घोसलों का विज्ञान :फूलों से घरोंदा सजाने वाला अनोखा पक्षी बोवर बर्ड
ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना हो गर
तो
पहले आ के माँग ले तेरी नज़र मेरी नज़र
{घोसलों का विज्ञान शृंखला भाग दो-डॉ स्वाति तिवारी }
प्रत्येक वस्तु के सौन्दर्य एवं आकर्षण पक्ष का सम्बन्ध ‘कला’ से होता है। यह मनुष्य की विशिष्ट रुचि अथवा रुचियों की अभिव्यक्ति है। घर की सजावट का तात्पर्य इस बात से नहीं है कि घर में कीमती-से-कीमती वस्तुओं को इकट्ठा कर दिया जाए। वास्तव में, घर की सजावट तो एक रचनात्मक कला है जो एक साधारण घर का भी कायाकल्प कर देती है। सजावट ‘कला’ के नियमों पर ही आधारित होती है, क्योंकि सजावट में प्रयुक्त होने वाले साधनों में आकार, रंग एवं प्रकाश का ही महत्त्व होता है। अतः कला के मौलिक सिद्धान्तों का पालन करते हुए घर में विभिन्न वस्तुओं की रुचिपूर्ण व्यवस्था को गृह-सज्जा अथवा घर की सजावट कहते हैं। घर की सजावट में कला तथा कल्पनाशीलता के समावेश की अवहेलना नहीं की जा सकती है, गृह-सज्जा के अर्थ स्पष्ट है, “आन्तरिक सज्जा एक सृजनात्मक कला है जो कि एक साधारण घर की काया पलट कर सकती है…… यह घर में रहने वालों की मूलभूत तथा सांस्कृतिक आवश्यकताओं एवं घर में उपलब्ध स्थान एवं उपकरणों के मध्य समायोजन करने की कला है और इस प्रकार घर में एक सुखद वातावरण बनाने का प्रयास है.
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गृह-सज्जा का मूलभूत तथा मुख्य सिद्धान्त है–सुन्दरता। “सुन्दरता वह तत्त्व अथवा गुण है, जो इन्द्रियों को आनन्दित करता है तथा आत्मा को उच्च अनुभूति देता है।” इस कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि सुन्दरता का सम्बन्ध हमारे शरीर तथा आत्मा दोनों से होता है। सुन्दरता सदैव आनन्ददायक होती है तथा उसका प्रभाव प्रत्येक जीव
पर पड़ता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मनुष्य जिस तरह अपने घरों को फूलों से सजाते है उसी तरह से पक्षी भी अपने घोंसले में सजावत करते हैं.मनुष्य की तरह यह सौन्दर्य बोध पक्षियों में भी देखा गया है.बोवर बर्ड एक ऐसा खूबसूरत परिंदा होता है जिसका मिजाज काफी रौचक माना जाता है और इसके इश्क का अंदाज काफी खुशनुमा होता है. मादा बोवर को आकर्षित करने या लुभाने के लिए पुरुष बोवर अपने घोंसले को रंगीन और चमकदार चीजों से सजाया करता है.
नर बोवर पक्षी की गृह-सज्जा के माध्यम से प्रेम प्रदर्शन ओर मादा पक्षी को सहवास के निमंत्रणकी स्पष्ट अभिव्यक्ति होती है। इसी अभिव्यक्ति के आधार पर मादा पक्षी द्वारा गृह-सज्जा का मूल्यांकन किया जाता है। अभिव्यक्ति एक व्यक्तिगत विशेषता मानी जा सकती है, जो गृह-सज्जा द्वारा प्रकट होती है। गृह सज्जा का यह विशेष गुण ब्रोवर पक्षी के घरों को देख कर ओर भी स्पष्ट होता है.
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दुनिया भर में बोवर बर्ड की लगभग 20 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से एक है वोगेलकोप बोवर बर्ड. बोवर बर्ड की यह नस्ल इंडोनेशियाई द्वीप न्यू गिनी के वोगेलकोप क्षेत्र में पाई जाती है. इस परिंदे की सबसे अनोखी और खास बात यह है कि यह किसी वास्तुकार की तरह अपने घोंसले या आशियाने को सजाता और संवारता है. ये पक्षी बला की नफासत के साथ पुआल से अपने घर को बनाते हैं, ये कुछ मोटे तिनकों से एक खंभा जो धरती पर लेंटर्न डालने जैसा बनाते हैं और उस पर कई तिनके रखकर झोपड़े के आकार का घोंसला बना लेते हैं, बाद में बड़ी ही कुशलता के साथ इसे फूलपत्तियों से सजाते हैं.
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दुनिया भर में बोवर बर्ड की लगभग 20 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से एक है वोगेलकोप बोवर बर्ड. बोवर बर्ड की यह नस्ल इंडोनेशियाई द्वीप न्यू गिनी के वोगेलकोप क्षेत्र में पाई जाती ह. इस परिंदे की सबसे अनोखी और खास बात यह है कि यह किसी वास्तुकार की तरह अपने घोंसले या आशियाने को सजाता और संवारता है. ये पक्षी बला की नफासत के साथ पुआल से अपने घर को बनाते हैं, ये कुछ मोटे तिनकों से एक खंभा बनाते हैं और उस पर कई तिनके रखकर झोपड़े के आकार का घोंसला बना लेते हैं, बाद में बड़ी ही कुशलता के साथ इसे फूल-पत्तियों से सजाते हैं. इनका घोसला देख कर लगता है जैसे आदिम जनजातियों की झोपड़ी का छोटा माडल बनाया हो.
आश्चर्य यह की घर बनाने की यह कला मनुष्य ने इन पक्षियों से सीखी या पक्षीयों ने मानव के इस हूनर का अनुकरण किया?निश्चय ही पक्षी प्रकृति में मनुष्य से पहले आए तो मनुष्य ने ही उनका अनुकरण करते हुए घर बनाने की कला का विकास किया होगा.रिसर्च में पाया गया है कि मादा बोवरबर्ड को नीला रंग काफी भाता है. इस कारण अपने आर्किटेक्चर स्किल्स के लिए मशहूर ये परिंदा अपने घोंसले को सजाने के लिए ज्यादातर नीले रंग की चीजों का इस्तेमाल करता है. बोवर पक्षी अक्सर दूसरे पक्षियों के घोंसले से चीजें भी चुराता है. इसके अलावा यह पक्षी मानव निर्मित चीजों जैसे प्लास्टिक की बोतल, रंगीन ढक्कन आदि भी इकट्ठा करता है. मादा बोवर अक्सर पुरुष बोवर के घोंसले के सामने बने पेड पर ही बैठती है ताकि वह उसके घर का अच्छी तरह से निरीक्षण कर सके पुरुष बोवर द्वारा की गई घर की बनावट और सजावट देखकर मादा बोवर काफी खुश होती है. यह उसे एहसास कराता है कि ये उसके प्रेमी का आशियाना
रिसर्च में पाया गया है कि मादा वोगेलकोप बोवर बर्ड को नीला रंग ओर चटक रंग बहुत पसंद होता है इसीलिए नर बोवर पक्षी अपनी अनूठी आर्किटेक्चर स्किल को इस्तेमाल करके बहुत सुंदर घोंसले बनाने के बाद उसे नीले रंग की वस्तुओं से सजाते हैं. इसके साथ ही वे सजावट के लिए लाल ,केसरिया,गुलाबी ,पीले रंग के जंगली फूलों को लाकर घर के बाहर लगाते हैं. अपने अनूठे प्रेम प्रदर्शन के लिए मशहूर यह पक्षी अपनी प्रेयसी को आकर्षित करने के लिए जंगली फलों की ढेरी भी लगाते हैं. शंख सीपियों के खोल लाकर उनसे आँगन सजा लेते हैं.
है जो उसके लिए बनाया गया है. सजावट के अतिरिक्त वहाँ आरामदायक पुआल का फ़र्श बिछोने की तरह होताहै. साथही जंगली फलो का संग्रह भी किया होता है जिसका अर्थ है घर में भोजन भी संग्रहित है.पक्षियों की यह अद्भुत समझ ओर कला हमेंअचम्भे
में डाल देती है कि यह कलात्मक वास्तुशैली कैसे पीढ़ियों तक हस्तांतरित होती होंगी?
बोवरबर्ड स्वर्ग के पक्षियों से (बर्डओफ़ पैराडाइस ) निकट से संबंधित हैं, और ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी के कई हिस्सों में बोवरबर्ड की प्रजातियां पाई जाती हैं। वे मुख्य रूप से वन पक्षी हैं, जो जीवन भर एक विशेष स्थानीय क्षेत्र में रहते हैं। नर बोवरबर्ड्स टहनियों से जटिल प्रदर्शन क्षेत्रों (या बोवर्स) को बुनते जो झोपडे नुमा घरोंदे होते है .
यह जंगल के तल पर एक छोटे से मंदिर की तरह दिखता था.लेकिन यह कोई मंदिर नहीं बल्कि घोंसला होता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि वोगेलकोप बोवरबर्ड (एंबलीओर्निस इनोर्नाटा) अपनी चोंच में फूलों की टहनिया ले जाते है शायद किसको देते होंगेलेकिनखुद दिखावटी होने के बजाय, वह अपनी टहनी झोंपड़ी के “लॉन” को सावधानी से चुने हुए जगहों पर पुष्पगहनों से सजा रहा होता है।
अध्ययन बताता है कि वह झोंपड़ी के “लॉन” को सावधानी से चुने हुए फूलों के गहनों से सजा रहा है। यह प्रभावशाली संरचना कोई घोंसला भी नहीं है। यह महिलाओं को प्रभावित करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए एक पुष्प कुंज-निर्मित और अनुरक्षित करता है। स्थानीय मादा पक्षी नियमित रूप से डिजाइन विकल्पों की तुलना करने के लिए आस-पड़ोस के जलाशयों का दौरा करती हैं, फिर अपने संभोग निर्णयों को आधार बनाती हैं, जिस पर प्रदर्शन सबसे अच्छा समग्र प्रभाव डालते हैं। बोवरबर्ड नरपक्षी के लिए वह सहवास के लिए सहमत होकर उस संरचना में बैठ जाती हैयह वास्तुशिल्प कौशल है। यह महिलाओं को प्रभावित करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए एक कुंज-निर्मित और अनुरक्षित है। स्थानीय महिलाएं नियमित रूप से डिजाइन विकल्पों की तुलना करने के लिए आस-पड़ोस के जलाशयों का दौरा करती हैं, फिर अपने संभोग निर्णयों को आधार बनाती हैं, जिस पर प्रदर्शन सबसे अच्छा समग्र प्रभाव डालते हैं। बोवरबर्ड पुरुषों के लिए, यह वास्तुशिल्प कौशल है.
मादा बोवर के आकर्षणमें नर बोवर उसे अपने घर की तरफ आकर्षित करने के लिए फूलों, कई तरह के सूखे पत्तों, फलों, बीजों और चमकदार कीड़ों को इकट्ठा करता है और अपने आशियाने की डेकोरेशन करता है. यह पक्षी अपने घोंसले को छोटे कोयले के ढेर के सामने बनाता है, इसके अलावा यह कई तरह के रंगों का अपने आशियाने में समावेश करने की कोशिश करता है ताकि मादा बोवर उसके घोंसले की तरफ खिंची चली आए. इतना ही नहीं यह परिंदा इतना समझदार होता है कि अगर इसके घर पर लगी फूल-पत्तियां मुरझा गई हैं तो ये फौरन उन्हें बदल देता है और ताजे-फूल और पत्तियों से घर को फिर से सजा देता है.कई बार यह बच्चों के खिलाने , गुड़िया इत्यादि भी उठाकर अपने आँगन में रख लेते हैं.कई बार ये रंगीन पत्तों को रंग़ोली की तरह जमा कर सजावट करते हैं .
साटन बोवरबर्ड दक्षिणी क्वींसलैंड से विक्टोरिया तक पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में वर्षावन और लंबे गीले स्क्लेरोफिल वन में आम है। उत्तरी क्वींसलैंड के आर्द्र कटिबंधों में भी एक पृथक आबादी है।साटन बोवरबर्ड्स अक्टूबर और फरवरी के बीच घोंसला बनाते हैं। आमतौर पर दो अंडे लेकिन कभी-कभी एक या तीन टहनियों के उथले घोंसले में रखे जाते हैं, जिसके ऊपर नीलगिरी या बबूल की पत्तियाँ रखी जाती हैं। अंडे देते समय ये पत्तियाँ भूरे रंग की हो जाती हैं, और छलावरण के रूप में काम कर सकती हैं। अंडे क्रीम होते हैं लेकिन भूरे रंग के साथ धारियाँ होती हैं, और लगभग 19 ग्राम (0.67 ऑउंस) के आकार के एक पक्षी के लिए विशिष्ट से बहुत बड़े होते हैं; वे दूसरे दिन उनपर बैठकर उन्हें ऊष्मायन करते हैं इसके 21 दिनों के बाद इनमें से बच्चा बाहर आता है.
अंडे सेने के तीन सप्ताह बाद युवा उड़ने में सक्षम होते हैं, लेकिन अगले दो महीनों के लिए मादा पर निर्भर रहते हैं, अंत में दक्षिणी सर्दियों (मई या जून) की शुरुआत में स्वतंत्र होकर उड़ने लगते हैं।
अंडे सेने के तीन सप्ताह बाद युवा उड़ने में सक्षम होते हैं, लेकिन अगले दो महीनों के लिए मादा पर निर्भर रहते हैं, अंत में दक्षिणी सर्दियों (मई या जून) की शुरुआत में फैलते हैं।
प्रेम का एसा प्रदर्शन अन्य जीवों की तुलना में पक्षियों में अधिक पाया जाता है जो अनूठी शैली के सजावटी घरबनाकर जोड़ा बनाते है . मनुष्यों में कहावत है धर देखकर ल लड़की देना चाहिए तो लीजिए जनाब हमसे ज़्यादा आधुनिक इस पक्षी को जानिए जिसकी लड़की खुद पहले घर देखती है फिर वर देखती है.ओर जोड़ा बना ले तो नर ख़ुश होकर कहे ये तेरा घर ये मेरा घर किसीको को देखना हो ग़र तो पहले आके माँग ले तेरी नज़र मेरी नज़र.
{घोसलों का विज्ञान शृंखला -भाग दो}