Buffalo Safari, South Africa:प्रकृति ने मुस्कान बिखेर कर कहा “गुड मॉर्निंग अफ्रीका”

जिस यात्रा को लेकर मैं पूर्वाग्रहित थी लौटते में उससे भी ज्यादा प्रसन्न

Buffalo Safari, South Africa;प्रकृति ने मुस्कान बिखेर कर गुड मॉर्निंग कहा,गुड मॉर्निंग अफ्रीका

स्वाति तिवारी के यात्रा संस्मरण

सुदूर दक्षिण अफ्रीका में स्थित केप टाउन के जंगल मुझे खूब सघन या हरे भरे नहीं दिखे फिर भी वहाँ की वाइल्ड लाइफ बहुत अच्छी है| रॉबर्ट ने बताया था कि हमें सबेरे पाँच बजे निकलना होगा, सबेरे बेहद सर्द हवाएँ होती हैं आप गरम कपड़े ले लीजिएगा, ओपन गाड़ी में जाना होगा, पानी और आपको जो भी ब्रेकफ़ास्ट पसंद हो वो रख लीजिएगा, वैसे सफारी की तरफ से ब्रेकफ़ास्ट का प्रावधान है। मैंने सोचा ठीक है अपना ब्रेकफ़ास्ट भी रख लेंगे पर कैमरा, गरम कपड़े और पाँच बजे उठने के चक्कर में क्या बनाया जाए यह मुश्किल लगा इसलिए कुछ नहीं बनाया|

हम सुबह अलार्म के साथ उठ कर तैयार थे, नाश्ते के नाम पर मैंने रोस्टेड बादाम का पैकेट बेग में डाल लिया, नमकीन-मीठे शक्कर पारे, मठरी भी रख ली थी साथ में| रॉबर्ट के कहेनुसार हमने गरम कपड़े पहन लिए थे लेकिन केप टाउन से सफारी जाते हुए तो मौसम बहुत प्लीजेंट था| हम बफेलो सफारी के लिए निकले थे, अपने देश की अधिकांश सफारी जैसे कान्हा किसली, बांधवगढ़, बांदीपुर, कार्बेट, काजीरंगा, गिर के जंगल हम घूम चुके थे लेकिन यह दुनिया भर में सबसे ज्यादा चर्चित दक्षिण अफ्रीका की वाइल्ड लाइफ देखने वाली जंगल यात्रा थी, जो शहर से लगभग ३५ किलोमीटर दूर होगी, रॉबर्ट ने बताया कि आप ध्यान रखिएगा सड़क के दोनों ओर कई बार जानवर दिखाई देते हैं सबेरे सबेरे वे सड़क पर भी मिल जाते हैं यहाँ आदमी से भी ज्यादा जानवरों की कीमत है इन्हें नुकसान पहुँचाने पर बड़ा जुर्माना है।

यह पूरा क्षेत्र रिजर्व फ़ॉरेस्ट है, यहाँ शिकार बंद है। इसी बीच गाड़ी थोड़ी धीमी होती है, रॉबर्ट हमें इशारा करते हैं और चुप रहने का संकेत भी देते हैं, सामने जंगली सुअरों का एक समूह सड़क की तरफ आ रहा था। उनके साथ नन्हे नन्हे बच्चे भी थे जो बहुत ही प्यारे लग रहे थे। वे सड़क क्रॉस कर दूसरी तरफ छोटी सी पहाड़ी नुमा रचना के पीछे चले गए। हम अब अलर्ट हो गए सड़क के दोनों तरफ देखते हुए जाते हैं रास्ते में हमें शुतुरमुर्ग भी मिलते हैं जिनके पीछे पीछे आठ-दस चूजे एक रेखा बनाते हुए चले जाते हैं, इन्हें देखना अच्छा लगता है|

navbharat times 41200px Baby Ostrich

हम पहुँचते हैं बफेलो सफारी के बुकिंग काउंटर पर, शहर से काफी दूर अंदर जंगल में पता चलता है हमारा ही इंतजार हो रहा है बाकी पर्यटक यहीं रुके थे, हमें वे दो कंबल जैसे कोट देते हैं जिनका वजन पाँच किलो तो होगा ही, इसे पहन लीजिये हम कोट हाथ में लिए ही जाते हैं पहनने का मन नहीं होता कितनों ने पहना होगा, फिर उसका वजन? इसके साथ वह ट्रेक्टर जैसी ओपन गाड़ी हवाएँ इतनी सर्द और तेज यदि वह कोट पहना तो गाड़ी में चढ़ना ही संभव नहीं। पति चढ़ने में मेरी मदद करते हैं हमारे अलावा सभी विदेशी पर्यटक हैं दुबले पतले लंबे और कम उम्र। पर पहली बार तो चढ़ जाती हूँ इतनी ऊँची गाड़ी बार बार उतरना मुश्किल कोट को पहले गाड़ी में फेंकती हूँ सीट पर सोचते हुए कहाँ ओपन सफारी टूर ले लिया बंद गाड़ी होती तो काँच बंद कर हवा से बच जाती हवा इतनी कि बोलते हुए आवाज बहने लगती है कान सुन्न होने लगे और हाथ ठंडे बर्फ से।

Buffalo Safari, South Africa;

हम केप टाउन की खूबसूरत चमकदार रोशनियों से दूर अब जंगली हवाओं की गिरफ्त में थे, खुले वाहन में पाँच किलो के लगभग वजन का कंबल पहने हुए उनींदे से बेरौनक़ चेहरे लिए हुए जैसे किसी ने हमें बतौर सजा यहाँ भेज दिया हो, अभी पौ फटने में समय था रात अपने बोरिया बिस्तर समेटने वाली थी, मैं उस कंबल में सो जाना चाहती थी, सुरेश जी के चेहरे की हवाइयाँ उड़ चुकी थी लगा मुसीबतें मोल लेने की मुझे आदत है एक बार पछतावा होता है…..

downloadSouth Africa Kruger Buffalo IS 8597229 Md RGB

आँखें बंद कर मैं जंगल में उस खुले वाहन में बैठी बैठी सोई सी ही थी-तभी वह ट्रैक्टर कम ट्रेवलर गाड़ी जिसमें मुझे कुछ भी कम्फ़र्टेबल नहीं लग रहा था चालू होती है मैं आँखें खोल कर फिर बंद कर लेती हूँ ड्राइवर रॉबर्ट हमारी रेंटल कार में बैठा हाथ हिलाता है, मुझे उस पर गुस्सा आता है इसने यही खटारा हमारे लिए बुक की मैं हाथ नहीं हिलाती, बच्चों की तरह नाराज हो जाती हूँ सफारी के लिए वह दुबला पतला अफ्रीकी नीग्रो लड़का हमारे रूट के बारे में बताता है| मैं मन ही मन कहती हूँ क्या करना है तेरे रूट को समझ कर कहीं से भी ले जा हमें कौनसे रास्ते पता हैं———उसकी आवाज कानों में जाती है सबसे पहले बफेलो सफारी में उगता हुआ सूर्य आपके स्वागत के लिए रंग चुन रहा है वो देखिए——–

Buffalo Safari, South Africa;

—हम दोनों आँखें खोलते हैं वाह————-ब्यूटीफुल—अनुपम–लाजवाब———सामने लालिमा लिए सिंदूर छिड़कती उषा का उजियारा पसरने लगा था| मैं जंगल में जाती हुई रात और आती हुई सुबह की साक्षी बन रही थी उगता हुआ सूरज कितना बड़ा दिखता है? एक सिंदूरी गोला? शायद इसलिए कि जब सूर्य उदय होता है तब धीरे-धीरे इसकी किरणें पृथ्वी पर पहुँचती हैं। हम सूर्य के बाहरी भाग को भी कुछ देख सकते हैं इसीलिए कहते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य को कुछ पलों के लिए एक टक देखना चाहिए मन की, मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है, आँखों की रोशनी तेज होती है।

दोपहर का समय तेज धूप का समय है जो देखना मुश्किल होता है क्योंकि उस समय उसकी तेजस्वी किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं। उन तेज किरणों के असर से हमें सूर्य का बाहरी हिस्सा न दिखकर सिर्फ अंदर का ही भाग नजर आता है। रोशनी बहुत तेज हो जाती है| हमारी आँखें उस पर नहीं ठहरती हैं। तब हमें वह छोटा दिखता है क्योंकि हम उसके भीतरी भाग को ही देख पाते हैं। सूर्य हमारी पृथ्वी से १५ करोड़ किलोमीटर दूर है। यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। इसकी बाहरी सतह की अपेक्षा अंदर की सतह ज्यादा गर्म होती है।

सूक्ष्म तौर पर देखने से यह हमें दो भागों में दिखाई देता है। जब सूर्य उदय हो रहा था तब धीरे-धीरे जिसकी किरणें पृथ्वी की तरफ बढ़ रही थीं और इसीलिए उसे देखना अच्छा लग रहा था| मैं तिवारी जी को बताना चाहती हूँ वे सूर्योदय को हमेशा के लिए सहेजने में जुटे होते हैं| मन ही मन मैं रॉबर्ट को धन्यवाद देती हूँ माँ के कोमल स्पर्श जैसा उगता सूरज दिखाने के लिए उस सूर्य में उसकी रश्मियों में उसकी हल्की सी उष्णता में लग रहा था प्रकृति ने मुस्कान बिखेर कर गुड मॉर्निंग कहा हो,मैं जोश में आ जाती हूँ और मेरी सर्दी जाने कहाँ रफूचक्कर हो जाती है| अपनी सीट से खड़ी होकर ज़ोर से बोलती हूँ गुड मॉर्निंग अफ्रीका——

Buffalo Safari, South Africa;

सामने एक लंगूर का बच्चा जल्दी उठकर किसी पेड़ की डाली पर झूलने लगा—-उसे देख कर गुनगुनाती हूँ–

 जंगल जंगल बात चली है पता चला है
अरे, चड्डी पहन के फूल खिला है|
याद आती है एक कहावत जो हमारे मालवा में कही जाती है लंगूर को सबेरे देखो या नाम ले लो तो सारा दिन भोजन नहीं मिलता| सोचा चलो मिले तो ठीक न मिले तो अपने पास चबेने के बादाम, अखरोट और शक्करपारे तो हैं ही, फिर अपनी ही कल्पनाओं से हँसी आने लगी, खुद ने खुद से ही कहा मैं पक्की इंदौरी हूँ|

सबेरा इतना ज्यादा खूबसूरत होता है जंगल में और दुनिया के तमाम संगीत से ज्यादा सुन्दर संगीत होता है जंगल में| सामने कमर तक हरी घास दिखाई दे रही थी ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी इशारा किया सामने सैंकड़ों की संख्या में नन्हे-नन्हे चीतल कुछ इस तरह खेल रहे थे जैसे प्ले ग्राउंड में किसी स्कूल के बच्चे खेल रहे हों, सुन्दर हिरणों की कुलाँचे भरती सुन्दरता ने मन को मोह लिया|

wildlife savanna sunrise morning wallpaper preview 1

अब समझ में आया कि सफारी की गाड़ी इतनी ऊँची क्यों है? आप दूर तक देख सकते हैं इसीलिए| यहाँ से गाड़ी आगे बढ़ती है तो अब घास नहीं है कुछ ऊँचे पेड़ों का झुरमुट है सफारी रूकती है विदेशियों के बड़े बड़े लैंस वाले कैमरे क्लिक क्लिक होने लगते हैं| हमारे सामने पेड़ों के पीछे हरी पत्तियों की जुगाली करते अपनी लंबी गर्दन, टाँगों और अपने विशिष्ट सींगों के लिये भी जाना जाने वाला जिराफ खड़ा था।

अफ्रीकी लड़का बोल रहा है जिसका अनुवाद कुछ इस तरह कर लेती हूँ मैं कि यह औसतन ५-६ मी. ऊँचा होता है तथा नर का औसतन वजन १,२०० कि. और मादा का ८३० कि. होता है। जिराफ अपने पैरों की हडि्डयों में यांत्रिक तनाव के चलते ही अपने शरीर का करीब एक हजार किलो भार उठा पाता है। यह जिराफ़िडे परिवार का सदस्य है तथा इसका सबसे नज़दीकी रिश्तेदार इसी कुल का अफ्रीका में पाया जाने वाला ओकापी नामक प्राणी है। इसकी नौ प्रजातियाँ हैं जो कि आकार, रंग, त्वचा के धब्बों तथा पाये जाने वाले क्षेत्रों में एक दूसरे से भिन्न हैं। जिराफ़ खुले मैदानों तथा छितरे जंगलों में पाए जाते हैं। जिराफ़ उन स्थानों में रहना पसन्द करते हैं जहाँ प्रचुर मात्रा में बबूल या कीकर के पेड़ हों क्योंकि इनकी पत्तियाँ जिराफ़ का प्रमुख आहार है

south africa safari giraffes wide 800x300 1

अपनी लंबी गर्दन के कारण इन्हें ऊँचे पेड़ों से पत्तियाँ खाने में कोई परेशानी नहीं होती है। ये वयस्क परभक्षियों का कम ही शिकार होते हैं लेकिन इनके शावकों का शिकार शेर, तेंदुए, लकड़बग्घे तथा जंगली कुत्ते करते हैं। आम तौर पर जिराफ़ कुछ समय के लिए एकत्रित होते हैं तथा कुछ घण्टों के पश्चात अपनी-अपनी राह चल देते हैं। नर अपना दबदबा बनाने के लिए एक दूसरे से अपनी गर्दनें लड़ाते हैं।

जिराफ़ (जिराफ़ा कॅमेलोपार्डेलिस) अफ्रीका के जंगलों में पाया जाने वाला एक शाकाहारी पशु है। यह सभी थलीय पशुओं में सबसे ऊँचा होता है तथा जुगाली करने वाला सबसे बड़ा जीव है। इसका वैज्ञानिक नाम ऊँट जैसे मुँह तथा तेंदुए जैसी त्वचा के कारण पड़ा है। दो जिराफ कहीं आसपास से वहीँ चले आते हैं, वाह कितना सुन्दर दिखता है यह अफ्रीकी ऊँट जिसके बारे में मुझे यह पता था कि जिराफ़ धरती पर पाया जाने वाला सबसे लंबा जानवर है। एक नर जिराफ़ की लम्बाई १८ फीट तक होती है। जिराफ़ पूरे दिन में १० से ३० मिनट तक ही सोता है जिराफ़ को पानी पीने के लिए अपनी दोनों अगली टाँगों को खोलना पड़ता है तब जाकर उसका मुँह पानी तक पहुँच पाता है।

अफ्रीका के सात देशों में जिराफ़ पहले से ही विलुप्त हो चुके हैं। वह लड़का (गाइड) हमें बताता है कि एक जिराफ़ की जीभ की लम्बाई २१ इंच तक होती है| जिससे वो अपने कानों को साफ़ कर सकता है अब तक का सबसे ज्यादा वजन वाला जिराफ़ १९३० किलोग्राम का था और मादा जिराफ़ का वजन ११८० किलोग्राम था। जिराफ़ अपना ज्यादातर समय खड़े रहकर ही बिता देते हैं बल्कि वो तो खड़े–खड़े ही सो भी जाते हैं। जिराफ़ एक दिन में ३८ लीटर पानी पी जाते हैं वो ज्यादातर पानी पेड़–पौधों से ही प्राप्त करते हैं।

हम भी कुछ फोटो खींचते हैं अब हमारा वाहन घुमाकर वह जिराफ के सामने ले जाता है अब जिराफ बहुत ही साफ़ दिखाई दे रहे थे| हमारे साथ यात्रा कर रहे जर्मन फोटोग्राफर बताने लगते हैं कि जिराफ सदा खड़े रहते हैं| सभी शाकाहारी भक्षियों में जिराफ सबसे अधिक विलक्षण एवं आकर्षक है। जिराफों की दृष्टि अत्यंत तीक्ष्ण होती है और चूँकि उनकी ऊँचाई भी बहुत अधिक है, इसलिए वे दूर-दूर तक देख सकते हैं। जब वे सिंह जैसे हिंसक जानवरों को देख लेते हैं, तब ५० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भाग निकलते हैं। जमीन चाहे जितना ऊबड़-खाबड़ क्यों न हो, उन्हें कोई तकलीफ नहीं होती।

ड्राइवर अब रुट बदलता है यहाँ से सामने ढलान से जैसे कोई हरी कारपेट बिछी हो या गोल्फ खेलने का मैदान हो दूर दूर तक मैदान नुमा जंगल है यहाँ जंगली सूअरों का एक झुण्ड बारहसिंगे या नीलगाय जैसे किसी प्राणी को दौड़ा रहे थे वह अकेला था और ये दस पंद्रह तभी कहीं से चार पाँच जेब्रा आते हैं दौड़ते हुए जिससे सूअर चले जाते हैं अब मुझे अपने कैमरे में वीडियो बनाना आ गया था यह अद्भुत प्राणी मेरे पास अब वीडियो में सुरक्षित है|

जर्मन फोटोग्राफर पहले भी अफ्रीका आये थे वे बताने लगते हैं कि अफ्रीका में घोड़े के कुल की कई जातियाँ हैं जो अपने शरीर में सफ़ेद और काली धारियों से पहचाने जाते हैं। इसकी धारियाँ अलग-अलग प्रकार की होती हैं और मनुष्य के अंगुलियों के निशान की तरह दो जानवरों की धारियाँ एक जैसी नहीं होती हैं। यह सामाजिक प्राणी होते हैं जो छोटे से लेकर बड़े झुण्डों में रहते हैं। अपने करीबी रिश्तेदारों घोड़े और गधे के विपरीत ज़ीब्रा को कभी पालतू नहीं बनाया जा सका।

ज़ीब्रा की तीन जातियाँ जीवित हैं — मैदानी ज़ीब्रा, ग्रॅवी का ज़ीब्रा और पहाड़ी ज़ीब्रा। मैदानी और पहाड़ी ज़ीब्रा हिप्पोटिग्रिस उपवंश के हैं लेकिन ग्रॅवी का ज़ीब्रा डॉलिकोहिप्पस उपवंश का है। ग्रॅवी का ज़ीब्रा गधे की तरह ज़्यादा दिखता है और उससे करीबी रूप से सम्बन्धित भी है, जबकि पहले दो घोड़े रूपी अधिक होते हैं। तीनों ऍक्वस प्रजाति के अंतर्गत आते हैं| अब ड्राइवर गाड़ी वापस लाता है ब्रेकफास्ट के लिए| एक ब्रेक होता है हम सेंडविच के साथ कॉफ़ी लेते हैं यहाँ फ्रूट्स भी मिल जाते हैं, ब्रेकफ़ास्ट लेकर हम बीस मिनिट के ब्रेक के बाद वापस निकलते हैं अब रुट थोड़ा ज्यादा दुर्गम लगता है ड्राइवर गाड़ी रोक देता है चुप रहने का इशारा करता है सामने से जाने वाला प्राणी सड़क क्रॉस कर झाड़ी में चला जाता है यह मैंने पहली बार ही देखा बाकी तो चिड़िया घरों में देखे थे पता चला यह बहुत ही खतरनाक जीव है हाईना, मतलब लकड़ बग्घा| यह कुछ धब्बेदार है इसकी आगे की टाँगे पीछे से ज्यादा लम्बी होती हैं कंधे से पीछे की तरफ झुका हुआ सा चेहरे से ही हिंसक झलक देता|

आगे हम खूब बड़ी बड़ी घास के मैदान से आगे जाते हैं एक बाड़े जैसी फैंसिंग के बाहर वह हमें उतरने के लिए कहता है सभी लोग उतर जाते हैं चुपचाप चलना है घास बड़ी बड़ी है दिमाग में डर आ बैठा है इस घास में नीचे यदि कोई बाबाजी [नागदेव] हों तो? या कहीं हाईना या कोई और तो ये भला अफ्रीकन आदमी आगे जा रहा है बचाएगा कौन? लोग चुपचाप खड़े हैं शायद साँसे भी रोके हुए एक विदेशी गोरे दम्पति के साथ उनके दो छोटे-छोटे बच्चे भी यहाँ खड़े हैं वे अपनी गाड़ी से घूम रहे हैं, सामने दुनिया के सबसे खूबसूरत कहे जाने वाले प्राणी को चार चार एक साथ देखती हूँ ये सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर चीता है.

768 512 11926158 thumbnail 3x2 dev

एक दो भी नहीं पूरे चार यदि ये भड़क जाए तो? रोंगटे खड़े हो जाते हैं फिर भी डरते हुए कुछ फोटो लेती हूँ फिर धीरे से पति का हाथ दबाकर चलने का इशारा करती हूँ हम तत्काल पलट जाते हैं| भय चढ़ बैठा है दिमाग पर, दो किलोमीटर वापस पैदल गाड़ी तक आते आते हर पल लगता रहा बस अभी लोग भागेंगे, घास में भागना भी मुश्किल, गाड़ी में चढ़ जाती हूँ कोई नहीं आया अभी तक, फिर वापस जाने का मन होता है मैं भय और रोमांच के बीच आवाजाही करती हूँ शायद यही इस जंगल यात्रा का आनंद है .मैं गुनगुनाती हूँ ,हम तुम एक जंगल से गुजरें और शेर आ जाए फिर दिमाग में चीते की ऑंखें घूमती हैं बैठे बैठे कोसती हूँ सफारी वाले की अकल को?

भाई ज़ेबरा, जिराफ, चीतल तो गाड़ी में से दूर से दिखा रहा है और भूखे चीते के सामने पैदल परोस रहा है हमें बताया भी नहीं कि क्या देखना है? बताता तो शायद कई लोग जाते ही नहीं, क्योंकि कई लोग जाकर तेज चलकर आने में असमर्थ थे और फिर सबसे तेज दौड़ने वाला चीता सामने हो तो कोई मैराथन धावक भी एक मिनट में फेल हो जाए तो अपनी क्या बिसात? अब लोग पलटकर आते हुए दिखाई दे रहे थे जिनके चेहरे पर भय और रोमांच अभी भी साफ़ दिख रहा है|

अब हमें आगे जाना है शायद कोई अफ्रीकन शेर दिखे लेकिन यह क्या पूरा एक राउंड बेकार, गाड़ी वापस चाय ब्रेक के लिए लौट आती है, अभी अफ्रीकन शेरों से मिलना बाकी है उनसे मिले बिना पूरी जंगल यात्रा बेकार| रूट इस बार कोई दूसरा है शायद इस राउंड में कोई पानी के पास वाली जगह है यहाँ सभी साँसें रोके बैठे हैं कोई अलार्म होता है शायद कहीं जिराफ हिनहिनाया, देखती हूँ सामने दूर से एक बब्बर शेर चला आ रहा है फिर एक और बब्बर शेर दिखाई देता है .

oiu 4395637 m 1

जब गाइड बताता है चुप रहिए पर क्लिक तो होती ही है शेर की चाल को देखकर मुझे याद आता है कि कहते हैं कि हाथी की तरह मस्तानी चाल चलने वाले गंभीर, बुद्धिमान और दूरदृष्टि वाले होते हैं, बिल्ली की तरह चलने वाले संतुलित, शांत व मिलनसार किस्म के होते हैं लेकिन शेर की तरह चाल चलने वाले स्वाभिमानी होते हैं, वे हमेशा अपने लक्ष्य को लेकर चलते हैं|

navbharat times 5 From the States MP Cheetah 1200x768

यदि सात में से पाँच जानवर आपने देख लिए तो आपकी सफारी यात्रा सफल मानी जाती है तो आप लकी कहलाते हैं, मैं गिनती लगाती हूँ कि मैंने क्या-क्या देखा विश्व का सबसे ऊँचा पशु जिराफ, विश्व का सबसे बड़ा पक्षी शुतुरमुर्ग, धरती का सबसे विशाल जानवर हाथी, दुनिया को ट्रैफिक ज्ञान देने वाला पट्टेदार ज़ेब्रा, सबसे अधिक बुद्धिमान चिम्पांजी, सबसे तेज दौड़ने वाला चीता, कुत्ता जाति का सबसे बड़ा पशु लकड़बग्घा और भेड़िया|

Zebras Maasai Mara National Reserve Kenya scaled 1Equus quagga burchellii 1200px cropped 768x454 1

बिल्ली जाति का सबसे बड़ा, सबसे हिंसक जीव अफ्रीकन सिंह| इस यात्रा में मैंने सबसे बड़ी समुद्री जीव व्हेल भी देखी तो मेरी यात्रा सौ फीसदी सफल हो गई| हम वापसी के रास्ते में थे सामने जंगली बिल्ली से बड़ा कोई बिल्ले जैसा जानवर था| जिसके कानों के सिरे पर काले बाल थे मूँछें थीं रंग गुलाबी ईंटों जैसा नीचे से सफ़ेद, पता चला यह बेहद खतरनाक जानवर बिल्ली की ही प्रजाति का है| अंत में वह हमें बफेलो सफारी के अंतिम रूट पर ले जाता है जहाँ दूर से ही दिखाई देती हैं जंगली भैंसें जो बड़ी संख्या में एक साथ थीं| गाइड ने बताया कि यह जब एक साथ होती हैं तो बब्बर शेरों को भी पछाड़ देती हैं|

Buffalo at the waterhole 1 1024x576 1
हम वापसी करते हैं याद आती है मुझे जंगल के ज्ञाता निधि जी की पंक्तियाँ कहीं पढ़ा था उनका उद्धरण “वन भूमियाँ जहाँ सौंदर्य के अक्षय भण्डार हैं, अहिंसा, प्रेम और शान्ति के प्रतीक हैं, वैराग्य के उद्दीपक, आनंद के स्त्रोत हैं, यह भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि वे विभीषिका के निकेतन भी हैं और इसी विभीषिका का रसास्वादन भी यही मेरी जंगल यात्रा का उद्देश्य भी होते हैं|” सोचती हूँ सच ही तो कहते हैं निधि जी|

इंसान ही नहीं दुनिया की कोई भी नस्ल जल, जंगल और ज़मीन के बिना ज़िंदा नहीं रह सकती| ये तीनों हमारे जीवन का आधार हैं| जंगलों को बचाने का संकल्प स्कूलों में प्रेयर के साथ ही दिया जाना चाहिए हम कितने निरंकुश होते जा रहे हैं सीमेंट के जंगल बनाते हुए, मैं मन ही मन अफ्रीका को थैंक्स बोल ही देती हूँ जिसने रिजर्व फॉरेस्ट का वृहद रूप बचा लिया है, हमारे यहाँ लोग कहते हैं कि सबसे ज्यादा नुकसान वनों को वन विभाग ही पहुँचाता है उनके घरों में शानदार फर्नीचर बनते हैं, ट्रक भर भर जंगल से महँगी लकड़ी मकान बनाते हुए पहुँचाई जाती है| रिजर्व फॉरेस्ट को, खेतीहर जमीन कितनी आसानी से कॉलोनियों के लिए कॉलोनाइज़र्स को भेंट कर दी जाती है| पहले जंगल पूज्य थे, श्रद्धेय थे| इसलिए उनकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए मंत्रों का सहारा लिया गया| मगर गुज़रते वक़्त के साथ जंगल से जुड़ी भावनाएँ और संवेदनाएँ भी बदल गई हैं| स्वार्थ के जंगलों में सब जल कर नष्ट हो रहा है, हम जैव विविधता को भूलते जा रहे हैं|

प्रकृति अपनी वस्तुओं का उपयोग खुद नहीं करती सच ही तो है नदी कहाँ अपना पानी पीती है, पेड़ कब अपने फल खाते हैं? सब हमारे लिए है| हम वो अनाड़ी हैं जो जिस डाल पर बैठते हैं उसी को काट रहे होते हैं? याद आते हैं मुझे बहुत सारे किस्से जिनमें प्रकृति को देख कर हम जीवन का विज्ञान सीखते हैं और जीवन के अर्थ खोजते हैं?

लियोनार्डो दा विंची ने १४४५ में सर्वप्रथम चित्रों द्वारा उड़ने वाले यंत्र की कल्पना की थी। उन्होंने पक्षियों की शारीरिक संरचना और इनके उड़ने की विधियों का सूक्ष्म निरीक्षण किया और इसके आधार पर पैराशूट और जहाज के विविध चित्र बनाए। इनके चित्र प्रकृति अभिप्रेरित परिकल्पना के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। एक ऐसा ही उदाहरण स्मार्ट कपड़ों के संबंध में दिया जा सकता है। कपड़ों के अन्वेषक को कोनिफर प्रजाति के कुछ पौधों से प्रेरणा मिली। ऐसे पौधे एक विशेष तापमान रेंज में खुलकर अपने बीजों का प्रकीर्णन करते हैं।

हम भी तो पारिस्थितिकी तंत्र का एक भाग हैं, सह जीवन के उत्तरदायी? मुझे यहाँ गाँधीजी याद आते हैं महात्मा गाँधी के इस प्रकृति दर्शन का उल्लेख यहाँ अपरिहार्य होगा- “प्रकृति में सभी व्यक्तियों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने की पूरी सामर्थ्य है, लेकिन इसमें एक व्यक्ति के भी लालच के लिए कोई स्थान नहीं।”

सोचती हूँ अबकी बार कुछ इसी तरह के कोटेशन अपने दफ्तर, घर, सिनेमाहॉल पर पोस्टर बनाकर चस्पा करुँगी| लोगों को याद दिलाऊँगी कि ऋषि-मुनियों ने आध्यात्मिक चेतना यहीं से ग्रहण की और इसी के सौन्दर्य से मुग्ध होकर न जाने कितने कवियों की आत्मा से कविताएँ फूट पड़ीं| सामने से शुतुरमुर्ग का परिवार चला आ रहा था गाड़ी रोक दी गई उन्हें रास्ता देने के लिए| सड़क क्रॉस कर मादा शुतुरमुर्ग दूर जाकर रुकी, मैंने उसके चहरे पर एक मुस्कान देखी और आँखों में थी कृतज्ञता| जर्मन फोटोग्राफर ने उस भाव की फोटो खींची, वो जर्मन कलाकार है, मैं लेखक और पक्षी प्रेमी, भावों को हम नहीं पहचानेंगे तो कौन पहचानेगा?

मन ही मन प्रकृति के संरक्षण की अथर्ववेद की शपथ दोहराती हूँ “हे धरती माँ, जो कुछ भी तुमसे लूँगी, वह उतना ही होगा जितना तू पुनः पैदा कर सके। तेरे मर्मस्थल पर या तेरी जीवन शक्ति पर कभी आघात नहीं करूँगी।” जाते हुए जो सूर्य अनुपम लग रहा था वही अब तप रहा था जंगल का मंगल समाप्त होने वाला था| पद्मपुराण का कथन याद है जिसके पालन में मैंने अपने प्रत्येक सरकारी गैर सरकारी घरों में रहते हुए भी पालन किया है फलदार पेड़-पौधे लगाए हैं अथर्ववेद कहता है कि “जो मनुष्य सड़क के किनारे तथा जलाशयों के तट पर वृक्ष लगाता है, वह स्वर्ग में उतने ही वर्षों तक फलता-फूलता है, जितने वर्षों तक वह वृक्ष फलता-फूलता है। इसी कारण हमारे यहाँ वृक्ष पूजन की सनातन परम्परा रही है। यही पेड़ फलों के भार से झुककर हमें शील और विनम्रता का पाठ पढ़ाते हैं|”

रॉबर्ट गाड़ी में नींद निकाल चुका था, हमें देखते ही मुस्कुराता है, मैं भी मुस्कुराकर उसे धन्यवाद देती हूँ जाते हुए जिस यात्रा को लेकर मैं पूर्वाग्रहित थी लौटते में उससे भी ज्यादा प्रसन्न| सामने रेस्टॉरेंट से हम रॉबर्ट को कॉफ़ी ऑफर करते हैं और चल देते हैं केप टाउन की ओर| अफ्रीका सबसे बड़ा वन्य प्राणी उद्यान है। यहाँ सरीसृप, पक्षी, उदबिलाव और सफेद समुद्री चिड़िया बड़ी संख्या में पाई जाती हैं और छोटे स्तनधारियों की अनेकों प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं| जीवन में एक बार वन्य प्राणियों के लिए अफ्रीका जरूर देखिए|

South Africa: दुनिया बेहद खूबसूरत है, नीला समन्दर, एक खुला आसमान

Author profile
Dr. Swati Tiwari
डॉ .स्वाति तिवारी

डॉ. स्वाति तिवारी

जन्म : 17 फरवरी, धार (मध्यप्रदेश)

नई शताब्दी में संवेदना, सोच और शिल्प की बहुआयामिता से उल्लेखनीय रचनात्मक हस्तक्षेप करनेवाली महत्त्वपूर्ण रचनाकार स्वाति तिवारी ने पाठकों व आलोचकों के मध्य पर्याप्त प्रतिष्ठा अर्जित की है। सामाजिक सरोकारों से सक्रिय प्रतिबद्धता, नवीन वैचारिक संरचनाओं के प्रति उत्सुकता और नैतिक निजता की ललक उन्हें विशिष्ट बनाती है।

देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानी, लेख, कविता, व्यंग्य, रिपोर्ताज व आलोचना का प्रकाशन। विविध विधाओं की चौदह से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। एक कहानीकार के रूप में सकारात्मक रचनाशीलता के अनेक आयामों की पक्षधर। हंस, नया ज्ञानोदय, लमही, पाखी, परिकथा, बिम्ब, वर्तमान साहित्य इत्यादि में प्रकाशित कहानियाँ चर्चित व प्रशंसित।  लोक-संस्कृति एवं लोक-भाषा के सम्वर्धन की दिशा में सतत सक्रिय।

स्वाति तिवारी मानव अधिकारों की सशक्त पैरोकार, कुशल संगठनकर्ता व प्रभावी वक्ता के रूप में सुपरिचित हैं। अनेक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन। फ़िल्म निर्माण व निर्देशन में भी निपुण। ‘इंदौर लेखिका संघ’ का गठन। ‘दिल्ली लेखिका संघ’ की सचिव रहीं। अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से विभूषित। विश्व के अनेक देशों की यात्राएँ।

विभिन्न रचनाएँ अंग्रेज़ी सहित कई भाषाओं में अनूदित। अनेक विश्वविद्यालयों में कहानियों पर शोध कार्य ।

सम्प्रति : ‘मीडियावाला डॉट कॉम’ में साहित्य सम्पादक, पत्रकार, पर्यावरणविद एवं पक्षी छायाकार।

ईमेल : stswatitiwari@gmail.com

मो. : 7974534394