चन्द्रयान-3प्रक्षेपण :”प्रतिष्ठा” समूह द्वारा चाँद पर केन्द्रित अनूठी गीत गोष्ठी

चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो ,भारत तैयार चलो ,गीत गोष्ठी

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चन्द्रयान-3प्रक्षेपण :”प्रतिष्ठा” समूह द्वारा चाँद पर केन्द्रित अनूठी गीत गोष्ठी

लोक संस्कृति और आस्था का प्रतीक चंद्रमा भारतीय संस्कृति में और फिल्म जगत में  विशेष रूप से महिमा मंडित किया जाता रहा है .इस विषय को केन्द्रित  करते हुए पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति समिति “प्रतिष्ठा” द्वारा चंद्रयान -3 के प्रक्षेपण  को शुभकामानाओं के साथ अनूठे तरीके से सेलिब्रेट किया गया ,चाँद और चंद्रयान मिशन पर चर्चा करते हुए  चाँद पर आधारित  विभीन्न गायकों द्वारा गाये गए फ़िल्मी एवं  लोकगीतों की प्रस्तुति दी गयी  .इस अवसर पर सदस्यों ने लगभग 70 ऐसे गीत रखे जिनमे चाँद के सौंदर्य ,चाँद की महिमा और चाँद से तुलना की गयी है.और सदस्यों ने  किसी भी गीत की  पुनरावृति नहीं  होने दी,इसी तरह लगभग  दस लोक गीत ओर भजन भी याद करते हुए चाँद और चन्द्र यान  को समर्पित किये गए , जिनमे चाँद शब्द को महिमा मंडित किया गया है.

सदस्यों ने इस गौरवान्वित  अवसर पर एक दुसरे को इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए ,यह प्रार्थना भी की हमारा यह मिशन सफल हो और हमारे वैज्ञानिक सकुशल सफलता के साथ वापस  आयें .महिलाओं ने गीतों के माध्यम से बताया की चाँद का विज्ञान एक बहुत बड़ी खोज होगी लेकिन भारतीय लोक में चन्द्रमा की अनेक कल्पनाये अलग अलग अवसर पर होती है जिन्हें गीतों में भी लिखा गया है .

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कभी दूज का चन्द्रमा, चन्द्र दर्शन का कहलाता है, तो कभी वह ईद की खुशी का चन्द्रमा, ईद का चाँद कहलाता है। कभी चतुर्थी का वक्र चन्द्र, तो करवा चौथ के चन्द्र दर्शन का चन्द्रमा कहलाता है, तो कभी वह शरद पूनम का सुधा-वृष्टि-कर्ता कहलाता है, तो कभी वह कृष्ण के महारास का रासानन्द कहलाता है, तो कभी वह प्रियतमा संग प्रणय निवेदन का चन्द्र कहलाता है।इस तरह चाँद भारतीय लोक जीवन में  समाहित है .

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कभी वह चन्द्रमा चातक का हितैषी है, तो कभी माँ की गोदी के बालकृष्ण का खिलौना चार घंटे चले इस आयोजन में चंद्रमा पर केन्द्रित स्वरचित  कला कृति एवं फोटोग्राफी भी प्रदर्शित की गए .

चन्द्रयान  की नयी खोज के बाद भी भारतीय संस्कृति की  यह सांस्कृतिक विरासत साहित्य और त्योहारों में बरकरार रहेगी .चाँद पर जानकारी देते  इस कार्यक्रम में चाँद और पृथ्वी की दूरी पर भी बात की गयी .बताया गया किचाँद की अपनी रौशनी नहीं होती यह केवल सूर्य की रौशनी से चमकता है, यानी रात के अँधेरे में चाँद की रौशनी इसकी अपनी नहीं होती यह केवल सूर्य की होती है। चाँद केवल रात के अँधेरे में दिखाई देता है यह दिन में भी आस्मान में मौजूद रहता है लेकिन दिन में सूरज की रौशनी तेज होने के कारण यह दिखाई नहीं देता।वैज्ञानिकों के अनुसार चाँद और धरती की दूरी करीब 384403 किलोमीटर (238857 मील) की दूरी है,इतनी दूरी पर चन्द्रमा पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाता है, चन्द्रमा को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में करीब 27.3 दिन का समय लगता है.ज्योतिष में कुल नौ ग्रह बताए गए हैं। इन नौ ग्रहों में चंद्र सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह है। ये ग्रह हर ढाई दिन में राशि बदलता है।

संस्थापक डॉ स्वाति तिवारी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन मणिमाला शर्मा ने किया .लोक चित्रकार श्रीमती वन्दिता श्रीवास्तव के चित्रांकन से आयोजन की शुरुवात हुई .डॉ  विम्मी मनोज एवं डॉ सुनीता फडनिस  की पेंटिंग्स भी  प्रस्तुत की गयी .डॉ स्वाति तिवारी की शरद पूर्णिमा की फोटोग्राफी के साथ  चन्द्रमा पर  केन्द्रित पर्व ,व्रत और त्योहारों का भी उल्लेख किया गया . अलका भार्गव ,ममता सक्क्सेना ,प्रभा जैन ,निति अग्निहोत्री ,अनीता दुबे ,रितुप्रिया खरे ,शोभादुबे ,रूचि बगाडदेव ,प्रियंका ,सुनीता श्रीवास्तव .वंदना पुणताम्बेकर,विनीता तिवारी ,सीमा शाह ,आशा बगाददेव , आशा जाकड़ इत्यादि सहित बड़ी संख्या में लोगो ने   प्रतिभागिता की .स्वाति तिवारी ने आभार व्यक्त  किया .