Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : मुख्यमंत्री,मेट्रो और मनीष सिंह

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : मुख्यमंत्री,मेट्रो और मनीष सिंह

इंदौर के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा। क्योंकि, इस दिन औपचारिक रूप से मेट्रो रेल का ट्रायल रन हो गया। वैसे तो ट्रायल रन 14 सितंबर को होना था, लेकिन मुख्यमंत्री की व्यस्तता के कारण यह कुछ दिन आगे बढ़ा और अब यह सफलता से हो गया। यदि इस ट्रायल रन और मेट्रो की तैयारी का श्रेय किसी को दिया जा सकता है, तो वह है मुख्य मंत्री और मेट्रो रेल कारपोरेशन के एमडी मनीष सिंह। उन्होंने निर्धारित तारीख 14 सितंबर तक सारी तैयारी कर ली थी जो ट्रायल रन के लिए जरूरी थी। देश में किसी भी मेट्रो प्रोजेक्ट की तुलना में इतने कम समय में हुई तैयारिया एक रिकॉर्ड है।

 

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इस बीच कुछ सेफ्टी ट्रायल रन और किए गए, जो सफल रहे। यह माना जा रहा है कि बहुत जल्दी एयरपोर्ट से विजयनगर तक आम जनता के लिए मेट्रो रेल उपलब्ध हो सकेगी। लेकिन, अभी इसको पटरी पर उतारना इसलिए भी जरूरी था, कि चुनाव से पहले सरकार इसे अपनी उपलब्धि में जोड़ना चाहती है और यह कोशिश सफल हुई।

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लेकिन काम में गति तभी आई, जब यह जिम्मेदारी मनीष सिंह को सौंपी गई। इससे पहले जो अफ़सर रहे वे मेट्रो को समयबद्ध चलाने की तैयारी में कहीं न कहीं कमजोर रहे। कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री ने मनीष सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी और वे अपनी जिम्मेदारी पर खरे उतरे।

बाबाओं की कथाएं और विधानसभा चुनाव का माहौल!

इस बार जिस तरह का माहौल और रंगत है, उसे देखकर लग रहा है, कि विधानसभा चुनाव सनातन समर्थन और सनातन विरोध के बीच ही लड़े जाएंगे। कारण कि जिस तरह कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के नेता कथा, प्रवचन और भोजन भंडारे के आयोजन करवा रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि इस बार चुनाव की रंगत कुछ अलग ही दिखाई देगी।

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फिलहाल चार बड़े बाबा पूरे चुनाव में असरदार दिखाई दे रहे हैं। ये हैं बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, पंडोखर सरकार, पंडित प्रदीप मिश्रा और कंप्यूटर बाबा। ये चारों बाबा पिछले करीब सालभर से ज्यादा समय से कथाओं में व्यस्त हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रदीप मिश्रा और बाबा बागेश्वर धाम की कथाएं तो लगातार चल रही है। खास बात ये कि इन सभी कथाओं के पीछे कोई न कोई बड़ा नेता है। जबकि, पहले नेता इस तरह के धार्मिक आयोजन में सामने नहीं आते थे।

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अब स्थिति बदल गई और सिर्फ भाजपा ही नहीं, कांग्रेस भी उससे पीछे नहीं है। यहां तक कि कमलनाथ के छिंदवाड़ा तक में बागेश्वर धाम और प्रदीप मिश्रा दोनों की कथाएं हो चुकी है। लेकिन, ये चारों बाबा वोट पॉलिटिक्स को कितना बदल पाते हैं, इस पर सबकी नज़रें टिकी है।

केंद्रीय मंत्रियों और दिग्गजों को चुनाव में उतारने के बाद अब किसका नंबर!

भाजपा ने अभी तक जिस तरह अपनी दो सूचियां में 79 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की, उसने पार्टी में नाराजी ही ज्यादा फैलाई। क्योंकि, करीब दर्जन भर सीटों पर या तो विद्रोह होता दिखाई दे रहा है या वहां के नेता और कार्यकर्ता इस्तीफा दे रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब चुनाव में मुकाबला बराबरी का दिखाई दे रहा है।

इस बात को पार्टी भी समझ रही कि इस बार उसकी एक तरफा जीत संभव नहीं है। एक-एक सीट का अपना महत्व है। 2018 के चुनाव में भाजपा ने देख भी लिया कि चुनाव में पार्टी को कैसी मुसीबत का सामना करना पड़ा था। कयास लगाए जा रहे हैं, कि आने वाली अगली सूचियां में करीब एक दर्जन मंत्रियों के टिकट कट भी सकते हैं। यह वही गुजरात पैटर्न है, जिस पर भाजपा ने धुआंधार जीत दर्ज की थी। गुजरात में तो मुख्यमंत्री का भी टिकट काट दिया गया था।

कोई आश्चर्य नहीं की यही स्थिति मध्य प्रदेश में भी हो। लेकिन, यह माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। लेकिन, उनके आधा दर्जन से ज्यादा समर्थकों के टिकट कटने की आशंका भी व्यक्त की जा रही। भाजपा ने जिस तरह सांसदों को चुनाव में उतारने का प्रयोग किया है, कोई शंका नहीं कि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा प्रदेश को भी कोई सीट थमाई जा सकती है। क्योंकि, चुनाव में उनके लायक ज्यादा काम नहीं बचा। नरेंद्र तोमर जो पूरे चुनाव के मुखिया हैं वे खुद एक सीट से उम्मीदवार है।

इंदौर की अधिकांश सीटों पर भाजपा में तनातनी का माहौल!

इंदौर जिले की अधिकांश सीटों पर भाजपा में असंतोष पनपता दिखाई दे रहा है। सिर्फ रमेश मैंदोला के क्षेत्र क्रमांक-दो को अपवाद स्वरुप छोड़ दिया जाए, तो लगभग हर जगह गुटबाजी और विरोध साफ नजर आ रहा है। एक नंबर क्षेत्र से कैलाश विजयवर्गीय को उम्मीदवार बना दिया, तो वहां विरोध जैसी कोई बात नहीं। पहले इस सीट पर भी सुदर्शन गुप्ता को लेकर विरोध हो चुका है। क्षेत्र-2 तो भाजपा का गढ़ है और यहां रमेश मैंदोला का विकल्प फिलहाल नहीं है।

भाजपा सरकार और संगठन में अब बदलाव यानि भटकाव...

क्षेत्र क्रमांक-3 से अभी तक आकाश विजयवर्गीय विधायक थे, पर अब पिता को टिकट मिलने से बेटे पर सवालिया निशान लग गया है। क्षेत्र क्रमांक-4 में स्थित सबसे ज्यादा खराब बताई जा रही है। यहां कि विधायक मालिनी गौड़ का खुले रूप में विरोध शुरू हो गया। कुछ लोगों ने एक तरह से उनके खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया। पार्टी के 24 सीनियर कार्यकर्ता संगठित होकर मालिनी गौड़ परिवार के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किए हुए हैं।

भाजपा और जनसंघ के संस्थापक सदस्य और पूर्व राज्यसभा सांसद मेघराज जैन ने तो जैसे मोर्चा ही खोल दिया। उन्होंने इस परिवार पर भाजपा कार्यकर्ताओं को धमकाने, दुर्व्यवहार करने जैसे गंभीर आरोप लगाए। मेघराज जैन ने तो यहां तक कहा कि भाजपा की अयोध्या को गौड़ परिवार ने लंका बना दिया। उनका इशारा मालिनी गौड़ के बेटे की तरफ है। अब देखना है यहां क्या स्थिति बनती है।

BJP's Mission-2023: कितनी तोमर की चलेगी, कितना संगठन सक्रिय होगा ?

राऊ में भाजपा ने टिकट घोषित कर दिया, पर यहां भी अंदरूनी हालात ठीक नहीं बताए जा रहे। अभी ग्रामीण क्षेत्र की तीन सीटों में से दो नाम घोषित होना बाकी हैं। इनमें एक है महू जहां से अभी तक ऊषा ठाकुर विधायक थी, पर इस बार लोग स्थानीय उम्मीदवार का नारा बुलंद किए हुए हैं। दूसरी सीट सांवेर है, जहां से तुलसी सिलावट को टिकट मिलने में कोई परेशानी दिखाई नहीं देती। लेकिन, देपालपुर से मनोज पटेल को टिकट देकर इलाके के भाजपा कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया। वहां तो मनोज पटेल का पुतला जलाया और जुलूस निकाला गया। माहौल देखकर स्थिति बहुत बेहतर नहीं कहीं जा सकती।

कमलनाथ के करीबी IAS अधिकारी हुए रिटायर

भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2003 बैच के IAS अधिकारी श्रीनिवास शर्मा 30 सितंबर को लंबे सेवाकाल के बाद रिटायर हो गए। बता दे कि श्रीनिवास शर्मा, जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे, तब छिंदवाड़ा के कलेक्टर थे और उनके निकट अधिकारियों में माने जाते हैं। बताया गया है कि जैसे ही भाजपा सरकार वापस सत्ता में आई श्रीनिवास शर्मा को तत्काल छिंदवाड़ा से हटाकर मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया।

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वे पहले GAD में एडिशनल सेक्रेटरी बनाए गए और वहीं पर प्रमोशन होने पर सेक्रेटरी बना दिए गए। माना जा रहा है कि रिटायरमेंट के बाद वे विधानसभा चुनाव को लेकर कमलनाथ के संपर्क में रहेंगे। वैसे श्रीनिवास शर्मा रीवा के रहने वाले हैं और वहां पर भी उन्हें कोई दायित्व सौंपा जा सकता है।

टिकट पाने के लिए संघर्षरत कई पूर्व IAS अधिकारी

किसी समय जिले में हुकुम चलाने वाले IAS अधिकारी इन दोनों राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय और नेताओं के बंगलों के चक्कर लगा रहे हैं। उनकी मंशा है कि येन केन प्रकारेण उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट मिल जाए और वे भी अपना भाग्य आजमा सके। इसके लिए वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं, जी जान एक कर रहे हैं। हालांकि जिस तरह से भाजपा की रणनीति चल रही है उसे देखते हुए उन्हें टिकट मिलेगा इस पर शंका ही है।

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हालत यह है कि जिन दिग्गज नेताओं ने उन्हें आश्वासन दिया था अब वे खुद ही विधानसभा में उम्मीदवार बनाए गए हैं। लेकिन फिर भी ये पूर्व IAS अधिकारी बीजेपी से टिकट पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इनमें बीजेपी से प्रमुख रूप से वेद प्रकाश, शिवनारायण सिंह चौहान, रविंद्र मिश्रा और महेश अग्रवाल शामिल हैं। इसी प्रकार कांग्रेस से डी एस राय और बी के बाथम भी टिकट के लिए प्रयासरत है।आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कौन अंततः बीजेपी का टिकट पाने में सफल होगा।

हाई फाई IPS अधिकारी ने निजी क्षेत्र की कंपनी ज्वाइन की

सत्ता के गलियारों में इन दिनों एक हाई फाई IPS अधिकारी के निजी क्षेत्र की कंपनी को ज्वाइन करने पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। सत्ता के शीर्ष नेताओं के खास रहे राकेश अस्थाना अब रेलिगेयर कंपनी में निदेशक बने हैं। वे गुजरात काडर के रिटायर्ड आई पी एस अधिकारी हैं ।

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वे सीबीआई में विशेष निदेशक, ब्यूरो आफ सिविल एविएशन सिक्यूरिटी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो तथा बीएस एफ के महानिदेशक और दिल्ली के पुलिस आयुक्त रहे थे। मोदी सरकार में उन्हे पुनर्नियुक्ति नहीं मिली। उनका सीबीआई का कार्यकाल काफी विवादास्पद रहा था।

CBDT के चेयरमैन नितिन गुप्ता के एक्सटेंशन पर सियासी गलियारों में आश्चर्य

सीबीडीटी के चेयरमैन नितिन गुप्ता को कार्यकाल में नौ महीने की बढ़ोतरी मिल गई है। वे अब अगले साल जून तक इस पद पर बने रहेंगे। वे भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं।

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उन्हें जिस प्रकार रिटायरमेंट के आखिरी दिन विस्तार दिया गया, उसे लेकर सियासी गलियारों में बहस जारी है। इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि हाल के दिनों में कई मुखिया सेवा विस्तार से वंचित रह गए थे, ऐसे में गुप्ता को विस्तार मिलना आश्चर्यजनक है।