

हवाई दौरा करने के बाद अब सड़क मार्ग से भी बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
बात वही, कहने का तरीका सबसे जुदा। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जननायक कहलाने के हकदार बन जाते हैं। इसीलिए कामयाब हो जाते हैं मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा चार बार मुख्यमंत्री बनने के और सबसे ज्यादा साल तक मध्यप्रदेश पर राज करने के। जब बाढ़ प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचने की स्थिति नहीं बनी तो सीएम हाउस और वल्लभ भवन से ही नजर रखी, जब हवाई दौरा नहीं कर पाए तो ग्वालियर कंट्रोल रूम से हौसला बढाया, मौजूदगी का अहसास कराया, जब संभव हुआ हवाई दौरा किया और जब संभव हुआ सड़क मार्ग से ही पीड़ितों के बीच पहुंच गए। बात भी कोई नई नहीं लेकिन बात टाइमिंग की है। जब दिल कष्ट से भरा हो, जब बाढ़ ने सब कुछ उजड़ गया हो, जब खाने का सामान भी न बचा हो, जब जानवरों का कुछ पता न हो, जब इंसान समझने लगे कि हम अनाथ हैं, तब उनके बीच पहुंचकर शिवराज कह देते हैं आंखों में आंसू लाने की जरूरत नहीं है, हम तुम्हारे साथ हैं। क्या इतना काफी नहीं है चेहरे पर खुशी लाने के लिए, जब मरीज मौत के मुंह में हो और डॉक्टर कह दे कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ। सब ठीक है। चार दिन में तुम्हारी छुट्टी कर देंगे…मरीज आधा तो ठीक हो ही जाता है और डॉक्टर को भगवान का दर्जा भी मिल जाता है। यही बात शिवराज में भी है।
घर के नुकसान-भरपाई से शुरू कर जब बकरा-बकरी और मुर्गा-मुर्गी के मुआवजे की बात शिवराज के मुंह पर आती है, तब तक पीड़ितों की आंखें भले ही नम हों पर चेहरे खुशी से खिल ही जाते हैं। जब शिवराज हवाई दौरा करते हैं तो विपक्ष तंज कसता है, अब वह सड़क के रास्ते भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर ढाढस बंधाने लगते हैं। भितरवार गांव में जब मन के अंदर की बात वह अपने मुंह पर लाते हैं कि आंखों में आंसू मत लाओ, सरकार तुम्हारे साथ है तो पीड़ितों की पीड़ा खत्म नहीं हो पाए तब भी राहत की बड़ी सौगात का अहसास तो होता ही है। सर्वे के बाद सब ठीक हो जाएगा,यह आस तो बंध ही जाती है। इसके बाद कई गांवों में जाते हैं और ढांढस बंधाते हैं, हौंसला बढाते हैं और चार दिन में सर्वे होने का भरोसा भी पैदा करते हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश के पांच जिलों भिंड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी और दतिया जिलों के करीब पांच सौ गांव के पचपन हजार बाढ़ प्रभावित अपने नुकसान की भरपाई होने को लेकर आश्वस्त हों, इससे बड़ी उपलब्धि सरकार के लिए आपदा के दौर में और क्या हो सकती है। सीएम हाउस, वल्लभ भवन से यह बात असर नहीं करती लेकिन भितरवार और दूसरे गांवों की जनता के बीच आपदा के बीच यही बात संजीवनी बनकर पीड़ितों को राहत दे रही है।
खुद मुखिया जब पीडितों के बीच पहुंचकर सहजता, सरलता और संवेदनशीलता के साथ समझाए कि जिनके मकान ढ़ह गए हैं उन्हें नए मकान बनवाने के लिए 1,20,000 रुपये की राशि देंगे। अगर कुंआ और नलकूप नष्ट हुआ हो तो उसके 25,000 रुपये दिए जाएंगे। मवेशी अगर बह गए हों तो एक मवेशी के 30,000 रुपये दिए जाएंगे। छोटे मवेशी के भी 10,000 रुपये दिए जाएंगे।बुकरा-बकरी मरे हों तो तीन हजार रुपइया और मुर्गा-मुर्गी मरे तो साठ रुपइया। तो चेहरे पर खुशी आना तय ही है।
लोगों को समझ में आ ही जाता है कि छोटे से छोटे नुकसान की भरपाई की भी पूरी जवाबदारी शिवराज की है, सरकार ले रही है। जब खुद मुखिया लोगों से कहता है कि एक ही कार्ड शिवराज सिंह चौहान, तो लोग समझने लगते हैं कि नैया पार हो ही जाएगी। शिवराज कहते हैं कि तत्काल भोजन के लिए 50-50 किलो राशन हर परिवार को दिया जाएगा। कपड़े, बर्तन और अन्य सामान की भी राहत राशि देंगे। फसल नष्ट हुई है तो उसके भी नुकसान का आकलन करके उसकी राहत राशि अलग दी जाएगी। मैं आपकी तकलीफ जानता हूं। आंखों में आंसू की जरूरत नहीं है। जिनके मकान गिर गए हैं उनके नए मकान बनवाए जाएंगे। इसकी व्यवस्था हम कर रहे हैं। जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान बनते हैं वैसे ही मकान बनवाने के लिए आपको राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री की बाढ़ राहत एवं घोषणाओं को कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री भी अपना समर्थन देते दिखते हैं तो आम जनता भी शिवराज सिंह ज़िंदाबाद का नारा लगाने से पीछे नहीं रहती। RB


कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।
इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।





