उमा ने अपनी ‘राम भक्ति’ ही दांव पर लगा दी….

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 *उमा ने अपनी ‘राम भक्ति’ ही दांव पर लगा दी….* 

– पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का शराबबंदी अभियान उनके गले की फांस बन गया है। इसे लेकर वे कई बार अपना स्टेंड बदल चुकी हैं। कभी अभियान को आगे बढ़ाने का ऐलान करती हैं, अगले ही क्षण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के किसी कदम अथवा कथन पर पीठ थपथपा कर बैकफुट पर आ जाती हैं। पिछली बार अपने ट्वीट में उन्होंने खुद लिखा था कि वे इस मसले पर हंसी का पात्र बन चुकी हैं। लगता है अब भी उन्होंने कोई सबक नहीं लिया। अब उन्होंने अपनी राम भक्ति ही दांव पर लगा दी। भाई दूज पर ओरछा पहुंची तो उन्हें वह शराब दुकान खुली मिल गई, जिसमें उन्होंने गोबर फेंका था। दुकान खुली देखकर वे भड़कीं और कह बैठीं कि यह मेरी ‘राम भक्ति’ को चुनौती है। उन्होंने कहा कि अब यहां जो घटित होगा, उसे पूरा प्रदेश देखेगा। ट्वीट में उमा ने अपने अयोध्या आंदोलन, बाबरी ढांचा ढहने और राम मंदिर निर्माण का जिक्र भी किया।

Uma Bharti Pachmarhi MP crop

सवाल है कि क्या उमा को शराब की दुकान को अपनी राम भक्ति से जोड़ना चाहिए? ओरछा की शराब दुकान को लेकर यदि वे ऐसा कुछ न कर सकीं जिसे प्रदेश याद रखे तो उनकी साख और राम भक्ति का क्या होगा? प्रदेश में अब भी उमा को चाहने वालों की बड़ी तादाद है। वे सब उमा के शराबबंदी पर लगातार बदलते रुख और गिरती साख से दु:खी व चिंतित हैं।

 *तो क्या अब भाजपा ही भाजपा को हराएगी….!*

– कांग्रेस में यह कथन लंबे समय तक प्रचलन में रहा है कि कांग्रेसी ही कांग्रेस को हराते हैं। कांग्रेस नेता एकजुट रहें, एक दूसरे की टांग न खींचे तो पार्टी को कोई नहीं हरा सकता। अब भाजपा इस राह पर चलती दिख रही है। कांग्रेस के लिए प्रयुक्त होने वाला यह कथन भविष्य में भाजपा पर फिट बैठ सकता है, क्योंकि कई जगह भाजपा नेता एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे हैं। उदाहरण के तौर पर टीकमगढ़ के पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव दीपावली के दिन फावड़ा और झाड़ू लेकर सफाई करने सड़कों पर उतर गए। यहां तक तो ठीक था लेकिन बयान देकर भाजपा के मौजूदा विधायक राकेश गिरि और नगर पालिका के सीएमओ के खिलाफ निशाना दाग दिया। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ग्वालियर में खराब सड़कों को लेकर जूता-चप्पल त्याग दिए और अपनी सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। सागर की सुरखी विधानसभा सीट से विधायक एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद यात्रा पर निकल पड़े। हालांकि इन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जा चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एवं पूर्व मंत्री अजय विश्नाई जैसे कई नेता अपनी ही सरकार को घेरते रहते हैं। यही तो कांग्रेस में होता था। तो क्या अब भाजपा ही भाजपा को हराने का काम करेगी?

*वीडी की अच्छी पहल, सबक लेंगे भाजपा नेता….*

– भाजपा के अंदर संगठन और सरकार को लेकर अटकलबाजियों का दौर लंबे समय से चल रहा है। पार्टी में अंदरूनी उठापटक की खबरें भी सुर्खियां बनती रहती हैं। ऐसे में भाजपा के कई नेताओं को अपनी छवि की चिंता है। संगठन के प्रदेश प्रमुख वीडी शर्मा की एक पहल खास चर्चा में है। दीपावली पर्व के दौरान उनका जन्मदिन था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का जन्मदिन हो और शहर पोस्टर, बैनरों एवं अखबार विज्ञापनों से पटे न हों, ऐसा कभी नहीं देखा गया।

याद रखा जाएगा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का यह फैसला ...

लेकिन वीडी ने ऐसा नहीं होने दिया। कहीं भी उनके जन्मदिन का कोई प्रचार नहीं दिखा। पोस्टर, बैनर एवं विज्ञापन देखने के लिए कार्यकर्ता तरस गए। खबर है कि वीडी ने खुद न तो किसी को जन्मदिन के विज्ञापन देने दिए और न पोस्टर बैनर लगाने दिए। यह एक अच्छी पहल है। देखना होगा कि भाजपा के कितने नेता सबक लेकर इस पहल का अनुसरण करते हैं। छवि को ध्यान में रखकर ही नेता अब विवादित बयान देने से बचने लगे हैं। नेता और सरकार के मंत्रियों ने क्षेत्र के जिन लोगों को सत्ता का भय दिखाकर चुप कराया था, उनकी खुशामद की जाने लगी है। गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश हो है। क्षेत्र में नेता सामाजिक कार्यों में रुचि लेने लगे हैं। सवाल है कि यह छवि सुधार अभियान पार्टी के सर्वे में नंबर बढ़ाने के लिए तो नहीं है?

 *खड़गे का संकेत मप्र के लिए भी चौकाने वाला….*

– कांग्रेस नेतृत्व दिल्ली से लेकर भोपाल तक सुर्खियों में है। नवनिर्वाचित पार्टी अध्यक्ष मल्लकार्जुन खड़गे द्वारा बनाई संचालन समिति ने मप्र के कांग्रेस नेताओं को भी चौंकाया है। वजह हैं संचालन समिति में शामिल नेता। पहला, 47 नेताओं की इस सूची में 50 वर्ष से कम उम्र का सिर्फ एक नेता है। दूसरा, मप्र से इसमें सिर्फ वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को जगह मिली है। वे भी 75 साल के हैं। प्रदेश में सेकेंड लाइन नेताओं और युवाओं की फौज है लेकिन संचालन समिति के लायक किसी को नहीं समझा गया। सवाल यह है कि पार्टी में सेकेंड लाइन एवं युवा नेतृत्व का क्या होगा? मप्र कांग्रेस पर नजर डालिए तो प्रदेश प्रमुख कमलनाथ, प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल और दिग्विजय सिंह सभी बुजुर्ग हैं।

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ये 75 की आयु सीमा पार कर चुके हैें। खास बात यह है कि भाजपा जहां इस आयु वर्ग के नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल कर युवा नेतृत्व को आगे कर रही है, वहीं कांग्रेस में टिकट वितरण से लेकर चुनावी वैतरणी पार करने की जवाबदारी इन वरिष्ठों के कंधों पर ही है। सवाल है कि ऐसे में अजय सिंह, अरुण यादव, सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, बाला बच्चन, कमलेश्वर पटेल जैसे सेकंड लाइन नेताओं की क्या भूमिका रहेगी, इसको लेकर संशय है। क्या इन्हें अलग रख पार्टी सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकेगी?

*दिवाली फीकी, बेरौनक भाजपा का नया दफ्तर….*

– भाजपा का नया प्रदेश कार्यालय पुराने आरटीओ कार्यालय में शिफ्ट हो गया है। पहले यहां राज्य परिवहन निगम का कार्यालय एवं बसों का डिपो हुआ करता था। जगह भरपूर थी, इसलिए कार्यालय भी मेहनत से तैयार किया गया है। मीडिया कक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, संगठन महामंत्री सहित पदाधिकारियों के कक्ष आदि सलीके से बनाए गए हैं। पत्रकार वार्ता हॉल के अलावा सम्मेलन के लिए बड़ा डोम बना है। रसोई, कार्यालयीन स्टाफ के साथ आने-जाने वालों के लिए भी पर्याप्त स्थान है। विडंबना यह है कि आलीशान होने के बावजूद दफ्तर में रौनक नहीं है। पहली बार पुराने कार्यालय के स्थान पर यहां दिवाली का पूजन हुआ। दिवाली इस मायने में फीकी रही कि पूजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नहीं पहुंचे। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अकेल पूजन किया। कार्यालय में पदाधिकारियों, प्रवक्ताओं ने बैठना शुरू नहीं किया है। बाहर से आने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं को कोई नहीं मिलता।

BJP's New Ticket Formula

उन्हें निराश होकर बिना किसी से मिले वापस लौटना पड़ता है। मीडिया और प्रवक्ता कक्ष प्रारंभ में हैं, इसलिए मीडियाकर्मी भी अंदर तक नहीं जा पाते। संभवत: उन्हें अंदर जाने से रोकने के लिए ही यह व्यवस्था की गई है। वैसे भी चुनावी साल में कई काम मीडिया से छिपाना पड़ते हैं। लिहाजा, आलीशान होने के बावजूद दफ्तर बेरौनक है।