New Way of Protest : सरकार के फैसलों का विरोध करने के लिए सरपंच पति टावर पर चढ़ा!  

ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल का विरोध, जानिए क्या था पूरा मामला!

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Panipat (Hariyana) : ‘ई-टेंडरिंग’ और ‘राइट टू रिकॉल’ का हरियाणा में सरपंच अलग-अलग तरीके से विरोध कर रहे हैं। सरपंच सरकार के खिलाफ हर जिले में प्रदर्शन करके इसे वापस लेने की मांग की जा रही हैं। पानीपत जिले के इसराना उपमंडल के गांव नौल्था डुंगरान में शुक्रवार दोपहर एक सरपंच पति ने 40 फीट ऊंचे टावर पर एक घंटे तक चढ़कर इसका विरोध किया। उसने टावर से नीचे कूदकर आत्महत्या करने की धमकी भी दी।

मौके पर लोगों की भीड़ भी उनके समर्थन में आ पहुंची। पुलिस ने भी मौके पर मोर्चा संभाला। इसी बीच BDPO कार्यालय के कर्मी को भी वहां बुलाया गया, जिसके आश्वासन पर करीब 1 घंटे बाद वह टावर से नीचे उतरा।

माइक-स्पीकर से लाइव सुनवाई बात

गांव नोल्था डुंगरान की सरपंच स्वीटी देवी का पति नीरज कौशिक दोपहर करीब पौने 1 बजे टावर पर चढ़ा था। उसके पक्ष में विरोध करने वाले अनेकों सरपंच और किसान भी पहुंच गए। लोगों ने उसे काफी समझाया, मगर वह नीचे नहीं उतरा और कूदकर मरने की धमकियां देने लगा। तभी BDPO शक्ति सिंह का असिस्टेंट सतपाल को भी वहां बुलाया गया।

सतपाल ने टावर पर बैठे नीरज के साथ मोबाइल पर बातचीत की। पूरी बातचीत माइक-स्पीकर के माध्यम से सभी को लाइव सुनाई गई। जिसमें सतपाल ने कहा कि वह उनकी मांग को तुरंत ही अफसरों से संबंधित विभाग को भिजवा देगा। इसी आश्वासन पर वह करीब पौने 2 बजे नीचे उतरा और अपना ज्ञापन सौंपा।

क्या है ई-टेंडरिंग

कामकाज में भ्रष्टाचार रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया बनाई है। इसके तहत 2 लाख से अधिक का काम करवाने के लिए ई-टेंडर जारी किया जाएगा। फिर अधिकारियों की देखरेख में ठेकेदारों से काम करवाया जाएगा। इसके अलावा सरपंचों को गांवों के विकास कार्यों के बारे में सरकार को ब्यौरा देना होगा। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से भ्रष्टाचार को रोकने में कामयाबी मिलेगी।

ई- टेंडरिंग का विरोध क्यों

हरियाणा के सरपंचों का कहना है कि सरकार की ये स्कीम सरपंचों के खिलाफ है। अगर गांवों में विकास करने के लिए पैसा उन्हें सीधे तौर पर नहीं दिया जाएगा तो ठेकेदार और अधिकारी अपनी मनमर्जी से काम करेंगे। इससे गांव का विकास नही हो पाएगा। सरपंच मांगों को लेकर अड़े हुए हैं और सरकार से ‘ई-टेंडरिंग’ और ‘राइट टू रिकॉल’ को वापस लेने की मांग कर रहे है। सरपंचों ने सरकार पर ठेका प्रथा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। सरकार अधिकारियों और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है।

काम नहीं किया तो कार्यकाल से हटेंगे

‘राइट टू रिकॉल’ के तहत अब हरियाणा के गांवों के लोगों के पास ये अधिकार आ गया। अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवाएगा तो उसे बीच कार्यकाल में हटाया जा सकता है। सरपंच को हटाने के लिए गांव के ही 33% मतदाता को लिखित शिकायत संबंधित अधिकारी को देनी होगी। जिसके बाद सरपंच को हटाया जा सकता है। यह अधिकार खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी व CEO के पास जा सकता है।