Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista :सिंधिया का हमला और दिग्विजय सिंह का स्टेट ड्राइव!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : सिंधिया का हमला और दिग्विजय सिंह का स्टेट ड्राइव!

मध्य प्रदेश के दो दिग्गज नेता या यूं कहे राजा महाराजा दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में छापामार बयानबाजी अक्सर चलती रहती है। दोनों को सीधा हमला करते कम ही देखा गया। पर, हाल ही में दोनों ने बकायदा एक-दूसरे पर सीधे तीर चलाए! हुआ यूं कि सिंधिया ने एक बयान दिया कि मुझे इस बात का आश्चर्य भी है और दुःख भी है कि कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह का चेहरा अपने पोस्टर से हटा दिया।

एक रैली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो रैली निकल रही है, उसके लिए लगाए गए पोस्टर में कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के चेहरे हैं, लेकिन दिग्विजय सिंह जी का नहीं है। क्या यही मान सम्मान कांग्रेस पार्टी में अपने दो बार के मुख्यमंत्री का, कि उनको पोस्टर से ही गायब कर दिया।

सिंधिया के बयान का दिग्विजय सिंह ने भी जवाब दिया और कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था, तब भी मैं शासकीय विज्ञापनों में अपनी फोटो नहीं लगवाता था। मैं विचारधारा की राजनीति करता हूँ न कि सेल्फ प्रमोशन की। मैंने स्वयं ने अपना फोटो लगाने से मना कर दिया था। यह शौक़ आपको ही मुबारक हो ‘महाराज।’ धन्यवाद!

पानी का कहर और कलेक्टर की मुस्तैद भूमिका!

इंदौर शहर ने पिछले दो दिनों में जिस तरह की बारिश का कहर देखा, वो कई साल बाद का अनुभव था। बताते हैं कि 6 दशक पहले ऐसा पानी गिरा था। लेकिन, इस कठिन समय में प्रशासन और खासकर इंदौर कलेक्टर डॉ इलैया राजा की तारीफ की जाना चाहिए कि उन्होंने सारी व्यवस्था को संभालने की कमान अपने हाथ में लेकर रखी और उसी के अनुसार अपनी टीम से काम भी कराया।

पहले दिन जब बारिश का कहर शुरू हुआ तो कलेक्टर पूरी रात शहर में अपनी टीम के साथ घूमते रहे। यहां तक कि वे नगर निगम के कंट्रोल रूम में भी पहुंचे और वहां आने वाले कई फोन पर खुद लोगों से बातचीत की और उन्हें मदद पहुंचाई। उन्होंने जनता के लिए एक अपील भी जारी की और अपने सभी बड़े अधिकारियों के मोबाइल नंबर के साथ बताया कि किसी भी मुसीबत की घड़ी में वे इनसे सीधे संपर्क करें।

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किसी कलेक्टर के ओहदे वाले व्यक्ति का इस तरह जमीन पर उतरकर काम करना लोगों को बहुत पसंद आया। उसी का नतीजा था कि कुछ ही घंटे में 14 इंच बारिश के बाद भी कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। जबकि, शहर की कई बस्तियां जलमग्न हो गई, मकान क्षतिग्रस्त हो गए, यहां तक कि भाजपा की एक पूर्व मंत्री रंजना बघेल का बेटा तक बह गया, जिसे बचा लिया गया।

कलेक्टर की मुस्तैदी से ही 200 से ज्यादा लोगों को पानी से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। निश्चित रूप से इसका श्रेय कलेक्टर और उनकी टीम को दिया जाना चाहिए। यह एक ऐसा उदाहरण है जो बताता है कि यदि मुखिया मुस्तैद होगा, तो उसकी सेना भी उसी चुस्ती से काम करेगी। इससे पहले भी कलेक्टर नाईट कल्चर में अराजकता की शिकायत मिलने पर रात 3 बजे तक शहर में घूमते रहे थे।

इसलिए निशाने पर आए सांसद शंकर लालवानी!

इंदौर में भारतीय जनता पार्टी के एक ऐसे नेता भी जो मीटिंग और कार्यक्रमों में शामिल होने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्हें हर कार्यक्रम और मीटिंग के अलावा हर मंच पर स्थाई रूप से देखा जा सकता है। यह बात अलग है, कि इसमें उनकी उपयोगिता होती है या नहीं। लेकिन, वे अपनी तरफ से ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते। ये नेता हैं सांसद शंकर लालवानी।

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इंदौर में पिछले दिनों घमासान पानी गिरा। शहर का जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। सांसद ने भी एक ट्वीट किया और लोगों को बेवजह घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी। कहा कि ऐसे माहौल में यदि जरूरी नहीं हो, तो घर से बाहर नहीं निकलें। बात सही भी है। लेकिन, यह ट्वीट करने के थोड़ी देर बाद उन्होंने खुद ने अंगदान को लेकर एक बैठक बुला ली और पहुंच गए। इसके बाद वे सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुए।

अब उनसे कोई यह पूछे कि जब वे एक तरफ लोगों को घर से बाहर नहीं निकालने की सलाह दे रहे हैं, तो क्या कारण था कि भारी बारिश में उन्होंने यह बैठक बुला ली। बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को लेकर उन्होंने अंगदान का एक अभियान शुरू करने का विचार किया और इसलिए यह बैठक भी बुलाई। यह पहला मौका नहीं है जब सांसद शंकर लालवानी ने ऐसा काम किया हो, वे पहले भी कई बार ऐसे कई काम करके लोगों के निशाने पर आ चुके हैं।

 मोघे को सिंधिया की सलाह और उसका इंपैक्ट!

भारतीय जनता पार्टी में यदि वरिष्ठता के हिसाब से देखा जाए, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और कृष्णमुरारी मोघे में लंबा फासला है। उम्र में भी और अनुभव में भी। लेकिन, यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी के नेताओं के सामने मोघे जी को पार्टी के आचार संहिता सिखाने लगे तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। दरअसल, ऐसा हुआ भी है।

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पिछले दिनों इंदौर एयरपोर्ट पर सिंधिया का स्वागत करने जो नेता पहुंचे, उनमें मोघे जी भी थे। ‘महाराज’ के आने से पहले लाइन भी लगाई गई। सब खड़े थे, तभी सिंधिया एयरपोर्ट के लाउंज में आए तो सबने उनका स्वागत किया। इस बीच, बताया जाता है कि सिंधिया खुद आगे बढे और मोघे जी के पास पहुंचे। उन्होंने मराठी में पार्टी को लेकर मोघे को जो कहा वो सुनकर वहां मौजूद सभी नेता एक-दूसरे का मुंह देखने लगे।

वहां मौजूद एक नेता की बात पर यदि यकीन करें तो सिंधिया ने मोघे जी से जो कहा उसका लब्बो-लुआब ये था कि आप पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।आप क्यों पार्टी विरोधी टिप्पणियां करते हैं? सिंधिया की समझाइश पर मोघे जी ने तो वहां कोई जवाब नहीं दिया और न कोई बात ही की। लेकिन, दूसरे दिन फिर अखबारों में पार्टी के इस वरिष्ठ नेता का एक बयान छपा कि भाजपा का कार्यकर्ता संपर्क और सम्मान से वंचित हो रहा है। इससे यह समझ लिया जाना चाहिए कि उन्होंने सिंधिया की बात को कितना गंभीरता से लियाl

एक IAS जो मुश्किल घड़ी में भी अविचलित!

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कलेक्टर दिव्या मित्तल का पिछले दिनों तबादला हुआ तो शहर की जनता ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। उनका जिस तरह विदाई समारोह मनाया गया, वह उत्तर प्रदेश के किसी नेता की आंखों में चुभ गया। इसका असर यह हुआ कि उनका जिस जिले में इसी पद पर तबादला किया गया था, उसे रोक दिया गया। उनकी जगह किसी अन्य आईएएस अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई। इस वजह से दिव्या मित्तल अभी भी नियुक्ति के इंतजार में हैं।

इसके बावजूद भी दिव्या मित्तल के सोच और सक्रियता में कोई अंतर नहीं आया। जबकि, सिविल सर्विस में यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन, दिव्या मित्तल को सोशल मीडिया पर जिस तरह देखा और पढ़ा जा रहा है, उसे देखकर लगता है कि उन्हें तबादला राजनीति से कोई फर्क नहीं पड़ा। इसलिए कि उनकी योग्यता सामान्य से अलग है।

वे ऐसी स्थितियों से विचलित होने वाले अफसरों में हैं भी नहीं। वे IPS भी रहीं और बाद में IAS बनी हैं। उससे पहले उन्होंने दिल्ली IIT से बी-टेक किया और बेंगलुरु आईआईएम से एमबीए किया। लंदन में कुछ समय नौकरी भी की। इसलिए वे अपने खिलाफ राजनीतिक कुचक्र से जरा भी प्रभावित नहीं हुई।

अब जरा हाल के उनके कुछ आध्यात्मिक नजरिए वाले ट्वीट भी देखिए :

– मौन का अनुभव करें। ब्रह्माण्ड को अपना काम करने दें। आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं।

– यदि आप पीछे मुड़कर देखते रहेंगे, तो आप निश्चित रूप से आगे बढ़ने का रास्ता खो देंगे।

– आपको बहुत अधिक दोस्तों की आवश्यकता नहीं है। बस कुछ लोग, जो चाहे कुछ भी हो, आपके साथ रहेंगे, आपके जीवन जीने के लिए काफी हैं।

– कुछ नया शुरू करना, हर किसी के लिए मुश्किल होता है। आप खोया हुआ और अराजकता का माहौल महसूस करेंगे। लेकिन, अगर आप चलते रहेंगे, तो कई नए रास्ते सामने आ जाएंगे।

ED में संजय मिश्र का युग समाप्त

आखिर एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट मे संजय कुमार मिश्र का युग समाप्त हो गया। लगभग पांच साल तक वे निदेशक रहे। वे सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहने वाले अधिकारी है। वे आई आर एस – आई टी के अधिकारी है।

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सरकार ने फिलहाल नियमित नियुक्ति न करके विशेष निदेशक राहुल नवीन को प्रभारी निदेशक बनाया है। नवीन भी आई आर एस – आई टी के अधिकारी है। इसी बीच चर्चा है कि सरकार इस पद पर स्थाई नियुक्ति की जल्दी नहीं करने वाली है। हालांकि इस पद के लिए आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी अपने स्तर पर अंदर ही अंदर प्रयास कर रहे हैं।

संसद के विशेष सत्र पर सबकी निगाहें

संसद के विशेष सत्र, जो सोमवार से शुरू हो रहा है, पर सबकी निगाहें है। बताया जाता है कि इस सत्र में आजादी के 75 साल के जश्न पर खास चर्चा होगी। करीब आधा दर्जन बिल भी प्रस्तुत किए जाने की भी संभावना है।

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अगर सूत्रों पर भरोसा करे तो निर्वाचन आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी बिल लाया जा सकता है। बताया जाता है कि इस सत्र में प्रश्नकाल भी नहीं होगा। वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर भी पूरे देश में चर्चा है कि क्या इसे लेकर भी इस विशेष सत्र में कोई महत्वपूर्ण चर्चा या निर्णय होने वाला है?

क्या दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को मिलने वाली है बड़ी जिम्मेदारी!

केंद्र सरकार में प्रशासनिक स्तर पर विशेष फेरबदल की सुगबुगाहट भले ही हो, लेकिन फिलहाल कोई खास बदलाव नहीं हो रहा। सीआईएसएफ के डीजी का पद फिलहाल खाली है जिस पर इस महीने के अंत तक नियुक्ति की संभावना है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली के पुलिस आयुक्त का नाम सी आई एस एफ के डीजी की दौड़ में आगे चल रहा है।