महाकाल की नगरी में जब “रामघाट” जगमग होकर राजा राम की नगरी

"अयोध्या" को पीछे छोड़ेगा, तब शिव भी खुश होंगे और राम भी मुस्कराएंगे ...

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इक्कीसवीं सदी के बाइसवे साल में महाशिवरात्रि को पूरी दुनिया महाकालमय हो जाएगी। महाकाल आराध्य हैं। बारह ज्योतिर्लिंग में तीसरा स्थान उज्जयिनी नगरी में स्थित कालों के काल महाकाल का है। यह संदीपनी आश्रम और कृष्ण के गुरुकुल की नगरी है। शक्तिपीठ की नगरी है। मां क्षिप्रा की नगरी है। भगवान राम जिन्हें अपना आराध्य मानते हैं, उन देवाधिदेव महादेव की इस नगरी में फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर ”शिव ज्योति अर्पणम” महोत्सव पर दुनिया की निगाहें रहेंगीं। 21 लाख दीप प्रज्वलित होंगे। विश्व रिकॉर्ड बनेगा, जो इससे पहले भगवान राम की नगरी में बने 9.41 लाख दीप प्रज्वलन के रिकार्ड को पीछे छोड़ देगा। यह रात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात है। और भगवान राम भी महाकाल और शक्ति के विवाह का महोत्सव देखने उज्जयिनी में पहुंचकर इस पावन बेला के साक्षी बनेंगे। नगरी को जगमग देख आनंद से भर जाएंगे। और जब यह देखेंगे कि दीप प्रज्वलन का उनकी नगरी का पिछले साल ही बना रिकार्ड इस साल महाकाल की नगरी में प्रमुख आयोजन स्थल “रामघाट” पर ही टूट रहा है, तो राम मुस्कराए बिना नहीं रहेंगे। और सीता से यह जरूर कहेंगे कि भोलेनाथ की लीला है। जिनका न आदि है और न अंत है। और ज्योति के लिंग के रूप में जब वह धरती पर जगह-जगह प्रकट हुए थे, तब भी वाराह रूप धारण कर मैंने उनके दर्शन की नाकाम कोशिश की थी। तब सती से शिव कहेंगे कि बिना राम की इच्छा के पत्ता भी नहीं हिलता है। यह सब उन प्रभु की ही लीला है। यानि प्रकृति और पुरुष के मिलन की यह रात महाकाल की नगरी में सबसे खास होने वाली है। दीप प्रज्वलन की सकारात्मक ऊर्जा से हो सकता है कि वैश्विक संकट और यूक्रेन के लिए काल बन रहे रूस के राष्ट्रपति पुतिन को भी सद्बुद्धि मिलेगी और परमाणु शक्ति के दुरुपयोग का इरादा छोड़कर वह सकारात्मक रवैये की तरफ करवट लेंगे।

खैर आज की रात भगवान महाकाल और माता पार्वती की है। वैराग्य को छोड़ शिव के गृहस्थ आश्रम में प्रवेश की रात है। पंद्रह दिन बाद होली मनाने की एक वजह यह भी मानी जाती है।’शिव ज्योति अर्पणम’ महोत्सव के अंतर्गत क्षिप्रा के तट पर, देवस्थानों, मंदिरों और नगर में घर-घर दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। क्षिप्रा नदी के तट पर दोनों ओर 13 लाख दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त नगर के देवस्थल- महाकाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, काल भैरव मंदिर, गढ़ कालिका, सिद्धवट, हरसिद्धि मंदिर, प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर दीप जलाए जाएंगे। नगर के नागरिक भी अपने घरों पर 5-5 दीप प्रज्वलित करेंगे। प्रमुख आयोजन स्थल रामघाट पर दीप प्रज्वलन की व्यवस्था के लिए ब्लॉक और सेक्टर बनाए गए हैं। प्रत्येक सेक्टर में स्वयंसेवकों को नियुक्त किया गया है। इनके साथ पर्यवेक्षक भी रहेंगे।इस कार्यक्रम को रिकॉर्ड के रूप में दर्ज करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स की टीम भी उज्जैन पंहुच चुकी है। पिछले वर्ष अयोध्या में 9.41 लाख दीप प्रज्वलित कर रिकॉर्ड बनाया गया था। तो इस बार उज्जयिनी का रामघाट 13 लाख दीपों को प्रज्वलित कर नया रिकार्ड बनाएगा। जिनकी रोशनी पूरी दुनिया में बिखर जाएगी।

शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव में ‘जीरो वेस्ट’ को लक्ष्य बनाकर कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई गई है। स्वयंसेवकों के पहचान-पत्र क्यूआर कोड एप के माध्यम से रीसायकल पेपर से बनाए जाएंगे। महोत्सव के पश्चात् दीयों का होम कम्पोस्टिंग, मटके, कुल्हड़ आदि बनाने में उपयोग किया जाएगा। कार्यक्रम पश्चात् बचे हुए तेल का गौशाला आदि में इस्तेमाल किया जाएगा। तेल की खाली बोतलों का पुनः उपयोग होगा। मोमबत्तियों को जलाने के लिए पेपर मैचबॉक्स का इस्तेमाल किया जाएगा। खाने-पीने के लिए केवल जैव-निम्नीकरणीय कटलरी, प्लेट का उपयोग किया जाएगा। आयोजन के सभी घटक मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश के अनुसार ही तय किए गए हैं। यानि स्वच्छता का संदेश महाकाल की नगरी से पूरी दुनिया को मिलेगा।

तो महाकाल की नगरी में “रामघाट” जब जगमग होकर राम की नगरी अयोध्या के दीप प्रज्वलन के रिकार्ड को तोड़ेगा, तब “रामघाट” को जगमग देख शिव खुश होंगे और अपनी नगरी का रिकार्ड टूटता देख भगवान राम भी मुस्कराएंगे …। यह दृश्य देश और दुनिया में बसे शिव भक्तों को भी असीम आनंद का अमृत पान कराए बिना नहीं रहेगा। महाकाल पूरी दुनिया में सकारात्मक ऊर्जा की ज्योति बिखेरेंगे, यही प्रार्थना है और यही उम्मीद है। और रूस-यूक्रेन संकट से दुनिया को मुक्ति मिलेगी। यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थियों की सुरक्षित वापसी होगी।