आधे मंत्रियों की होगी छुट्टी!
मप्र के शिवराज मंत्रिमंडल में फेरबदल अगले महीने फरवरी में होना तय हो गया है। चौंकाने वाली खबर यह आ रही है कि लगभग आधे मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। इनमें अनेक सिंधिया समर्थक मंत्री भी शामिल हैं। भाजपा हाईकमान ने अगला चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़ने का मन बना लिया है।
प्रदेश में सत्ता विरोधी माहौल से निपटने मप्र के विवादास्पद मंत्रियों को घर बिठाने का फैसला कर लिया है। पार्टी गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर जिन मंत्रियों को हटाने जा रही है, उन्हें अगले चुनाव में टिकट भी नहीं दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल में नये, सक्रिय व बेदाग चेहरों को जगह मिलेगी। क्षेत्रीय व जातिगत समीकरण भी साधने का प्रयास किया जाएगा। खबर आ रही है कि इस फेरबदल से सिंधिया खेमे को तगड़ा झटका लग सकता है!
*वरिष्ठ आईएएस के खिलाफ सात पेज का पर्चा*
मप्र की नौकरशाही में आपसी खींचतान खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल एक वरिष्ठ आईएएस के खिलाफ 7 पेज का पर्चा बांटा जा रहा है। स्वयं को भाजपा का हितैषी बताने वाले के नाम से बांटे गये पर्चे में वरिष्ठ आईएएस पर 2500 करोड़ के ठेके में 250 करोड़ कमाने के आरोप लगाये गये हैं। आरोप है कि मनमाफिक कंपनी को ठेका देने नियम कानूनों को ताक पर रख दिया गया।
चहेती कंपनी की सुविधानुसार टेंडर तैयार किया गया। ठेका देने से पहले अपने एक दलाल को उक्त कंपनी में रखवाया गया। पर्चे में आरोप लगाया गया है कि भ्रष्टाचार करने के लिए इस वरिष्ठ आईएएस ने अपने विभाग से तीन ईमानदार जूनियर आईएएस को भी हटवाया। पर्चे के जरिये इस ठेके की सीबीआई जांच की मांग की गई है। मप्र में कुछ दिन पहले भी अन्य आईएएस के खिलाफ इसी तरह के पर्चे बंटे थे।
*सीएम के दो दावेदारों के खिलाफ दिल्ली से दो वीडियो जारी!*
दिल्ली में एक वरिष्ठ पत्रकार हैं प्रदीप सिंह। इनके राजनीतिक विश्लेषण देखकर कोई भी इन्हें संघ व भाजपा समर्थक पत्रकार ही समझेगा। खबर है कि इनके राजनीतिक विश्लेषण को यूट्यूब पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी देखते हैं। प्रदीप सिंह ने पिछले एक महीने मे मप्र में मुख्यमंत्री के दो दावेदारों कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ बेहद तीखे वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट किये हैं।
विजयवर्गीय के खिलाफ 20 दिसम्बर को उस समय वीडियो जारी किया, जब पीएम मोदी दिल्ली में उनके भतीजे की शादी में जाने वाले थे। दूसरा वीडियो 21 जनवरी को नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ जारी किया गया है। विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल में भाजपा की लुटिया डुबोने वाला बताया है। नरोत्तम मिश्रा को अपराधियों का संरक्षक बताते हुए यहां तक कहा गया कि यूपी के माफिया विकास दुबे से उनके सीधे संपर्क थे। दोनों वीडियो एक लाख से ज्यादा लोगों ने देखे हैं। मप्र की राजनीति में इस बात की तलाश शुरु हो गई है कि यह वीडियो कौन बनवा रहा है?
*आईपीएस के माता पिता को मुफ्त की यात्रा से रोका*
मप्र में यह बेहद रोचक मामला है। मप्र के एक कलेक्टर ने बाकायदा आदेश जारी करके प्रदेश के एक पुलिस अधीक्षक (आईपीएस) के माता पिता को मुफ्त की मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का लाभ लेने से रोक दिया है। मप्र में विन्ध्य के रहने वाले यह आईपीएस ग्वालियर चंबल संभाग के एक जिले में पुलिस अधीक्षक हैं। उनके माता पिता ने तीर्थ दर्शन योजना में यात्रा करने फार्म भरा था।
उनका नाम भी सिलेक्ट हो गया। माता पिता यात्रा की तैयारी कर ही रहे थे कि किसी दिलजले ने कलेक्टर से शिकायत कर दी कि वे खाते पीते घर के हैं। अच्छा खासा इन्कम टैक्स भरते हैं। सरकारी मुफ्त की यात्रा का लाभ नहीं ले सकते। कलेक्टर ने जांच कराई तो शिकायत सही पाई गई। उन्होंने विधिवत आदेश जारी कर आईपीएस के माता पिता को मुफ्त की यात्रा में शामिल होने से रोक दिया है।
*भ्रष्ट अधिकारी, सब पर भारी!*
मप्र आजीविका मिशन के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलएम बेलवाल को हम भ्रष्ट नहीं बता रहे हैं। बल्कि मप्र की आईएएस अधिकारी सुश्री नेहा मारव्या ने अपनी 57 पेज की जांच रिपोर्ट में बेलवाल पर लगे सभी आरोपों की पुष्टि की है। आजीविका मिशन में बेलवाल पर 100 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। मजेदार बात यह है कि तमाम आरोप प्रमाणित होने के बाद भी राज्य सरकार इस अफसर को सजा देने के बजाय उसकी ढाल बन गई है। बेलवाल मप्र में वरिष्ठ आईएफएस अफसर थे। भाजपा सरकार की कृपा से वे आजीविका मिशन में मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनकर प्रतिनियुक्ति पर आये थे। उन्हें मप्र हाईकोर्ट में खींचने वाले भूपेन्द्र प्रजापति का दावा है उनके कार्यकाल में 1000 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन अभी तक हमारे पास 100 करोड़ के भ्रष्टाचार के प्रमाण मौजूद हैं जो हाईकोर्ट में दे दिए गये हैं। दूसरी ओर राज्य सरकार बेलवाल पर इतनी मेहरबान है कि रिटायरमेंट के तीन साल बाद भी वे संविदा लेकर अंगद की तरह कुर्सी पर जमे हुए हैं।
*सवा सौ करोड़ की जमीन पर भू-माफिया की नजर!*
ग्वालियर शहर के बीचों-बीच लगभग सवा सौ करोड़ की 112 बीघा जमीन पर भू माफिया की नजर लग गई है। राज्य सरकार ने लगभग 30 वर्ष पूर्व ग्वालियर में गोले के मंदिर के पास मंघाराम बिस्किट फैक्ट्री से लगी 112 बीघा जमीन मप्र सहकारी आवास संघ को आवंटित की थी। लंबे समय तक कानूनी पचड़े में पड़ी यह भूमि अब आवास संघ के कब्जे में आ गई है। ग्वालियर के भू माफिया गृह निर्माण सहकारी समितियों के जरिये इस बेशकीमती जमीन को हथियाने सक्रिय हो गये हैं। इस जमीन पर अनेक भाजपा नेताओं की नजरें भी लगी हुई हैं। इस जमीन को लेकर मप्र के सहकारिता मंत्री अरविन्द भदौरिया की भूमिका अहम रहेगी।
*और अंत में….!*
वैसे तो मप्र में आम आदमी पार्टी का खास असर नहीं है, फिर भी हरदा में आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष आनन्द जाट ने मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल को खुली चुनौती दे दी है। जाट ने पांच दिन जेल में रहने के बाद फेसबुक पर वीडियो जारी कर कमल पटेल के खिलाफ तगड़ा मोर्चा खोलने की चेतावनी दी है। जाट का आरोप है कि कमल पटेल और उनके बेटे ने झूठे केस में फंसाकर उसे जेल भेजा था। मजेदार बात यह है कि हरदा में कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेन्द्र दोगने भी खुलकर आनन्द जाट के पक्ष में उतर आए हैं। आनन्द को गलत तरीके से पांच दिन जेल में रखने के लिए कमल पटेल को जिम्मेदार बता रहे हैं।