वंदे भारत, वंदे मध्यप्रदेश…

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वंदे भारत, वंदे मध्यप्रदेश…

एक अप्रैल 2023 की तारीख मध्यप्रदेश के लिए खास हो गई। इस दिन देश के प्रथम विश्वस्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत हुई है। प्रदेश की राजधानी से देश की राजधानी जाने और वापस लौटने का एक श्रेष्ठ विकल्प भोपालवासियों को मिल गया है। यह दिन इसलिए भी खास रहा कि पहली बार तीनों सेनाओं के कमांडर्स की बैठक देश की राजधानी से बाहर मध्यप्रदेश की राजधानी में हुई। और यह बैठक एक बार फिर सभी को चेतावनी दे गई कि कोरोना की उपेक्षा करना बड़ी भूल साबित हो सकती है। प्रधानमंत्री की बैठक में शामिल होने के लिए जब कोविड‌ टेस्ट से गुजरे तो नौसेना प्रमुख एडमिरल हरि कुमार का कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया। उन्हें कमांडर्स कॉन्फ्रेंस बीच में छोड़कर वापस दिल्ली लौटना पड़ा। यह भी इतिहास में दर्ज हो गया और सबसे बड़ी बात यह वाकया सभी को सचेत कर गया कि लापरवाही मत बरतो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर ऐतिहासिक भाव भी प्रकट किया कि “यह आयोजन जिस आधुनिक और भव्य रानी कमलापित स्टेशन पर हो रहा है, उसका लोकार्पण करने का सौभाग्य भी आप सबने मुझे दिया था। आज मुझे यही से दिल्ली के लिए भारत के आधुनिकतम वंदे भारत ट्रेन को रवाना करने का अवसर दिया है। इस आधुनिक भारत में नई व्यवस्थाएं बन रही हैं, नई परंपराएं बन रही हैं। आज का कार्यक्रम इसी का एक उत्तम उदाहरण है। रेलवे के इतिहास में बहुत कम ऐसा हुआ होगा कि एक ही स्टेशन पर इतने कम अंतराल में किसी प्रधानमंत्री का दोबारा आना हुआ हो।” तो यहां रेलवे के इतिहास वाली बात भी सामने आ गई। यह तारीख इसलिए भी खास हो गई क्योंकि मोदी ने एक बार फिर उपलब्धियों को गिनाते हुए मध्यप्रदेश की दिल खोलकर तारीफ की।
रेल क्षेत्र में पिछले नौ साल में केंद्र सरकार की उपलब्धियों की बात करते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय रेल सुविधाओं की पर्याय बन गई है। तो जिक्र किया कि मध्यप्रदेश के लिए भी इस बार 13 हजार करोड़ से अधिक का रेलवे का बजट आवंटित किया गया है। जबकि 2014 से पहले मध्यप्रदेश के लिए हर वर्ष औसतन 600 करोड़ का बजट होता था। कहां 600 और कहां आज 13 हजार करोड़ का बजट। है न बड़ी सौगात वाली बात और फिर मध्यप्रदेश की तारीफ का दौर चला कि साथियों, जिन 11 राज्यों में शत प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है उसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। खेती हो या उद्योग हो आज एमपी का सामर्थ्य भारत के सामर्थ्य को ताकत दे रहा है। साथियों मुझे खुशी है, मध्य प्रदेश आज पुराने दिनों को पीछे छोड़ चुका हेै।
अब मध्य प्रदेश निरन्तर विकास की नई गाथा लिख रहा है। खेती हो या फिर उद्योग आज एमपी का सामर्थ्य भारत के सामर्थ्य को विस्तार दे रहा हैं। उनमें से अधिकतर में एमपी का प्रदर्शन प्रशंसनीय है। आज एमपी गरीबों के घर बनाने में अग्रणी राज्यों में है, हर घर जल पहुचाँने के लिए भी मध्य प्रदेश अच्छा काम कर रहा है। गेहूँ सहित अनेक फसलों के उत्पादन में भी हमारे मध्य प्रदेश के किसान नये रिकार्ड बना रहें हैं। उद्योगों के मामले में भी राज्य निरन्तर नये कीर्तिमानों की तरफ बढ रहा है। तो है न इक्कीसवीं सदी के मध्यप्रदेश की उपलब्धियों की तस्वीर। या कहा जाए कि इक्कीसवीं सदी में भाजपा और शिवराज के परिश्रम की पराकाष्ठा के बाद गढ़े गए मध्यप्रदेश की बदली तस्वीर की तारीफ। और फिर मोदी ने अपेक्षा भी जताई कि हमें विकसित भारत में मध्यप्रदेश की भूमिका को और आगे बढ़ाना है। तो एक अप्रैल मध्यप्रदेश और शिवराज का दिन भी बन गया, जब मोदी से मिली तारीफ का एक अवसर और मिला। तो मध्यप्रदेश को अपनी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिली है। इससे भोपाल और दिल्ली का सफर और तेज हो जाएगा।
तो एक अप्रैल 2023 का दिन मध्यप्रदेश के लिए खास बन गया। एक और बात का जिक्र करना जरूरी है कि एक अप्रैल 2023 का दिन खरगोन जिले में सरवरदेवला गांव में पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. सुभाष यादव की प्रतिमा का अनावरण हुआ और राज्य स्तरीय किसान और सहकारी सम्मेलन में दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने स्व. सुभाष यादव को श्रद्धांजलि दी। तो भाजपा ने वह वीडियो भी ट्वीट किया है जिसमें मंच से यह मांग की गई कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग से हो। मंच से कमलनाथ व अन्य कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में यह दर्द बयां किया गया कि “इस प्रदेश में न सुभाष यादव और न शिवभानु सोलंकी मुख्यमंत्री बन सके है , इस बार इस वर्ग से ही सीएम हो…। अब यहां आइना नाथ को दिखाया गया या फिर यह सब बस पिछड़ा वर्ग के मन की बात थी, जो जुबां पर आ गई। खैर कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र में यह सब सहज स्वीकार्य है। पर यह बात तो सबको स्वीकार्य है ही कि वंदे भारत और वंदे मध्यप्रदेश…।