योग साधना:विश्व योग दिवस पर इस बार योगासनों के 12 विश्व रिकॉर्ड बनाने का संकल्प!

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योग साधना:विश्व योग दिवस पर इस बार योगासनों के 12 विश्व रिकॉर्ड बनाने का संकल्प!

वरिष्ठ पत्रकार और योग विशेषज्ञ कर्मयोगी की खास रिपोर्ट

बेंगलुरु स्थित अक्षर योग केंद्र इन देश-विदेश के हजारों योग साधकों की गहमा-गहमा का केंद्र बना हुआ है। विश्वविख्यात योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर के नेतृत्व में इतिहास रचने की तैयारी है। जिसमें अमेरिका, यूरोप,अफ्रीका व एशिया के हजारों प्रतिभागी 12 गिनीज बुक रिकॉर्ड के ऑफिशियल प्रयास की तैयारी में जुटे हैं। यह आयोजन इस बार विश्व योग दिवस पर होने जा रहा है। हिमालय सिद्ध अक्षर कहते हैं कि यह प्रयास हमारी प्राचीन विरासत के संरक्षण के साथ दुनिया को यह बताना है कि इसके असली वारिस हम हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार 11वें विश्व योग दिवस के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थीम ‘योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ घोषित की है।

साल 2010 में स्थापित अक्षर योग केंद्र यह आयोजन पहले ताइवान में करने जा रहा था। लेकिन भू-राजनीतिक कारणों की चुनौती के चलते इस आयोजन को बंगलूरू में ही आयोजित करने का फैसला किया है। अक्षर योग केंद्र के नाम पहले ही योगासनों के नौ विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं। जिसमें संस्थान के नाम वर्ष 2021 में वशिष्ठासन, 2022 में धनुरासन, वर्ष 2023 में उष्ट्रासन, हलासन तथा 2024 में चक्रासन, नौकासन, कौडिन्यासन, नटराजनासन व सूर्य नमस्कार के लिये गिनीज बुक रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। इस बार इस ऑफिशियल प्रयास के लिए गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्था की सौ सदस्यों की टीम के साथ संस्था के बड़े अधिकारी बंगलूरु में आसनों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करेंगे। इस साल के विश्व योग दिवस 21 जून को होने वाले इस आयोजन में देश-विदेश के हजारों योग साधक हिमालय सिद्ध अक्षर के मार्गदर्शन में पसीना बहा रहे हैं। इस साल की प्रतियोगिता में जो आसन शामिल हैं उनमें भद्रासन, अधोमुख श्वानासन, शलभासन, गरुड़ासन , एक पाद पादागुंनुष्ठासन, उभय पादागुंनुष्ठासन,एक पाद राजकपोतासन शामिल हैं। वहीं जो पिछले रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी है, उनमें सेतुबंध सर्वांगासन, सर्वांगासन, वीरभद्रासन व उत्कटासन शामिल हैं।

हिमालय सिद्ध अक्षर बताते हैं कि योग के इस महाकुंभ में करीब साठ देशों के योग साधक भाग लेगें। फिलहाल इसमें अमेरिका, जर्मनी,फ्रांस, यूरोप के बाकी कुछ देशों से स्विट्जरलैंड, लंदन, नीदरलैंड,जापान, मलेशिया, ताइवान सिंगापुर के प्रतिभागियों ने भाग लेना सुनिश्चित किया है। इन देशों के लगभग पांच-पांच सीनियर टीचर मूव करेंगे। ये सीनियर योग शिक्षक हैं। वहीं ट्रेंड योग साधकों की संख्या दो हजार के करीब है।। पिछले बीस दिन तथा आने वाले साठ दिन साधक बारह आसनों का अभ्यास करेंगे। अस्सी दिनों की ट्रेनिंग हैं। स्थानीय प्रतिभागियों में कर्नाटक स्टेट पुलिस, सीआईएसएफ, आर्मी व इंडियन एयर फोर्स के प्रतिभागी पैलेस ग्राउंड बंगलूरू मुख्य आयोजन का हिस्सा होंगे। तीन ऑफिशियल एग्जेबेटर, सौ प्लस गिनीज बुक टीम के एग्जामनर की तरह मूल्यांकन करेंगे। इसके अलावा दस न्यूट्रल टीचर होंगे जो न हमारे होंगे और न गिनीज बुक रिकॉर्ड टीम के। ये बाकी संस्थाओं के चुने जाते हैं। ये इन्होंने किया।

दरअसल, गिनीज बुक रिकॉर्ड की टीम कई महीने पहले से तैयारी करती है इस तरह के रिकॉर्ड दर्ज करने की। एक पूरा एग्रीमेंट बनाया जाता है। 90 दिन पहले प्रोसेस शुरू होता है। बाकायदा लाइसेंस इश्यू किए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि अक्षर योग केंद्र के खाते में इससे पहले 9 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं। डेढ़ दशक पहले स्थापित अक्षर योग केंद्र इस समय आयुष योग इंस्टीट्यूशन सर्टिफिकेशन बॉडी में शामिल है। इसे योग इंस्टीट्यूट की कैटेगरी दी गई है।

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यह पूछे जाने पर कि इस तरह के रिकॉर्ड दर्ज कराने का मकसद क्या है। हिमालय सिद्ध अक्षर कहते हैं कि ये रिकॉर्ड एक खेल की तरह हैं, एक आनंद की तरह हैं, एक प्रेम है और एक चैलेंज है। स्पष्ट सी बात है कि जब तक कोई आसनों का अभ्यास नहीं करेगा तो आसन की शक्ति नहीं समझेगा। इसकी यौगिक ताकत नहीं समझेंगे। जब साधक वीरभद्रासन करेगा, तो होल्ड करने पर इसका प्रभाव पता चलेगा।

हमने योग के ज्ञान को अपने आराम के अनुसार ढालने की कोशिश की है। यदि व्यक्ति तपस्या करेगा, मेहनत करेगा तो ही इसका लाभ मिलेगा। इस तरह आसन को करने का चैलेंज है। जैसे पहले हठयोग में होता था। यदि कोई व्यक्ति पदमासन नहीं कर पा रहा है तो साइंटिफिक तरीके से करने की जरूरत है। मेहनत करने की जरूरत है। हम केवल फिलॉसफी के रूप में ही आसनों को सीख रहे हैं। हम इसका पारंपरिक अभ्यास करें। कोई प्रतिभागी समय लगाकर दो महीन तक गरुड़ आसन करे,तो वह अपने शरीर के निचले हिस्से की बीमारियां ठीक कर पाता है। ऐसे ही सर्वांगासन है, समय अनुसार होल्ड करने से शरीर को लाभ मिलता है।