विश्व तनाव में योग और आयुर्वेद से स्वस्थ शांति का अनूठा भारतीय अभियान

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विश्व तनाव में योग और आयुर्वेद से स्वस्थ शांति का अनूठा भारतीय अभियान

 

आलोक मेहता

 

विश्व ने 21 जून को 11वीं बार एक साथ योग अभ्यास किया । योग का सीधा-साधा अर्थ होता है जुड़ना और ये देखना सुखद है कि कैसे योग ने पूरे विश्व को जोड़ा है। । दुर्भाग्य से आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कितने ही क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति की दिशा मिलती है | प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यह विचार कोई कोर कल्पना सपना नहीं है | योग केवल एक अभ्यास नहीं है – यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य, आंतरिक शांति और वैश्विक कल्याण के लिए एक आंदोलन है। “एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग” थीम केंद्र में है । 2025 की थीम शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय कल्याण को बढ़ावा देने में योग की भूमिका पर प्रकाश डालती है, जो स्थिरता और एकता के लिए वैश्विक आह्वान के साथ सामने रखी गई । यह 2014 में भारत के प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दिए जाने के एक दशक की सफलता पर आधारित है। राजनीति से हटकर इस तरह के मुद्दों पर समाज और विश्व का ध्यान दिलाया जाना चाहिए |

भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को अब वैश्विक पहचान मिलने जा रही है। आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच इसी 20 मई को एक बड़ा समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलेगी और वैज्ञानिक तरीके से दर्ज किया जाएगा।भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और WHO के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। इस समझौते के जरिए अब डब्ल्यूएचओ के ‘स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (ICHI)’ में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए एक खास ‘पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल’ जोड़ा जाएगा। विश्व स्वास्थय संगठन के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस घेब्रेयेसस ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत की तरफ से पारंपरिक चिकित्सा और आईसीएचआई पर डब्ल्यूएचओ के काम के लिए 30 लाख डॉलर की मदद देने के समझौते पर हस्ताक्षर करके खुशी हुई। हम सभी के लिए स्वास्थ्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं।’डब्ल्यूएचओ का आईसीएचआई एक वैश्विक प्रणाली है जो यह रिकॉर्ड करती है कि मरीजों को कौन-कौन से इलाज या चिकित्सा प्रक्रिया दी जा रही हैं। अब इसमें पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद की पंचकर्म प्रक्रिया , योग थेरेपी,यूनानी रेजीमेंस , सिद्ध चिकित्सा विधियांको भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार दर्ज किया जाएगा।वैश्विक मान्यता से आयुष से जुड़ी चिकित्सा पद्धतियों को अब दुनिया भर में एक वैज्ञानिक और मानकीकृत पहचान मिलेगी। बीमा कवर में आसानी- आयुष के इलाज अब हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं में भी आसानी से शामिल किए जा सकेंगे। अस्पतालों में रिकॉर्ड रखने, शोध और मेडिकल डेटा को वैज्ञानिक तरीके से दर्ज करने में मदद मिलेगी। अब आयुष पद्धतियां सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी अधिक भरोसे और स्वीकार्यता के साथ अपनाई जा सकेंगी।आयुर्वेद चिकित्सा वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में ब्रिटेन , जर्मनी तथा अन्य यूरोपीय देशों के साथ और अमेरिका में लोकप्रियता हासिल कर रही है । यद्यपि इसकी जड़ें भारत, नेपाल और श्रीलंका में गहराई से जमी हुई हैं, तथापि इसकी पहुंच विश्व स्तर पर फैल रही है,जहां लोग स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के प्रति इसके समग्र दृष्टिकोण की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। यह प्रवृत्ति जीवनशैली से संबंधित बीमारियों के बारे में बढ़ती जागरूकता और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समाधान की इच्छा जैसे कारकों से प्रेरित है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में आयुर्वेद को औपचारिक रूप से शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ब्रिटेन की सर्वदलीय संसदीय समिति ने आयुर्वेद को एक प्रभावी और बेहतर चिकित्सा पद्धति मानते हुए इसे स्वास्थ्य सेवा में अपनाने की सिफारिश की है। इस पहल के तहत, अगले पांच वर्षों में ब्रिटेन में लगभग 10,000 आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी। भारतीय आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए यह एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। ब्रिटेन में आयुर्वेद आधारित सौंदर्य, शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवाओं के संस्थानों की संख्या भी अगले पांच वर्षों में 100 से बढ़कर 500 होने की उम्मीद है।

ब्रिटिश कॉलेज फॉर आयुर्वेद में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या इस साल 70% तक बढ़ी है। इनमें ब्रिटिश छात्रों के बाद फ्रांस और जर्मनी के छात्र दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। ब्रिटेन में सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर भी आयुर्वेद को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। आयुर्वेद के औपचारिक रूप से एनएचएस का हिस्सा बनने से इसे वैश्विक स्तर पर और मान्यता मिलने की संभावना है। यह कदम न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा, बल्कि भारतीय डॉक्टरों और छात्रों को भी अंतरराष्ट्रीय अवसर प्रदान करेगा। अस्पतालों में रिकॉर्ड रखने, शोध और मेडिकल डेटा को वैज्ञानिक तरीके से दर्ज करने में मदद मिलेगी।

आयुर्वेद ब्रिटेन में अधिक लोकप्रिय होने का पर्याप्त कारण है |आधुनिक जीवनशैली के कारण अक्सर तनाव, व्यायाम की कमी और संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, जिससे लोग आयुर्वेद जैसे वैकल्पिक उपचार अपनाने को मजबूर होते हैं। आयुर्वेद का ध्यान समग्र उपचार पर है, जिसमें आहार, जीवनशैली में समायोजन और हर्बल उपचार शामिल हैं, और यह उन लोगों को आकर्षित करता है जो केवल लक्षणों से राहत के बजाय दीर्घकालिक कल्याण और निवारक देखभाल चाहते हैं।

आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकरण:इस बात को मान्यता मिल रही है कि आयुर्वेदिक सिद्धांत किस प्रकार आधुनिक चिकित्सा के पूरक हो सकते हैं, विशेष रूप से दीर्घकालिक रोगों के प्रबंधन और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में। ब्रिटेन में योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सकों, क्लीनिकों और स्पा की संख्या बढ़ रही है, जिससे उपचार या मार्गदर्शन चाहने वालों के लिए यह अधिक सुलभ हो रहा है। आयुर्वेद बाजार विश्व स्तर पर, जिसमें ब्रिटेन भी शामिल है, पर्याप्त वृद्धि का अनुभव कर रहा है, तथा आने वाले वर्षों में बाजार के आकार में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है। बताया जाता है कि 2025 में केवल आयुर्वेद से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व आएगा |

योग और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को लेकर पूरी दुनिया में जिज्ञासा बढ़ रही है। बड़ी संख्या में युवा योग और आयुर्वेद को स्वास्थ्य के एक बेहतरीन माध्यम के रूप में अपना रहे हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण अमेरिका का एक देश है चिली। वहां आयुर्वेद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। ब्राजील की अपनी यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने चिली के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान भी आयुर्वेद की लोकप्रियता को लेकर विस्तार से चर्चा हुई थी।हाल में साइप्रस के साथ समझौते में आयुर्वेद के सहयोग की चर्चा है |दुनिया भर में आयुष प्रणालियों की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता और इसमें प्रमुख हितधारकों के योगदान को स्वीकार करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे ‘सोमोस इंडिया’ नाम की एक टीम के बारे में पता चला है। स्पेनिश में इसका मतलब है – ‘हम भारत हैं’। यह टीम लगभग एक दशक से योग और आयुर्वेद को बढ़ावा दे रही है। उनका ध्यान इलाज के साथ-साथ शैक्षणिक कार्यक्रमों पर भी है। वे योग और आयुर्वेद से जुड़ी जानकारियों का स्पेनिश भाषा में अनुवाद भी करवा रहे हैं। न्यूयॉर्क स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास ने टाइम्स स्क्वायर एलायंस के साथ मिलकर ग्रीष्म संक्रांति के दिन टाइम्स स्क्वायर पर विशेष योग सत्र का आयोजन किया विश्व में योग के प्रसार के लिए भारत, योग की साइंस को आधुनिक रिसर्च से और अधिक सशक्त कर रहा है। देश के बड़े-बड़े मेडिकल संस्थान योग पर रिसर्च में जुटे हैं। योग की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्थान मिले, यह प्रयास भी है।मेडिकल और रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स में, योग के क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड थेरेपी को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है । इस दिशा में दिल्ली के एम्स ने भी बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। एम्स की रिसर्च में सामने आया है कि योग की ह्रदय और न्यूरोलॉजी डिस्ऑर्डर्स के उपचार और महिलाओं के स्वास्थ्य रक्षा में अहम भूमिका है। हील इन इंडिया का मंत्र भी दुनिया में काफी पॉपुलर हो रहा है। भारत-दुनिया के लिए हीलिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बन रहा है। योग की इसमें भी बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि योग के लिए कॉमन योग प्रोटोकॉल बनाया गया है। योग कार्यक्रम के साढ़े छह लाख से अधिकवॉलंटियर्स, करीब 130 मान्यता प्राप्त संस्थान और मेडिकल कॉलेजों में 10 दिन का योग मॉड्यूल, ऐसे अनेक प्रयास, एक होलिस्टिक इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। देशभर में आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, जहाँ प्रशिक्षित योग शिक्षक तैनात किए जा रहे हैं। दुनियाभर के लोगों को भारत के इस वेलनेस इकोसिस्टम का फायदा मिले, इसलिए विशेष ई-आयुष वीज़ा दिए जा रहे हैं।