
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम..सुंदर कांड के पहले दोहे की इन पंक्तियों के साथ श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया था, वह आज भी प्रासंगिक है। और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार 25 नवंबर 2025 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर वैदिक मंत्रोच्चार और “जय श्री राम” के नारों की गूंज के बीच केसरिया ध्वज फहराया। इस अनुष्ठान के साथ ही मंदिर का निर्माण औपचारिक रूप से पूरा हो गया।ध्वजारोहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दो मुख्य चेहरे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे। 21वीं सदी की राजनीति में जब ताकतवर चेहरों की गिनती होगी तब यह तीन चेहरे सबसे आगे नजर आएंगे। और इनके साथ यह भी याद किया जाएगा कि भगवान राम का काम करना इनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर रहा। और इन तीनों चेहरों के लिए यह पंक्ति सर्वथा उपयुक्त मानी जा सकती है कि राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम। भगवा रंग का यह ध्वज धर्म-संरक्षण, त्याग और तपस्या का प्रतिनिधित्व करता है। राम काज करने वाले सभी भक्तों में धर्मसंरक्षण त्याग और तपस्या का भाव सहज ही भरा रहता है। पीएम मोदी ने ध्वज शिखर पर पहुंचते ही श्रद्धापूर्वक भगवान श्रीराम के प्रति निष्ठा प्रकट की। जिसके बाद पूरा परिसर जय श्री राम के नारों से गूंज उठा था। राम मंदिर में ध्वजारोहण के साथ ही 25 नवंबर 2025 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज हो गई।
रामायण परंपराओं से प्रेरित यह विशेष धर्म ध्वज सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष के तीन पवित्र प्रतीकों से अलंकृत है।
22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा यह ध्वज 360 डिग्री घूमने वाली विशेष तकनीक पर स्थापित है। तेज हवाओं का सामना करने में सक्षम है। अयोध्या में हुए इस आध्यात्मिक उत्सव ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि राम मंदिर केवल एक स्थापत्य नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक चेतना और सनातन परंपरा का वैश्विक प्रतीक था, है और हमेशा रहेगा। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज का आरोहण किया, तो राम मंदिर पूर्णता की ओर अग्रसर हो गया। ऐसा प्रतीत हुआ मानो सदियों का इंतजार समाप्त हो गया हो। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज सदियों के घाव भर गए हैं।” वहीं, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था साकार हो गई है। ध्वजा के दंड पर 21 किलो सोना मढ़ा गया है। ध्वजा 4 किमी दूर से दिखाई देगी। लगभग दो किलो वजनी केसरिया ध्वजा जब 161 फीट ऊंचे शिखर पर लहराई, तो मानो रामलला के मंदिर की पूर्णता का उस क्षण दिव्य उद्घोष हो गया। और इसके साथ ही सदियों से चल रही ‘प्रतीक्षा-साधना’ का प्रवाह विराम को प्राप्त हो गया हो। इसी के साथ राम मंदिर के संदर्भ में 9 नवंबर 2019, 5 अगस्त 2020 और 22 जनवरी 2024 की ऐतिहासिक तिथियों के साथ अब 25 नवंबर भी सनातन धर्म के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गई।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज पूरा विश्व राम मय हो गया है। राम विनम्रता में महाबल का प्रतीक हैं, राम एक दिशा हैं, एक मर्यादा हैं। हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना है। कोविदार हमारी अस्मिता की वापसी का प्रतीक है। अपनी विरासत पर गर्व करें और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पानी है। उन्होंने कहा कि हमें आगामी दस वर्ष में मैकाले की गुलामी से मुक्ति पानी होगी। हम आजाद हुए पर गुलामी की मानसिकता से मुक्ति नहीं पा सके। प्रधानमंत्री ने राम मंदिर से जुड़े हर कारीगर वास्तुकार, श्रमवीर को प्रणाम करते हुए कहा कि इस नगरी ने बताया कि कैसे एक राजकुमार मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है। शबरी, केवट, निषादराज की भूमिका महत्वपूर्ण रही। शबरी माता का मंदिर जनजाति भाव के प्रेम का प्रतीक है, निषाद राज का मंदिर मित्रता का साक्षी है। माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, जटायु और गिलहरी के मंदिर बड़े लक्ष्य के लिए छोटे प्रयास का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि महिला, दलित, वंचित, युवा , आदिवासी हमारे विकास के केंद्र में हैं। हम शक्ति नहीं सहभागिता से आगे बढ़ने में विश्वास करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन सियावर रामचंद्र की जय से प्रारंभ किया, उन्होंने कहा आज सदियों के घाव भर रहे, सदियों की वेदना कम हो रही। यह उस यज्ञ की पूर्णाहुति है जिसकी अग्नि पांच सौ साल तक प्रज्ज्वलित रही। उन्होंने कहा यह संकल्प से सिद्धि का प्रतीक है, सत्यमेव जयते का प्रतीक है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज करोड़ों की आस्था साकार हुई। उन्होंने कहा कि इस धर्म ध्वजा की तरह सनातन की ध्वजा को भी शिखर तक लेकर जाना है। बकौल संघ प्रमुख, इस मंदिर के लिए 500 सालों तक संघर्ष करना पड़ा, इस लहराते केसरिया ध्वज को देखकर आज सिंहल जी, रामचंद्र दास जी महाराज तथा डालमिया जी को शांति मिली होगी। उन्होंने कहा कि जैसा सोचा था मंदिर उससे भी सुंदर बना है।
एतिहासिक ध्वजारोहण के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पीढ़ियों की प्रतीक्षा आज साकार हुई। देश आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है। यह राम मंदिर करोड़ों की आस्था का प्रतीक है।
तो सनातन का प्रतीक और पर्याय भगवान राम वास्तव में हर सनातनी के दिल में बसे हैं। और जिन मुगल शासकों की वजह से भारत में राम को ही मंदिर से वंचित होना पड़ा था, वह बड़ा बोझ अब हर भारतीय के दिल से हट चुका है। और हर सनातनी के मन में यह भाव और प्रबल हो चुका है कि ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम… तो राम मंदिर की पूर्णता के साथ हरसनातनी का भाव मोदी, मोहन और योगी के प्रति भी सम्मान से भर गया है’।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





