
Kamini Kaushal Passes Away: दिग्गज अभिनेत्री कामिनी कौशल का 98 वर्ष की आयु में निधन .महज 20 साल की उम्र में पहली बार नज़र आयीं थी बड़े पर्दे पर
भारतीय सिनेमा की वरिष्ठ अभिनेत्री कामिनी कौशल का 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। अपने लंबे करियर में उन्होंने लगभग 90 फिल्मों में अदाकारी का जादू बिखेरा और हीरोइन से लेकर मां और सहायक पात्रों तक कई यादगार किरदार निभाए।
हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग की शेष अंतिम कड़ियों में से एक, दिग्गज अभिनेत्री कामिनी कौशल ने 14 नवंबर, 2025 को 98 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
कामिनी कौशल उर्फ़ उमा कश्यप का करियर सात दशकों से भी अधिक लंबा रहा, जिसकी शुरुआत उन्होंने 1946 में ऐतिहासिक फिल्म ‘नीचा नगर’ से की थी, जिसने कान फिल्मोत्सव में पाल्मे डी’ओर (गोल्डन पाम) जीता था। अपनी सादगी, स्वाभाविक अभिनय और मनमोहक मुस्कान से उन्होंने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। सबसे अधिक याद रह जाती है उनकी सौम्य छवि और कानों में रस घोलती मीठी आवाज़।

वे दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर जैसे महान कलाकारों की समकालीन नायिका रहीं और ‘बिराज बहू’ (1954) जैसी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी जीता।कामिनी कौशल ने अपने फिल्मी करियर में बहुत सी फिल्मों में काम किया जिनमें शहीद, नदिया के पार, शबनम, आरज़ू और बिराज बहू, दो भाई, ज़िद्दी, शबनम, पारस, नमूना, झंझर, आबरू, बड़े सरकार, जेलर, नाइट क्लब जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं।
कामिनी की फिल्म नीचा नगर हिट साबित हुई थी। उनकी इस फिल्म को कान्स फेस्टिवल में भी बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला था। फिल्मों के साथ कामिनी ने टीवी सीरियल्स में भी काम किया था. जिसमें चांद सितारे शामिल है जो दूरदर्शन पर आता था। जहाँ शुरुआती दौर में वह नायिका के रूप में चमकीं, वहीं बाद के वर्षों में उन्होंने चरित्र भूमिकाओं, खासकर माँ और दादी के किरदारों को भी अपनी गरिमामय उपस्थिति से जीवंत कर दिया। मतलब ये कि 1946 की नीचा नगर से 2022 की लाल सिंह चड्ढा तक की लंबी और शानदार पारी में लगभग चार पीढ़ियाँ उनकी अविस्मरणीय अभिनय यात्रा की साक्षी रहीं। चेन्नई एक्सप्रेस, कबीर सिंह और लाल सिंह चड्ढा जैसी हालिया फिल्मों में उन्हें देखना उनकी सक्रियता के प्रति अभिभूत भाव उत्पन्न कर देता था पर उस लंबी पारी का अंत हो गया।
कामिनी कौशल जी का निधन हिंदी सिनेमा के उस गौरवशाली अध्याय का अंत है जो अब लगातार बीत जाने की ओर अग्रसर है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
अंजू शर्मा ,नयी दिल्ली





