Who Will be Next CM : MP के CM की दौड़ में सबसे आगे कौन,11 दिसंबर की बैठक का इंतजार!
Bhopal : मध्य प्रदेश भाजपा दल की बैठक 11 दिसंबर की शाम को होगी। इस बैठक में प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के नाम का फैसला होगा। ये कौन होगा, इसे लेकर असमंजस भी है और स्पष्ट इशारा भी नजर आ रहा है। इसके बावजूद विधायक दल की बैठक के नतीजे का इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि भाजपा हाईकमान के फैसले हमेशा चौंकाने वाले रहे हैं। लेकिन, कयास लगाने वालों का निष्कर्ष है कि प्रहलाद पटेल प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। वास्तव में तो यह कहा जा रहा है कि विधायक दल की बैठक महज औपचारिकता है, नाम दिल्ली में तय हो गया, पर्यवेक्षक सिर्फ विधायकों से बात करके अपनी जिम्मेदारी पूरी करेंगे।
पार्टी ने प्रदेश में मुख्यमंत्री को लेकर उलझे मामले को सुलझाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण और पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा को जिम्मेदारी सौंपी है। ये पर्यवेक्षक पहले रविवार को भोपाल आने वाले थे, पर अब सोमवार सुबह आएंगे। शाम 4 बजे बैठक का समय तय किया गया जो पहले 7 बजे था।
केंद्रीय नेतृत्व द्वारा भेजे जा रहे तीन पर्यवेक्षक प्रदेश में चुने गए 163 विधायकों के साथ बैठक करेंगे। मुख्यमंत्री के नाम को लेकर उनसे सलाह के बाद तीनों पर्यवेक्षक आपस में बैठक करेंगे और फिर कोई एक नाम सामने आएगा। अभी तक मिले संकेतों के मुताबिक, प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और शिवराज सिंह चौहान इस दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं।
3 दिसंबर को आए चुनाव नतीजे के बाद दिल्ली और भोपाल में जो राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं, उससे लगता है कि पार्टी हाईकमान शिवराज सिंह चौहान को 5वीं बार कुर्सी देने के मूड में कम नजर आ रहा है। इस दौड़ में सबसे आगे प्रहलाद पटेल बताए जा रहे हैं। इसके बाद नरेंद्र तोमर और कैलाश विजयवर्गीय के बाण पर भी संभावना है। लेकिन, अभी ये सिर्फ कयास ही हैं।
भाजपा के पर्यवेक्षक प्रदेश में विधायकों से बात करेंगे, एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार का नाम होगा, जिसको केंद्रीय नेतृत्व के सामने रखा जाएगा. केंद्रीय नेतृत्व फिर उस रिपोर्ट पर आखिरी फैसला लेगा और विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदार के नाम का औपचारिक ऐलान किया जाएगा।
ये कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा हाईकमान इसके अलावा भी किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है। क्योंकि, केंद्रीय नेतृत्व ने पहले भी कई राज्यों में ऐसे प्रयोग किए हैं। भाजपा अपने चौंकाने वाले फैसलों को लेकर मशहूर है। पार्टी कब किसे, किस कुर्सी पर बैठा दे, ये सोच पाना कठिन है। ऐसे में पार्टी किसी नए चेहरे को भी मौका दे सकती है।
शिवराज को लेकर अलग-अलग कयास
शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री की इस दौड़ से बाहर मानने वालों का कहना है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव प्रचार में कहीं भी उन्हें मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं किया। चुनाव से पहले भी इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे। चुनाव नतीजे के बाद जब साफ़ हो गया था कि अब सरकार भाजपा की ही बनेगी, उसके बाद कई बड़े नेता लॉबिंग करने दिल्ली पहुंचे।
लेकिन, उस समय भी शिवराज सिंह ने एलान किया कि वे दिल्ली नहीं छिंदवाड़ा जा रहे हैं। इसके बाद वे राधौगढ भी गए। ये दोनों इलाके कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के गढ़ हैं। उनके इस कदम पर कई दबी प्रतिक्रियाएं भी मिली। भाजपा के एक बड़े नेता के मुताबिक, ये शिवराज की अपनी राजनीतिक स्टाइल है। जब सारे नेता किसी मिशन पर निकलते हैं तो शिवराज उनसे हटकर कोई कदम उठाते हैं।
किसी वजह से शिवराज सिंह को फिर मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है, तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मानजनक पद देना तय है। अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की संभावना है और नेतृत्व को कोई परेशानी भी नहीं है। सांसद से विधायक बने तीन मंत्रियों ने हाल ही में मंत्री पद से इस्तीफे दिए हैं। कहने वाले तो उन्हें भविष्य का कृषि मंत्री देख रहे हैं, जिस पद पर नरेंद्र तोमर थे।
शनिवार सुबह शिवराज सिंह ने सोशल मीडिया पर अपने हाथ जोड़ते हुए फोटो के साथ ‘सभी को राम राम’ कहते हुए एक पोस्ट भी की। उनकी इस पोस्ट के कई राजनीतिक मतलब निकाले गए। इसे उनका विदाई संकेत भी माना गया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस मुद्दे पर मीडिया के सवाल के जवाब में कहा कि ये नैचुरल है। जबकि, एक अन्य वरिष्ठ नेता ने प्रतिक्रिया दी कि ये शिवराज की अधूरी पोस्ट है।
दरअसल, इसका मतलब ये निकाला जाना चाहिए ‘हम तो जाते अपने गांव, अपनी राम राम राम!’ लेकिन, सारी शंका-कुशंका 11 दिसंबर की शाम तक की है। विधायक दल की बैठक में जिस नेता का नाम अंतिम रूप से फ़ाइनल होगा और जिसकी घोषणा पर्यवेक्षक करेंगे,वही मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री होगा।