Unique Penance: सिर पर जलता हुआ खप्पर रख भगवान की आराधना
खरगोन से आशुतोष पुरोहित की रिपोर्ट
खरगोन: जिले के बडवाह में नर्मदा तट स्थित सुंदर धाम आश्रम में बसंत पंचमी से अनोखी तपस्या शुरू हुई है। साधु संत सिर पर जलता हुआ खप्पर रख दहकते कंडो के गोल घेरे के बीच यहाॅ तपस्या कर रहे है।
चार माह बसंत पंचमी से गंगा दशहरा 30 मई तक दोपहर 12 से 3 बजे तक गर्मी में कडी और कठिन तपस्या साधु संत कर रहे है। देख कर हर कोई दंग रह जाये। बडवाह के नर्मदा तट स्थित नावघाटखेड़ी के उत्तर तट पर सुंदर धाम आश्रम में साधु संत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत बालकदासजी महाराज की अगुवाई में अनोखी तपस्या कर रहे है।
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर बड़वाह के नर्मदा किनारे नावघाटखेड़ी स्थित सुंदर धाम आश्रम में संतों की कोठ खप्पर धुनी तपस्या बसंत पंचमी से शुरू हुई। इस अवसर पर पंडितों ने श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत बालकदासजी महाराज और अन्य संतों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चन किया। इसके पश्चात हवन और भंडारा प्रसादी का आयोजन हुआ। श्री श्री कोठ खप्पर तपस्या बंसत पंचमी से प्रारम्भ होकर गंगा दशहरे तक चार माह चलती है। रोजना तन झुलसाने वाली धूप में दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक बालकदास जी महाराज के सानिध्य में संत अलग-अलग जलते कंडो का घेरा बनाकर अपने सिर पर जलता हुआ खप्पर रखकर भगवान की आराधना करेंगे। आश्रम के ये परम्परा ब्रह्मलीन संत श्री सुन्दर दास जी महाराज के समय से चली आ रही है। आश्रम के गादी पति श्री श्री 1008 महंत बालकदास जी महाराज इस तप को पिछले कई वर्षो से कर रहे है। इस तप के तहत पंच धूनी, सप्त धूनी, द्वादश धुनी के रूप में तपस्या की जाती है। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।