आज की बात : (वॉक) पैदल चलना-
Walking is Best at Both Times : सुबह पैदल चलने से दिन की शुरुआत अच्छी होती है,शाम के समय की गयी वॉक से नींद बेहतर आती है
अशोक बरोनिया
मैं अक्सर स्व अनुभव आधारित स्वास्थ्य संबंधित आलेख लिखता रहता हूँ। मॉर्निंग वॉक के ऊपर भी लिखता रहा हूँ। मुझसे अक्सर लोग पूछते हैं कि वॉक सबेरे करना चाहिए या शाम को? आज इसी पर यह आलेख है।
मॉर्निंग वॉक (सुबह पैदल चलना) के फायदे:
सुबह लंबी दूरी तक पैदल चलने से दिन की शुरुआत अच्छी होती है। जब दिन की शुरुआत पैदल चलने या व्यायाम से करते हैं तो हमारे पेट में ऐसे केमिकल्स निकलते हैं जिससे मूड अच्छा होता है। सुबह के समय वॉक करने पर कमजोर मेटाबॉलिज़म बेहतर होता है। सुबह की धूप से विटामिन डी भी अच्छा मिल जाता है। सुबह के समय वॉक करने से पूरे दिन हम ऊर्जावान बने रहते हैं। साथ ही वॉकिंग बढ़ते वजन को कंट्रोल करती है और दिल की सेहत को भी दुरुस्त रखती है।
शाम को वॉक करने फायदे:
शाम का वॉक भी सेहत को कई फायदे दिलाता है। शाम या रात के समय वॉक करने से दिनभर के तनाव से मुक्ति मिलती है। शाम के समय मसल्स ज़्यादा एक्टिव रहते हैं इसलिए ज़्यादा देर तक भी वॉक की जा सकती है। कई शोधों में यह माना गया है कि सुबह और शाम के समय की गयी वॉक से नींद बेहतर आती है।
अच्छी सेहत के लिए निरंतर वॉक है ज़रूरी:
अगर सुबह के समय वक्त मिलता है तो सुबह के समय वॉक करें, जो सर्वोत्तम है। लेकिन अगर शाम के समय टाइम मिलता है तो आप शाम के समय टहलें। सुबह या शाम कभी भी वॉक करें लेकिन यह रोजाना होनी चाहिए। अगर दोनों ही समय वॉक कर सकते हैं तो निसंदेह यह सर्वश्रेष्ठ स्थिति है।
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आफिस में जाने वाले अगर सुबह या शाम दोनों समय टहलने के लिए वक्त नहीं निकाल पाते हैं तो ऑफिस में जब लंच ब्रेक हो तो 15 मिनट वॉक करने के लिए भी निकालना बेहतर होता है। मैंने अपने आफिस में एक पोडियम स्टेंड रखा हुआ था। खड़े होकर पोडियम स्टेंड पर फाइलें रखकर निपटाता था।
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ऑफिस में खड़े-खड़े पैर भी चलाता रहता था तथा करीब हर आधे घंटे में चेंबर के अंदर ही वॉक कर लिया करता था। सब्जी लेने हमेशा पैदल जाता था और आफिस भी कई बार पैदल ही आनाजाना करता था। लिफ्ट की बजाय मैं सामान्यतः सीढ़ियों का ही इस्तेमाल करता था और आज 70 वर्ष की उम्र में भी मैं सीडियां चढ़ना ज्यादा पसंद करता हूँ बजाय लिफ्ट के। मेरी नौकरी के दिनों की यह दिनचर्या मुझे स्वस्थ रखने में काफी मददगार साबित होती रही है।
सेवानिवृत्ति के बाद 10 से 13 हजार कदम रोजाना मार्निग वॉक में चलता ही हूँ। दिनभर में भी पास कहीं भी आनाजाना पैदल ही करता हूँ। इसतरह दिनभर में करीब 13 से 17 हजार स्टेप्स चल ही लेता हूँ। कोरोना काल में मैं घर के अंदर छत पर वॉक किया करता था। पानी गिरने की स्थिति में भी वॉकिंग कभी नहीं रोकता हूँ। हल्की बारिश होने पर छाता लेकर निकलता हूँ या फिर घर के अंदर ही दिनभर वॉक कर लेता हूँ।
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तात्पर्य यह है कि हमें निष्क्रिय बैठने की बजाय हमेशा अपने शरीर को सक्रिय रखना चाहिए। यह सक्रियता वाकिंग से, साइकिलिंग से, व्यायाम से और योग से हमेशा बनी रहती है। मेरी दृष्टि में महत्वपूर्ण दीर्घायु होना नहीं है, स्वस्थ रहते हुए (बिना किसी के आश्रित हुए) स्वर्ग सिधारना अधिक महत्वपूर्ण तथा श्रेयस्कर है।