Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:: IAS officer’s Service Meet 2023: 3 दिवसीय आयोजन की कमान युवा अफसरों के जिम्मे

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:

IAS officer’s Service Meet 2023: 3 दिवसीय आयोजन की कमान युवा अफसरों के जिम्मे

भोपाल: मध्य प्रदेश के IAS अफसरों की सर्विस मीट 2023,आगामी 20 से 22 जनवरी तक आयोजित की जा रही है। गत दो वर्षों से यह मीट कोरोना प्रकोप के कारण नहीं हो पाई थी।

MP IAS ASSOCIATION

मध्य प्रदेश IAS ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा दो वर्षों के बाद आयोजित इस 3 दिवसीय मीट में इस बार जिम्मेदारी युवा अधिकारियों को सौंपी गई है ।

आयोजन समिति के चेयरमैन 1993 बैच के अधिकारी नीरज मंडलोई हैं।
उद्घाटन, पैनल डिस्कशन,क्लोजिंग और पुरस्कार वितरण कमेटी के प्रमुख 1991 बैच के अधिकारी अशोक वर्णवाल हैं।
कल्चर कमेटी के प्रमुख मनु श्रीवास्तव, एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी के प्रमुख विवेक पोरवाल और स्पोर्ट कमेटी के प्रमुख संजय दुबे बनाए गए हैं।

सर्विस मीट के कल्चरल आयोजनों के लिए बनी सबकमिटी में शिल्पा गुप्ता, पी नरहरि, राघवेंद्र सिंह, विशेष गढ़पाले, स्मिता भारद्वाज और पल्लवी जैन गोविल को शामिल किया गया है।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: IAS officer's Service Meet 2023: 3 दिवसीय आयोजन की कमान युवा अफसरों के जिम्मे

स्पोर्ट कमेटी की सब कमेटी में चंद्रमौली शुक्ला, कार्थिकेयन, विश्वनाथन, राजीव रंजन मीणा, अनिरुद्ध मुखर्जी, डीपी आहूजा, अजय कटसेरिया, अजीत कुमार, लोकेश जांगिड़, प्रियंका दास, स्वतंत्र सिंह और अजय गुप्ता सदस्य बनाए गए हैं।

एडमिनिस्ट्रेटिव कमिटी की सब कमेटी में संजीव सिंह, स्वतंत्र सिंह, अभिजीत अग्रवाल, अविनाश लवानिया, आलोक सिंह और गणेश शंकर मिश्रा सदस्य के रूप में शामिल हैं।

बता दे कि इन कमेटियों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 85 से 90 बैच के अधिकारी शामिल नहीं है। दूसरे शब्दों में यह कहा जाए कि इस बार के आयोजन की कमान युवा अधिकारियों के हाथ में हैं तो गलत नहीं होगा।

बता दे कि मध्य प्रदेश IAS एसोसिएशन द्वारा यह मीट सन 2010 से प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है लेकिन पिछले 2 वर्षों से कोरोना महामारी के कारण यह मीट आयोजित नहीं हो सकी थी।

आखिर इस सियासी चर्चा का आधार क्या?

मध्यप्रदेश में क्या कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर होने वाला है! क्या अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा बदल जाएगा! ऐसी चर्चाओं से इन दिनों माहौल गरम है। लेकिन, किसी के पास ऐसी चर्चाओं को लेकर कोई पुख्ता आधार नहीं है। सवाल उठता है कि ऐसी बातें कहां से निकली और इनका निष्कर्ष क्या है! दरअसल, इन चर्चाओं के अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं! कुछ तर्क सोचने पर मजबूर करते हैं, कुछ तर्क निराधार हैं।

सियासी गलियारों में इस मामले को केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल से जोड़ा जा रहा है जो इस महीने में कभी भी हो सकता है।

narendra modi shivraj singh chouhan

इस फेरबदल को लेकर जो नाम दिल्ली के मीडिया में चल रहा है उनमें एक नाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी है। लेकिन, अभी सब कुछ समय के गर्भ में है। किसी के पास ठोस आधार नहीं है कि चुनाव में पहले पार्टी आलाकमान ऐसा क्यों करेगा!

राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। शायद कोई बदलाव हो, और यह भी संभव है कि शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में ही चुनाव कराए जाएं। क्योंकि, पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दो बार प्रदेश आए और दोनों बार उन्होंने प्रदेश के नेतृत्व की सराहना की! जिस तरह प्रदेश में चुनावी तैयारियां चल रही है, उसे देखकर लगता भी नहीं कि ऐसा कुछ होगा!


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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आज से आयोजित दो दिवसीय भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस पर विचार किया जा सकता है, पर, यदि ऐसा कुछ होगा तो निश्चित रूप से ये पार्टी की कोई बहुत बड़ी रणनीति का हिस्सा ही माना जाएगा।

आखिर इस IAS ने कहां और कैसी गलतियां की!

सामान्यतः IAS के कामकाज का तरीका ऐसा होता है, जिस पर उंगलियां कम ही उठती है। क्योंकि, उन्हें जो ट्रेनिंग मिलती है, उसमें वो सब सिखाया जाता है, जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। लेकिन, यदि किसी अधिकारी के काम से वरिष्ठ साथी को आपत्ति होने लगे तो निश्चित रूप से उसे गलत ही माना जाएगा। ये कोई पहेली नहीं बल्कि सच है। शहडोल के IAS अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा के नाम की इसी को लेकर खासी चर्चा है। इसलिए कि वे कुछ तो ऐसा कर रहे हैं, जो सही नहीं है।

Case Registered Against An IAS Officer

उनके कामकाज पर उंगली उठने का प्रमाण यह है कि कलेक्टर वंदना वैद्य ने अवकाश पर मुख्यालय से बाहर जाने पर पहली बार बजाए अर्पित वर्मा के अपना प्रभार अन्य आईएएस अधिकारी जो जिला पंचायत के सीईओ भी है, हिमांशु चंद्रा को सौंपा। जबकि, इससे पहले वे अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा को प्रभार देती आई हैं। लेकिन, अंदर की ख़बरें बताती हैं कि जब भी कलेक्टर ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी, आने के बाद उन्हें कई शिकायत मिली। ये एक बार नहीं दो बार हुआ।

बताया गया है कि कामकाज को लेकर अर्पित वर्मा का पुराना रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा नहीं रहा। इससे पहले वे जिन दो जिलों में पदस्थ थे, पता चला है कि वहां से भी उन्हें शिकायतों के बाद ही हटाया गया था। अब शहडोल तीसरा जिला है, जहां भी उनके कामकाज के तरीके को वरिष्ठ अधिकारियों ने पसंद नहीं किया और अब ये बात सामने भी आ गई। यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पहले दो जिलों में उनका रिकॉर्ड ख़राब हुआ अब उसकी हैट्रिक हो गई!

30 साल में 56 ट्रांसफर वाले IAS

इस देश में एक ऐसा भी IAS अधिकारी है, जिनके ट्रांसफर का रिकॉर्ड बन गया। हरियाणा कैडर के आईएएस अशोक खेमका के 30 साल की नौकरी में 56 बार ट्रांसफर हुए। सिविल सर्विस में आने से पहले खेमका 1988 में IIT खड़गपुर में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के टॉपर रह चुके हैं। अशोक खेमका 1991 बैच के IAS हैं। आईएनएलडी की सरकार के दौरान खेमका का 5 साल में 9 बार तबादला किया गया था! एक दशक के दौरान, उन्हें अक्सर महत्वहीन माने जाने वाले विभागों में तैनात किया गया है और उनके पूरे करियर में औसतन हर छह महीने में उनका तबादला किया गया है।

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खेमका अभी तक डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी से इसी पद पर आर्काइव डिपार्टमेंट में नियुक्त किया गया। लेकिन, उनका यह ट्रांसफर भी उनकी मर्जी से हुआ है। हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी सर्वेश कौशल को अशोक खेमका ने पत्र लिखा था कि डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के उच्च शिक्षा विभाग में विलय के बाद उनके पास ख़ास काम नहीं बचा।

इस अधिकरी का करियर विवादों और तबादलों से भरा रहा। पिछली बार उनका ट्रांसफर अक्टूबर 2021 में किया गया था। हरियाणा कैडर के 1991 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ने 2012 में उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े गुरुग्राम के एक जमीन सौदे का म्यूटेशन रद्द कर दिया था।

महापौर की प्रोटोकॉल वैल्यू दिखाई नहीं दी!

इंदौर में हुए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के दो बड़े आयोजनों, प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में बहुत कुछ घटा! कुछ सामने आया और कुछ कुछ छुपा रहा! ऐसा ही एक वाकया था इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव को लेकर सरकार का नजरिया बदलता दिखाई दिया। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान महापौर कहीं दिखाई नहीं दिए! ये कहा जाना बेहतर होगा कि उन्हें दिखाने में कोताही बरती गई।

Pushyamitra Bhargava

किसी भी महापौर को शहर का फर्स्ट पर्सन माना जाता है। माना जाना कोई रिवाज नहीं, बल्कि प्रोटोकॉल का हिस्सा है। लेकिन, प्रवासी भारतीय सम्मेलन में महापौर को किनारे किया गया और ये बात स्पष्ट भी हुई।

बताया गया और चर्चा में रहा कि मुख्य अथितियों के आगमन के दौरान उन्हें एयरपोर्ट पर जगह दी गई, पर उस सम्मान के साथ नहीं, जो उनका ओहदा है। प्रधानमंत्री के साथ लंच में भी वे कहीं दिखाई नहीं दिए, जो कि उनका अधिकार था।
उनको तवज्जो न दिए जाने की बातों पर जब टिप्पणी की जाने लगी तो बात वहां ऊपर तक पहुंची। इसका असर ये हुआ कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में उन्हें थोड़ी तवज्जो मिली। ग्लोबल गार्डन में अतिथि जब पौधे लगाने पहुंचे तो वे कई फोटो में मुख्यमंत्री के साथ दिखाई दिए! लेकिन, फिर भी इंदौर जैसे किसी महापौर को जिस तरह की प्रोटोकॉल वैल्यू मिलना थी, वो नहीं दिखाई दी!

सबकी नजरें संभावित मंत्रिमंडल विस्तार पर

सत्ता के गलियारों में अब सबकी नजर संभावित मंत्रिमंडल विस्तार पर है। चर्चाओं के अनुसार प्रधानमंत्री दस दिनों के अंदर मंत्रिमंडल में बदलाव और विस्तार कर सकते हैं। बताया गया है कि विस्तार में उन राज्यों को प्राथमिकता दी जा सकती है जहां इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। राजस्थान से केंद्र में पहले मंत्री रहे राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव दास का नाम दौड में सबसे आगे है।

15 IPS अधिकारियों को नयी जिम्मेदारी

दिल्ली पुलिस में बहुप्रतीक्षित फेरबदल में 15 IPS अधिकारियों को नयी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनके अलावा दिल्ली अंदमान निकोबार आईलैंड पुलिस सर्विस (दानिप्स) के पांच अधिकारी शामिल हैं। बताया जाता है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था को कसने के लिए पुलिस आयुक्त ने बडे पैमाने पर फेरबदल किया है

बजट की तैयारी में जुटा वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय इन दिनों अगले बजट की तैयारी में जुटा हुआ है। विभिन्न संगठनों, संघों औद्योगिक संगठनों से मिले सुझावों के बाद मंत्रालय उन पर विचार कर रहा है। चूंकि 2024 में आम चुनाव होने हैं, इसलिए बजट में इस बार कोई नया कर लगाने की संभावना कम लग रही है। बजट पहली फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा।

रक्षा उत्पादन सचिव के पद पर कोई नियुक्ति नहीं

प्राप्त संकेतों के अनुसार रक्षा मंत्रालय मे फिलहाल रक्षा उत्पादन सचिव के पद पर कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। यह पद दिसंबर 2021 से खाली है। रक्षा सचिव को ही इसका अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।