दोपहर में इतने घने बादल कि अंधेरे का अहसास, बादल भी गरजे!

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यूनियन कार्बाइड और मिथाइल आइसोसाइनेट को हम सब ने किताब के पन्नों में नेटफ्लिक्स पर The Railwaymen बहुत शानदार वेब सीरीज़ है। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी पर केंद्रित यह वेब सीरीज भोपाल में यूनियन कार्बाइड में हुए जानलेवा गैस रिसाव के बाद बचाव और राहत के काम में कूद पड़े कुछ रेलवे कर्मचारियों और अन्य लोगों की जांबाज़ी की कहानी कहती है 39 साल पहले हुए भोपाल गैस रिसाव हादसे में एक अनुमान के मुताबिक 15 हजार लोग मारे गये थे। केंद्रीय भूमिकाओं में के के मेनन, दिव्येंदु( मिर्जापुर के मुन्ना भैया), आर माधवन और बाबिल खान ( दिवंगत अभिनेता इरफान के बेटे) ने बहुत अच्छा काम किया है। उनके अलावा जूही चावला, रघुवीर यादव, मंदिरा बेदी , दिव्येंदु भट्टाचार्य, सनी हिंदुजा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। के के मेनन का काम खासतौर पर कमाल का है। चार लंबी कड़ियों की इस वेब सीरीज के निर्माता हैं यश राज फिल्म्स । निर्देशन राहुल रवैल के बेटे शिव रवैल ने किया है। सीरीज़ देखने लायक है।

इस हफ्ते की शुरुआत में नेटफ्लिक्स पर ‘द रेलवेमैन’ देखते हुए एक खास दृश्य पर मेरी आंखें भर आईं। वो एक पत्रकार थे, जिन्होंने 1984 में घटी भोपाल गैस त्रासदी का पहले ही अनुमान लगा लिया था और गैस लीक के बाद अपनी जान खतरे में डालते हुए स्कूटर पर लोगों की जान बचाईं।

के के मेनन पूरे सीरीज़ को अपने अभिनय से बांधे रखते हैं। के के मेनन की लगातार दूसरी बार बम्बई मेरी जान के बाद शानदार अभिनय किये हैं। बाबिल खान भी प्रभावित करते हैं। पूरी सीरीज़ को के के मेनन, बाबिल खान, दिव्येन्दु शर्मा और आर माधवन ने बांधे रखा है।

द रेलवेमैन जहां एक तरफ प्रशासनिक खामियों को दिखाती है तो दूसरी तरफ पूंजीवाद के स्याह पक्ष को भी रखती है।

द रेलवेमैन के निर्माता – निर्देशक एक जगह निराश करते हैं कि जबरदस्ती कहानी मे सिख दंगों को ठूंस देते हैं।
बाकी नेताओं के निकम्मेपन से सहमति है।

जाहिर है हम लोग रेलवेमैन जैसे उन सब लोगों की कहानियों से अंजान रहे हैं, जिन्होंने भोपालवासियों को बचाने में अपनी जान की बाजी लगाई होगी।

1984 में भोपाल में हुई गैस त्रासदी पर बनी वेबसीरीज ‘द रेलवेमैन’ भी अपनी ड्यूटी को पूरा करने वाले रेलवेकर्मियों की कहानी है, जहां भोपाल जंक्शन के स्टेशन मास्टर और उसके कुछ साथी यूनियन कार्बाइड प्लांट से जहरीली गैस लीक होने के बाद भोपाल स्टेशन पर मौजूद लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान लड़ा देते हैं। जाहिर है यह आसान नहीं था, लेकिन इसमें तत्कालीन उत्तर रेलवे के जीएम ने भी तमाम ऊपरी आदेशों को दरकिनार करते हुए भोपालवासी को राहत पहुंचाने का काम किया था।

ड्यूटी या फर्ज सिर्फ शब्द नहीं है, यह एक जिम्मेदारी है, कुछ होने का अहसास है, और द रेलवेमैन बड़ी खूबसूरती से यह कह पाने में सफल होती है। भोपाल जंक्शन के स्टेशन मास्टर बने केके मेनन ने हमेशा की तरह बेहतरीन किरदार निभाया है और रेलवेकर्मी बने बाबिल खान भी प्रभावित करते हैं।

उन्होंने एक गर्भवती महिला और उसके अजन्मे शिशु को भी बचाया। गैस लीक से भोपाल के 15 हजार लोगों की मौत के बाद यूनियन कार्बाइड के मालिक को जब चार्टर विमान से ‘सुरक्षित’ बचाकर ले जाया जा रहा था, तो एयरपोर्ट के बाहर खड़े इस शख्स की आंखों में आंसू थे। स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल मच जाता है। ये चार लोग अपनी जान जोखिम में डालकर हजारों लोगों की जान बचाते हैं। ट्रेन से लोकेशन पर मौजूद लोगों को बाहर भेजते हैं तो कहीं और से आ रही ट्रेन को भोपाल आने से रोकते हैं। लेकिन ये सुनने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। जहां पल-पल सांस लेना मुश्किल हो रहा था, वहां दूसरों की जान के बारे में सोचना, वाकई बहुत दिलेर वाला काम था।

मेरी भी आंखों में आंसू थे क्योंकि इस रीयल लाइफ पत्रकार राजकुमार केसवानी (इस वेब सीरीज के किरदार की प्रेरणा) ने मेरी और उनके घर पर हुई बैठकी में जब भी मुझे गैस त्रासदी की कहानी सुनाई तो हर बार उनकी आंखों में आंसू होते थे। वह बेहद सख्त पत्रकार पर बड़े दिल वाले इंसान भी थे और जब लोगों की पीड़ा की बात आती तो उतने ही दयालु थे।