पूर्व मंत्री (Minister) को जूतों से पीटने की चेतावनी

459

पूर्व मंत्री (Minister) को जूतों से पीटने की चेतावनी;

ratlam 01 01

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के इंदौर जिलाध्यक्ष मान सिंह राजावत ने मप्र कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व मंत्री को जूतों से पीटने की घोषणा सोशल मीडिया पर की है। दरअसल पूर्व मंत्री का पिछले दिनों एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे कांग्रेस के एक कार्यकर्ता को बेहद गंदी गालियां दे रहे थे। वे अपनी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति भी आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर रहे थे। मान सिंह राजावत ने फेसबुक पर लिखा है कि पूर्व मंत्री ने राजपूत समाज के व्यक्ति को गालियां दी हैं। वे पहले भी इस तरह की हरकतें कर चुके हैं। अब इसका बदला लेने पूर्व मंत्री की जूतों से पिटाई की जाएगी। इस बारे में अभी तक पूर्व मंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सहकारिता विभाग में बड़ा खेल!

इस सप्ताह सहकारिता विभाग में बड़ा खेल हो गया और किसी को भनक भी नहीं लगी। सोमवार को मप्र राज्य सहकारी आवास संघ की सामान्य सभा की बैठक बुलाई गई और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दो बड़े फैसले ले लिए गये। पहला – सहकारिता विभाग के रिटायर प्रथम श्रेणी अधिकारी को आवास संघ का प्रबंध संचालक बनाया जा सकता है। दूसरा – भोपाल में रंगमहल के सामने स्थित आवास संघ के करोड़ों रुपये के मुख्यालय भवन को निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। दरअसल आवास संघ के प्रबंध संचालक अरविन्द सेंगर दस दिन बाद 30 जून को रिटायर हो रहे हैं। वे रिटायरमेंट के बाद भी इसी कुर्सी पर जमे रहना चाहते हैं। आमसभा की बैठक में एक्ट के विरूद्ध फैसले लिए जा रहे हैं इसकी भनक लगते ही सहकारिता मंत्री और आयुक्त सहकारिता ने इस बैठक से दूरी बना ली थी। सवाल यह है कि सेंगर ने किसके संरक्षण में यह फैसले किये हैं?

महल पर भारी सब्जी व्यापारी

ग्वालियर से इस सप्ताह बेहद चौंकाने वाली खबर है। ग्वालियर चंबल संभाग की राजनीति में सबसे ताकतवर महल (ज्योतिरादित्य सिंधिया) पर इस बार एक सब्जी व्यापारी भारी पड़ गया। ग्वालियर महापौर प्रत्याशी के चयन में भाजपा ने इस सब्जी व्यापारी की कड़ी आपत्ति के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की सलाह को नजरअंदाज कर दिया। अंदर खाने से निकलकर आई खबर पर भरोसा करें तो महापौर पद के लिए सिंधिया ने पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता का नाम आगे बढ़ाया था। समीक्षा गुप्ता ने पिछला विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था, जिस कारण ग्वालियर के सब्जी व्यापारी भाजपा उम्मीदवार नारायण सिंह कुशवाह चुनाव हार गये थे। कुशवाह ने पार्टी संगठन को खुली चेतावनी दी कि यदि समीक्षा गुप्ता को महापौर का टिकट दिया तो ग्वालियर के लगभग दो लाख काछी मतदाता विधानसभा चुनाव की हार का बदला लेंगे। इंटेलीजेंस रिपोर्ट में भी यही संकेत आने के बाद आखिरकार भाजपा ने सिंधिया की सलाह के बजाय नारायण सिंह कुशवाह की जिद स्वीकार करने में भलाई समझी है।

एक माह के लिए दमोह छोड़ गये मलैया!

मप्र के पूर्व वित्तमंत्री व भाजपा के दिग्गज नेता जयंत मलैया ने अपने बेटे सिद्धार्थ मलैया के राजनीतिक कैरियर की खातिर अगले एक महिने के लिये दमोह पूरी तरह छोड़ दिया है। दरअसल भाजपा ने सिद्धार्थ मलैया को एक साल पहले पार्टी से निलंबित कर दिया था। नगरीय निकाय चुनाव से पहले सिद्धार्थ मलैया और उनके साथियों ने भाजपा छोड़कर दमोह व नोहटा के सभी वार्डों में अपने निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। जयंत मलैया फिलहाल भाजपा में ही हैं। पारिवारिक टकराव से बचने और अपने पुत्र के राजनीतिक कैरियर को ध्यान में रखकर मलैया ने फिलहाल दमोह की राजनीतिक पिच पर बेटे को खेलने स्वयं को मैदान से बाहर करते हुए एक महीने के लिए दमोह न जाने का फैसला कर लिया है।

सिद्धार्थ की बगावत बनेगी उदाहरण!

मप्र में नेता पुत्रों या परिजनों को टिकट न देने का भाजपा नेतृत्व का निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को ही रास नहीं आ रहा है। मप्र के लगभग 50 से अधिक नेताओं के बेटे या परिजन सक्रिय राजनीति में काम कर रहे हैं। अधिकांश नेता पुत्र या उनके परिजन चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन पार्टी ने टिकट न देने का निर्णय ले लिया है। ऐसे में नेता पुत्रों व परिजनों का हताश व निराश होना लाजमी है। पार्टी के इस निर्णय के खिलाफ बगावत का झंडा जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने उठा लिया है। यदि सिद्धार्थ और उनके समर्थकों को नगरीय निकाय चुनाव में थोड़ी सी भी सफलता मिल गई तो यह मप्र भाजपा के तमाम नेता पुत्रों के लिए उदाहरण बन जाएगा। इसका नुकसान पार्टी को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

इंजीनियर पर मेहरबान आदिवासी मंत्रालय

पीडब्ल्यूडी के एक इंजीनियर के कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में आदिवासी कल्याण विभाग के अफसर इस कदर मेहनबान हैं कि 5 साल से इंजीनियर की जाति मामले की फाइल खोलकर ही नहीं देखी। दरअसल इंजीनियर ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आदिवासी कोटे से नौकरी हथियाई। आदिवासी विभाग की उच्च स्तरीय छानबीन समिति भी इंजीनियर के जाति प्रमाण पत्र को खारिज कर चुकी है, लेकिन विभाग की प्रमुख सचिव इंजीनियर के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र का आदेश पारित नहीं कर पा रही हैं। आदिवासी संचालनालय के इंजीनियर के बचाव में तर्क देते हैं कि हाईकोर्ट का स्टे है। जबकि छानबीन समिति का फैसला कोर्ट से पहले का है। विभाग की प्रमुख सचिव कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में है कि वे एक आईएएस को बर्खास्त करवा चुकी हैं, जबकि कईयों के खिलाफ जांच बैठवा चुकी हैं। फिर इंजीनियर मामले में चुप क्यों हैं।

और अंत में…

जबलपुर से रेखा सिंह और भोपाल से सुरजीत सिंह भाजपा पार्षद रहे हैं। दोनों की छवि बेदाग है। दोनों संगठन में सक्रिय हैं। लेकिन भाजपा ने इस बार इन दोनों का पार्षद का टिकट काट दिया। इन दोनों का दोष सिर्फ यह है कि रेखा सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सगी साली हैं और सुरजीत सिंह सीएम के चचेरे भाई। भाजपा में इस चुनाव में परिवारवाद के खिलाफ जमकर मुहिम चली जिसमें शिवराज सिंह चौहान के यह दोनों रिश्तेदार टिकट से वंचित कर दिए गये। खबर है कि जबलपुर यात्रा के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने अपनी साली के घर पहुंच कर बता दिया था कि वे टिकट दिलाने में कोई मदद नहीं कर सकते। सुरजीत सिंह को संगठन टिकट देना चाहता था, लेकिन विधायक कृष्ण गौर ने विरोध कर दिया। मुख्यमंत्री चाहते तो कृष्णा गौर को सहमत कर सकते थे, लेकिन परिवारवाद के आरोप से बचने उन्होंने भाई की कोई मदद नहीं की।

THEWA 01 01 01

9ca198c0 05ab 4579 ace6 2dd052d70063
Bhil Academy High Secondary School
Author profile
RAVINDRA JAIN
रवीन्द्र जैन