मजबूर नजर आते हैं। ऐसे नेताओं में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और तेज तर्रार नेता (उमा भारती) Uma Bharti भी हैं, जो अक्सर चर्चा में बने रहने के लिए tweet कर के बयानबाजी करती रहती हैं।

इन दिनों वे ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ बोलने के कारण चर्चा में हैं। पहले उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को चप्पलें उठाने वाले कहा, बाद में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के कहने पर माफ़ी मांग ली। लेकिन, कुछ घंटों बाद वे फिर उसी लीक पर आ गईं।उन्होंने लालू यादव के बहाने ट्वीट करके फिर ब्यूरोक्रेसी को घसीटा।

Uma Bharti regrets 'unrestrained language' after video of comments on bureaucracy goes viral - The Week

Uma Bharti: Tweet attack

उन्होंने कहा …

‘लालू यादव जी ने मेरे ही सामने अपने पीकदान में ही थूका एवं उस वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के हाथ में थमा कर उसको खिड़की के बगल में नीचे रखने को कहा और उस अधिकारी ने ऐसा कर भी दिया।’
उनके इस ट्वीट को किस संदर्भ में लिया जाए, ये समझ से परे है। पहले उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगी और कहा ‘ब्यूरोक्रेसी पर बोली असंयत भाषा पर मैंने आत्मग्लानि अनुभव की और उसे व्यक्त भी किया किन्तु मेरे भाव बिल्कुल सही थे।’ इसके बाद लालू के बहाने फिर एक पत्थर फेंक दिया। उनके इस ट्वीट में उन्होंने आत्मग्लानि जरूर लिखा, पर भाषा के भाव कुछ अलग ही हैं। वे यहीं नहीं रुकी, उन्होंने बाद में ब्यूरोक्रेसी को तीन सलाह भी दे डाली। अब ये बात अलग है कि ब्यूरोक्रेसी उनकी सलाह क्यों मानें?

उनके तीन ( ट्वीट) Tweet  की भाषा कुछ इस प्रकार है।
‘मैं देश की सभी पुराने एवं नये ब्यूरोक्रेसी से 3 अपील करूँगी-

(1) ‘आपको अपने पूर्वजों, माता पिता, ईश्वर की कृपा एवं अपनी योग्यता से यह स्थान मिला है, भ्रष्ट अफसर एवं निकम्मे सत्तारूढ़ नेताओं के गठजोड़ से हमेशा दूर रहिये।’
(2) ‘आप शासन के अधिकारी, कर्मचारी हैं किन्तु किसी राजनीतिक दल के घरेलू नौकर नहीं हैं, देश के विकास एवं स्वस्थ लोकतंत्र के लिए तथा गरीब आदमी तक पहुँचने के लिये आप इस जगह पर बैठे हैं, इस पर ध्यान रखिये।’
(3) ‘भारतीय लोकतंत्र में ब्यूरोक्रेसी का सम्मान, उपयोगिता एवं योगदान बना रहे इस पर स्वयं ब्यूरोक्रेसी को सजग रहना होगा, राजनीतिक दल में काम करने वाले मेरे जैसे लोग ईमानदार एवं नियम के पालन में व्यावहारिक ब्यूरोक्रेसी का सम्मान करते रहेंगे।’

Union Minister Uma Bharti admitted to AIIMS for high BP | National News – India TVUma Bharti: Tweet attack

उमा भारती यहीं नहीं रुकी, उन्होंने कहा कि ‘ऐसी बातें लोकतंत्र के लिए घातक हैं। क्योंकि प्रशासनिक सेवा के लोगों को नियम से बंधना है तथा जो जनता के वोट से चुनाव जीत के सत्ता में आया है,उसकी नीतियों का क्रियान्वयन करना है। किन्तु सत्तारूढ़ दल की राजनीति साधने का कार्यकर्ता नहीं बनना है।’

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उमा भारती के सारे ट्वीट कहीं न कहीं सत्तारूढ़ दल (जो भाजपा ही है) की तरफ इशारा करते हैं। क्योंकि, ट्वीट की इसी श्रृंखला में उनका एक ट्वीट है ‘ब्यूरोक्रेसी पर दिये गये बयान से एक सार्थक विचार-विमर्श निकल सकता है जो कि प्रशासनिक सेवा में नए भर्ती हुए युवाओं के काम आ सकता है। इसलिये अब मैं इस बहस को भी आगे चलाऊँगी, क्योंकि यह देश के लोकतंत्र एवं विकास के लिए आवश्यक है।’ इसका सीधा सा मतलब है कि ब्यूरोक्रेसी पर उनकी टिप्पणियों का ये विवाद अभी थमने वाला नहीं है।

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राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का अचानक जागृत होना सामान्य बात नहीं है। इसके पीछे कोई बड़ा कारण जरूर है, अभी स्पष्ट नहीं हो रहा, पर वक्त आने पर सामने जरूर आएगा। दिग्विजय सिंह से घनघोर राजनीतिक विरोध के बावजूद उन्हें ‘दादा’ सम्बोधित करके पत्र लिखना और उनकी सलाह पर अपने बयान पर माफ़ी मांग लेना, उमा भारती की जगजाहिर आदत से अलग है। शराबबंदी को लेकर उनका 14 जनवरी तक का राज्य सरकार को अल्टीमेटम तो स्पष्ट धमकी माना जा सकता है।

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