Padmashri : टीचर ने कहा था डॉ बनकर किसी को निचोड़ना मत, डॉ डावर ने वही किया!
Jabalpur : यहां के डॉ मुनीश्वर चंद्र डावर को नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 77 साल के डॉ डावर को मरीजों के सस्ते इलाज के लिए यह सम्मान मिला। वे आज भी 20 रुपए फीस पर इलाज करते हैं। उन्होंने 50 साल पहले 2 रुपए फीस लेकर प्रैक्टिस शुरू की थी। डॉ डावर सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश में थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उन्हें इस उपलब्धि पर सम्मानित किया।
डॉ डावर के मुताबिक, वे नहाकर कपड़े पहन रहे थे, इतने में उन्हें दिल्ली से कॉल आया। यह बुधवार सुबह की बात है। मुझसे कहा गया कि बधाई हो आपको पद्मश्री के लिए सिलेक्ट किया गया है। मुझसे मेरे नाम की स्पेलिंग और दूसरी जानकारी पूछी गई। बताया कि रात 8 बजे नाम की घोषणा हो जाएगी। अभी आप किसी से इस बात की चर्चा मत कीजिएगा। मैं बहुत खुश हुआ और अपने बेटे को यह बात बता दी। रात 8 बजे जैसे ही पद्मश्री की घोषणा हुई, घर बधाई देने वाले लोगों का तांता लग गया।
सेवा की प्रेरणा टीचर से मिली
डॉ डावर को कम फीस लेकर लोगों की सेवा करने की प्रेरणा उनके एक टीचर तुलसीदास से मिली। उन्होंने कहा था कि डॉक्टर बनने के बाद कभी किसी को निचोड़ना मत। उनकी प्रेरणा के बाद में समाज सेवा निरंतर करता रहा। हालांकि, इस बीच मुझे अपने स्वास्थ्य कारणों से अड़चनें भी आईं, लेकिन मैंने अपनी सेवाभाव से कभी समझौता नहीं किया। डॉ डावर के मुताबिक, वे कोरोना काल में भी लोगों की मदद करना चाहते थे। वे अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पाए, क्योंकि उन्हें भी दो बार कोरोना हो गया था। इसका उन्हें आज भी अफसोस है।
सेना में भी जवानों सैकड़ों को बचाया
डॉ डावर ने बताया कि जब उन्होंने सेना में भर्ती के लिए एग्जाम दिया था, तब 533 उम्मीदवारों में से केवल 23 ही सिलेक्ट हुए थे। इनमें से 9वें नंबर पर उनका नाम था। 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश में की गई। डॉ डावर ने न जाने कितने घायल जवानों का इलाज किया। जंग खत्म होने के बाद स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें समय से पहले रिटायरमेंट लेना पड़ा। इसके बाद 1972 से उन्होंने जबलपुर में अपनी प्रैक्टिस शुरू की।