विज्ञान : दुनिया में पहली बार इंसानों को चढ़ा लैब में बना खून

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रक्त (अंग्रेज़ी : Blood) मानव शरीर का एक महत्त्वपूर्ण भाग और तरल संयोजी ऊतक है। यह रक्त वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में नियमित रूप से गतिशील रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला रक्त प्राय: गाढ़ा, थोड़ा-सा चिपचिपा और लाल रंग का होता है।

रक्त या खून (Blood) वो अनमोल चीज है, जिसकी पर्याप्त उपलब्धता का इंतजाम अभी तक नहीं हो सका है. दुनिया के किसी भी देश की तरह भारत के मेडिकल सेक्टर में भी स्वस्थ लोगों के रक्त की लगातार जरूरत रहती है, ताकि जरूरतमंदों की जान बचाई जा सके. अब इस समस्या के समाधान की दिशा में एक उम्मीद जगी है.

दरअसल ब्रिटेन (UK) में दुनिया में पहली बार लैब में विकसित किए गए खून (Lab-grown Blood) को लोगों को चढ़ाया गया है. ब्रिटेन (UK) में हुए एक क्लिनिकल परीक्षण के तहत प्रयोगशाला में विकसित किए गए रक्त को लोगों में चढ़ाया गया.

इस ट्रायल से क्या हासिल होगा?

इस प्रयोग के बाद ब्रिटेन के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने कहा, ‘लैब में विकसित इस खून को बेहद कम मात्रा में इंसानों के शरीर में चढ़ाया गया है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि यह शरीर के अंदर कैसा प्रदर्शन करता है.’ इस क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे उन लोगों की जिंदगी का कुछ समय बढ़ा सकते हैं जो थैलीसीमिया और एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी जैसी बीमारी से जीतने के लिए पूरी तरह से नियमित रूप से रक्तदान करने वालों पर निर्भर हैं.

‘बीबीसी’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस रिसर्च का आखिरी लक्ष्य प्रयोग में लाए जा सकने वाले उस विरले ब्लड-ग्रुप वाले खून को विकसित करना है जो अक्सर मिलना मुश्किल होता है. यह उन लोगों के लिए बेहद आवश्यक है जो सिकल सेल एनीमिया जैसी स्थितियों के लिए नियमित तौर पर खून चढ़ाए जाने पर निर्भर हैं. क्योंकि अगर खून के नमूने का सही मिलान नहीं होता है तो पीड़ित व्यक्ति का शरीर उस खून को अस्वीकार करना शुरू कर देता है और इलाज कामयाब नहीं हो पाता है. टिस्यू मैचिंग का यह स्तर प्रसिद्ध A, B, AB और O रक्त समूहों से अलग है.