बेलगाम ब्यूरोक्रेसी:केंद्रीय मंत्री, सांसदों तक की नहीं सुन रहे

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बेलगाम ब्यूरोक्रेसी:केंद्रीय मंत्री, सांसदों तक की नहीं सुन रहे

भोपाल: प्रदेश में बेलगाम ब्यूरोक्रेसी अब सत्ता पक्ष के नेताओं के मामले में भी बेपरवाह हो गई है। हालत यह हो गई है कि अब केंद्रीय मंत्री और सांसद तक को ब्यूरोक्रेसी की मनमानी और प्रोटोकॉल उल्लंघन के मामले में मानसिक प्रताड़ना से गुजरने के बाद सार्वजनिक तौर पर विरोध जताना पड़ रहा है। दस दिन में सत्ता पक्ष के नेताओं और जिम्मेदार पदों पर काबिज जनप्रतिनिधियों के साथ हुई दो घटनाओं के बाद अब ब्यूरोक्रेट्स की कार्यशैली पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। इसके पहले भी जिलों में विधायकों को प्रोटोकाल नहीं दिए जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं।

*जबलपुर में एससी सांसद सुमित्रा बाल्मीकि को होना पड़ा सार्वजनिक तौर पर अपमानित*
जबलपुर में 20 और 21 जून को बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मीकि को योग दिवस के आयोजन के दौरान सार्वजनिक तौर पर अपमानित होना पड़ा था। बाल्मीकि ने बताया कि 20 जून को उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ जबलपुर आए थे। उनके आगमन के लिए तैयार कार्ड से सांसद के तौर पर बाल्मीकि का नाम गायब था। उपराष्ट्रपति की अगवानी के दौरान सभी को गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया पर उन्हें प्रशासन के अफसरों ने अनदेखा किया तो उन्हें इसे गंभीरता से नहीं लिया।  इसके बाद 21 जून को योग दिवस के कार्यक्रम में पहुंचीं तो मंच पर सांसद और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और जबलपुर सांसद राकेश सिंह बैठे देख सांसद के नाते मंच पर पहुंच गईं। वहां जगह आरक्षित नहीं होने पर पीछे की सीट पर बैठ गईं। इसके बाद जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीछे बैठे देखा तो बुलाकर आगे बैठने कहा और कुर्सी बुलवाई गई। बाल्मीकि बताती हैं कि जब मंच से नीचे योग के लिए पहुंचे तो सांसदों के लिए आरक्षित लाइन के बजाय उन्हें विधायकों की लाइन में योग के लिए बैठने को कहा गया। इस पर उनके द्वारा प्रोटोकॉल नहीं दिए जाने पर प्रदेश अध्यक्ष को जानकारी दी गई।
बाल्मीकि का कहना था कि वे अपने लिए नहीं बल्कि सांसद के नाते प्रोटोकॉल का अधिकार रखती हैं।

*दमोह में पुलिस पर झूठे मुकदमे में फंसाने पर बिफरे केंद्रीय मंत्री*
उधर गुरुवार को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का दमोह पुलिस के विरुद्ध जमकर विरोध सामने आया। मंत्री पटेल ने चर्चा में कहा कि दमोह पुलिस ने जो किया है, मैं उस कार्रवाई के खिलाफ और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ हूं। यह जल्दबाजी में किया गया फैसला है। सांसद प्रतिनिधि यशपाल ठाकुर पर दर्ज केस को लेकर उन्होंने कहा कि यशपाल मेरे कार्यकर्ता हैं, जिम्मेदार जनप्रतिनिधि हैं। मैं हर कीमत पर उनके साथ हूं। जिस मामले में यशपाल के विरुद्ध केस दर्ज हुआ उसमें बाकी लोग भी हैं जिनके नाम लिखे हुए हैं, उसमें मेरा भी नाम है फिर तो मेरे खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए। मैंने कहा था कि इसकी बारीकी से जांच होना चाहिए। जल्दबाजी नहीं हो और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच कर कार्यवाही की जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए न्याय मिलने तक मैं दमोह पुलिस की कोई भी सेवा नहीं लूंगा। मेरे निजी सुरक्षा गार्ड के अलावा दमोह पुलिस के किसी भी कर्मचारी की मैं सेवा नहीं लूंगा।

*अब कोई मसला नहीं है, सीआईडी जांच हो रही*
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की दमोह पुलिस की कार्यवाही के बाद नाराजगी के मामले में पुलिस अधीक्षक दमोह राकेश कुमार सिंह ने कहा कि थाना प्रभारी ने जांच में जो पाया था वह किया। अब सीआईडी जांच के आदेश हुए हैं तो जांच होगी। अब कोई मसला नहीं है। उधर सांसद सुमित्रा बाल्मीकि के मामले में जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन से संपर्क करने पर बात नहीं हो सकी।