Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:अलग-थलग दिखाई देते सिंधिया

845

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: अलग-थलग दिखाई देते सिंधिया

मध्य प्रदेश की भाजपा राजनीति से अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अलग-थलग से दिखाई देने लगे हैं।
तीन साल पहले जब ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में अपने दल-बल के साथ शामिल हुए थे, तो उनका पलक पांवडे बिछाकर स्वागत हुआ था। इसलिए कि तब सिंधिया और उनके समर्थकों को भाजपा की सरकार बनने का माध्यम समझा गया था। लेकिन, अब स्थिति बदल गई है। धीरे-धीरे ज्योतिरादित्य भाजपा में उपेक्षित दिखाई देने लगे। अब उन्हें सभी कहीं मीटिंगों में शामिल नहीं किया जाता और न सभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: अलग-थलग दिखाई देते सिंधिया

क्योंकि अब वे पार्टी के लिए उतने महत्वपूर्ण नहीं रहे, जितना तीन साल पहले थे। वे धीरे-धीरे हाशिए पर जाते दिखाई दे रहे हैं। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें करीब 11 सौ से ज्यादा लोग शामिल थे। लेकिन, वहां यदि कोई नहीं था तो वे सिंधिया। उन्हें बुलाया नहीं गया या वे खुद नहीं आए, यह अलग मुद्दा है। लेकिन, उनकी गैर-मौजूदगी को गंभीरता से देखा गया है। इसके अलावा पिछले सप्ताह भाजपा की मध्य प्रदेश को लेकर हुए महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भी कहीं सिंधिया का नाम दिखाई नहीं दिया। गत बुधवार सीएम हाउस में दिल्ली से विशेष रुप से भोपाल आए नेताओं में भी सिंधिया नदारद थे।

इसलिए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि लगता है अब सिंधिया और उनके साथी भाजपा के किनारे पर लाए जा रहे हैं। यह सिर्फ कयास ही नहीं, बल्कि सिंधिया के हाव भाव से भी लगता है कि उन्हें भाजपा में महत्व नहीं मिल रहा है। अब देखना है कि विधानसभा चुनाव में उनके उन साथियों की क्या स्थिति बनती है, जो उनके साथ आज भी खड़े हैं। उनमें से कितनों को टिकट मिलता है और कितनों के टिकट कटते हैं। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि लेकिन यदि मंत्रिमंडल का पुनर्गठन होता है, तो उसमें भी सिंधिया समर्थकों की छंटनी किए जाने की बात की जा रही है।

बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की सुगबुगाहट

मध्यप्रदेश के सियासी और प्रशासनिक गलियारों में एक बार फिर यह चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करने जा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस सर्जरी में मंत्रालय से लेकर कुछ संभागीय कमिश्नर और कलेक्टर भी प्रभावित हो सकते हैं।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: अलग-थलग दिखाई देते सिंधिया

मंत्रालय में कई मंत्री अपने सचिवों और प्रमुख सचिव को लेकर परेशान हैं और कई बार मुख्यमंत्री से बदलने का आग्रह भी कर चुके हैं। हालत यहां तक है कि सिंधिया समर्थक एक मंत्री को ज्योतिरादित्य सिंधिया के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र लिखना पड़ा और उनसे कहलवाना पड़ा लेकिन अभी भी सीएम ने उनके प्रमुख सचिव को नहीं हटाया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान को स्वास्थ विभाग से हटाकर कोई महत्वपूर्ण विभाग सौंपा जा सकता है। माना जा रहा है कि उन्हें विद्युत या उद्योग विभाग की कमान फिर से सौंपी की जा सकती है। दीपाली रस्तोगी के पास दो भारी-भरकम विभाग हैं। इसमें से एक विभाग की जिम्मेदारी किसी दूसरे अफसर को दी जा सकती है। अनुसूचित जाति और जनजाति कार्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल भी अपने विभाग से हटना चाहती है क्योंकि उनकी अपने मंत्री से लंबे समय से पटरी नहीं बैठ रही है। पल्लवी जैन को कोई महत्वपूर्ण विभाग मिल सकता है। स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव अरुण शमी, जीएडी की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी, प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे, प्रमुख सचिव मुकेश गुप्ता के बदलने की भी सुगबुगाहट प्रशासनिक गलियारों में चल रही है।

इंदौर और उज्जैन के संभाग आयुक्त को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बदला जाना लगभग तय है क्योंकि इन्हें एक ही स्थान पर 3 साल का समय हो चुका है या होने वाला है। इसके अलावा रीवा के कमिश्नर अनिल सुचारी और शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा के नाम भी चर्चा में है। चंबल संभाग के आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार ग्वालियर संभाग के आयुक्त के पास है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए चंबल संभाग में अलग से आयुक्त पदस्थ किया जा रहा है।
करीब एक दर्जन कलेक्टर भी इधर-उधर किए जा सकते है। टीकमगढ़, गुना,विदिशा,पन्ना,रायसेन भिंड,अशोकनगर,राजगढ़, नर्मदा पुरम जिलों के कलेक्टर के बदलने की सुगबुगाहट है।

प्रह्लाद पटेल का वह ट्वीट ! 

कर्नाटक चुनाव के बाद मध्य प्रदेश भाजपा में बहुत कुछ घट रहा है। जो सतह से ऊपर आया उससे कहीं ज्यादा घट रहा है। पिछले दिनों अचानक एक खबर आई कि केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल को मध्य प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। यह खबर सोशल मीडिया जबरदस्त तरीके से चली और शाम तक उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया।  लेकिन, बाद में कहा गया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। सोशल मीडिया ने प्रहलाद पटेल को अध्यक्ष बना दिया और लोगों ने बधाई भी दे दी थी।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: अलग-थलग दिखाई देते सिंधिया

यहां तक तो ठीक था, लेकिन सवाल उठता है यह अफवाह क्यों उडी! कोई कुछ भी कहे, लेकिन इस अफवाह के गर्भ में प्रह्लाद पटेल का वह ट्वीट है, जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर अनुमान के साथ अफवाह उड़ी। इसलिए कि एक दिन पहले देर रात सीएम हाउस में चार नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई थी, जिसमें एक प्रह्लाद पटेल भी थे। इसके बाद प्रह्लाद पटेल ने हीं एक बेहद घूमाफिरा ट्वीट किया। उसमें नरेंद्र तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना बड़ा भाई, हमदर्द और न जाने क्या-क्या बताते हुए धन्यवाद दिया गया।

इस ट्वीट में कुछ ऐसा लिखा गया जिससे यह प्रतीत होता था कि प्रहलाद पटेल को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है, या शीघ्र ही मिलने वाली है। सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि जो अफवाह उड़ी, उसके पीछे यही ट्वीट आधार भी बना।

कांग्रेस में भी कुछ अच्छा नहीं चल रहा!

यदि ये समझा जाए कि भारतीय जनता पार्टी में कुछ अच्छा नहीं चल रहा, तो स्थिति कांग्रेस में भी बहुत ज्यादा बेहतर नहीं है। चुनाव से पहले दोनों पार्टियों में उठापटक का दौर चल रहा है। इस तारतम्य में डिंडोरी के जिला कांग्रेस अध्यक्ष को हटाए जाने के बाद वहां विद्रोह के हालात पैदा हो गए। हटाए गए अध्यक्ष के समर्थन में कई लोगों ने पार्टी छोड़ दी।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: अलग-थलग दिखाई देते सिंधिया

यहां तक कि विधानसभा चुनाव लड़ने तक की बात भी सामने आई। इसका कारण बताया गया कि कमलनाथ अपनी मनमानी करते हैं। अभी यह साफ नहीं हुआ है वास्तविकता क्या है! लेकिन, पन्ने पलटकर देखें तो पहले अध्यक्ष बनाकर उन्हें हटाए जाने की घटनाएं खंडवा और इंदौर में भी हुई। खंडवा में तो दो महीने बाद अध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन, इंदौर की फाइल चार महीने बाद अभी भी अटकी हुई है।

कुछ ऐसे ही हालात डिंडोरी में हुए और वहां विद्रोह के हालात बन गए। इस सबके पीछे कमलनाथ की मनमानी पर उंगली ज्यादा उठाई जा रही है। यदि इसी तरह चलता रहा तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए फिर से सत्ता हासिल करना केवल सपना बनकर ही रह जाएगा।

ऐसे सुझावों का क्या मतलब?

इंदौर में ‘गौरव दिवस’ के कार्यक्रम 25 मई से शुरू हो गए, जो 31 मई तक चलेंगे। लेकिन, पिछली बार की तरह इस बार के कार्यक्रमों का शहर में कोई माहौल नहीं बना। ये आयोजन पूरी तरह सरकारी दिखाई दे रहे हैं। इसमें नगर निगम और जिला प्रशासन शामिल है, लेकिन दोनों में भी सामंजस्य दिखाई नहीं दे रहा। खास बात यह कि महापौर इसका श्रेय लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। लेकिन, एक मामले में वे चूक गए।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: अलग-थलग दिखाई देते सिंधिया

26 मई को ‘इंदौर गौरव दिवस’ को लेकर शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की एक बैठक बुलाई गई। इसमें कई उद्योगपति, सामाजिक और व्यापारिक संगठनों के अध्यक्ष और कई प्रमुख व्यक्ति शामिल हुए। महापौर ने उनसे ‘इंदौर गौरव दिवस’ को लेकर सुझाव मांगे और उन्होंने दिए भी। लेकिन, सवाल यह है, कि जब 25 मई से कार्यक्रम शुरू हो गए तो 26 मई को बैठक बुलाकर सुझाव क्यों मांगे गए। जो सुझाव दिए गए क्या उनको कार्यक्रमों में अब शामिल किया जाना संभव है!
इसलिए लगता है कि  यह बैठक महज औपचारिकता है। यदि वास्तव में महापौर ‘इंदौर गौरव दिवस’ में शहर के लोगों की सहभागिता चाहते, तो यह मीटिंग कम से कम एक महीने पहले होना थी, ताकि जब 7 दिन के कार्यक्रमों की रूपरेखा बनती तो उनमें सुझावों को भी शामिल किया जाता। यह औपचारिकता के साथ इंदौर के प्रबुद्ध नागरिकों का अपमान भी है। उन्हें बुलाया गया, सुझाव भी लिए गए लेकिन उनका होना कुछ नहीं है।

IAS नियाज खान की चर्चित किताब अब हिंदी में!

‘द कश्मीर फाइल्स’ फ़िल्म पर अपनी टिप्पणी को लेकर विवादों में रहे आईएएस अधिकारी नियाज खान की अंग्रेजी के बाद हिंदी में भी ब्राम्हणों पर लिखी किताब आज रिलीज हो रही है। नियाज़ ने हाल ही में ट्वीट कर इसके कवर पेज की जानकारी दी। अंग्रेजी में यह किताब तीन महीने पहले आई थी।

FxLVSScaMAEYnMc

जब अंग्रेजी वाली किताब आई थी, तब इस चर्चित आईएएस को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था। उन्होंने ट्रोलर्स को जवाब देते हुए ट्वीटर लिखा था कि लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि मैंने ‘ब्राम्हण द ग्रेट’ क्यों लिखा? इस पर नियाज खान ने जवाब दिया कि ब्राह्मण बहादुरी, दयालुता और ईमानदारी का नाम है। ब्राह्मण एक प्रतिभा का नाम है। साथ ही ब्राह्मण बलिदान का नाम है। आगे उन्होंने कहा था कि ब्राह्मण देशभक्त का भी नाम है। ब्राह्मण संस्कृति और धर्म के रक्षक है।

अब ये किताब हिंदी में भी आ रही है और निश्चित रूप से इसकी चर्चा फिर होगी। क्योंकि, प्रदेश में जिस तरह का माहौल है, एक मुस्लिम आईएएस का ब्राह्मणों को ग्रेट बताते हुए किताब लिखना बड़ी बात ही कहीं जाएगी।


Read More… Kissa-A-IAS : लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए IAS अफसर 


दिल्ली पुलिस मे जल्दी ही बडा फेरबदल

दिल्ली पुलिस मे जल्दी ही बडा फेरबदल होने जा रहा है। सूत्रों का कहना है इस फेरबदल मे सहायक आयुक्त से लेकर विशेष आयुक्त तक प्रभावित होंगे। बताया जाता है कि पुलिस आयुक्त को गृह मंत्रालय से भी इस फेरबदल की अनुमति मिल गई है।

नये संसद भवन का उद्घाटन: काम नहीं आए विपक्ष के हथकंडे

तमाम राजनीतिक रस्साकसी के बीच आखिर नये संसद भवन का उद्घाटन हो गया। प्रधानमंत्री मोदी को उद्घाटन करने से रोकने के लिए विपक्ष ने तमाम बयानबाजी की, हथकंडे अपनाए, सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी। छोटे बड़े 25 दल भाजपा के साथ खडे हुए और उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। सत्ता के गलियारों में भी विपक्ष के इस नकारात्मक राजनीति की काफी आलोचना की गई।

आप नेताओं से नाराज ब्यूरोक्रेसी

दिल्ली की आप सरकार केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष दलों अपने पक्ष में करने के लिए बहुत जोर लगा रही है। कयी विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री केजरीवाल के समर्थन में बयान भी दे चुके हैं, लेकिन जानकारों का कहना है केंद्र सरकार दिल्ली के तबादले और पोस्टिंग संबधित अध्यादेश को राज्य सभा से पारित करवा ले जाएगी। आप की सबसे बड़ी समस्या यह है कि दिल्ली के अधिकांश अधिकारी आप के नेताओं से नाराज बताए जाते हैं।

 

Author profile
Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।