इतिहास में दर्ज हो गई सोनिया की सियासी पारी …

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इतिहास में दर्ज हो गई सोनिया की सियासी पारी …

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायपुर के कांग्रेस अधिवेशन में वह बड़ी बात कह दी, जिसकी औपचारिकता ही बाकी थी। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा मेरी सियासी पारी का आखिरी पड़ाव है। कांग्रेस ने लोकतंत्र को मजबूत किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में हमने एक अच्छी सरकार दी थी। सोनिया गांधी ने अपने राजनीतिक पारी के अंत का संकेत देते हुए कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ उनकी राजनीतिक पारी खत्म हो सकती है। यूपीए अध्यक्ष ने कहा, “2004 और 2009 में हमारी जीत के साथ-साथ डॉ. मनमोहन सिंह के कुशल नेतृत्व ने मुझे व्यक्तिगत संतुष्टि दी, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मेरी पारी भारत जोड़ो यात्रा के साथ समाप्त हुई, जो कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।” कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा सफल हुई है। राहुल गांधी ने मुश्किल यात्रा को मुमकिन किया। इसने जनता के साथ कांग्रेस के जुड़ाव को जीवंत किया है। कांग्रेस ने कमर कस ली है कि देश बचाने के लिए लड़ाई लड़ेंगे। कांग्रेस देश के हितों के लिए लड़ाई लड़ेगी। मजबूत कार्यकर्ता ही कांग्रेस की ताकत हैं। हमें अनुशासन के साथ काम करने की जरूरत है। जनता तक हमें अपना संदेश पहुंचाना होगा। सोनिया ने अपील की है कि निजी हितों को किनारे रखकर त्याग की जरूरत है। पार्टी की जीत ही देश की जीत होगी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में हम कामयाब होंगे।
तो सोनिया ने वह सब कुछ कह दिया जो अब हकीकत है और पूरे देश के सामने है। पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सोनिया गांधी की सियासी पारी भले ही 26 साल की रही हो, लेकिन कांग्रेस के इतिहास में यह काल “सोनिया युग” के नाम से जाना जाएगा। दस साल तक कांग्रेस ने केंद्र में सरकार बनाने की जो महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, वह बिना सोनिया गांधी के अकल्पनीय थी।पति पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के पश्चात कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा कर दी परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया।
पति की मौत के सदमे में राजनीति और राजनीतिज्ञों के प्रति अपनी घृणा और अविश्वास को उन्होंने इन शब्दों में व्यक्त किया कि, “मैं अपने बच्चों को भीख मांगते देख लूंगी, परंतु मैं राजनीति में कदम नहीं रखूंगी।” छह वर्ष तक राजनीति में कदम न रख कर उन्होंने अपने बेटे और बेटी का पालन-पोषण करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। पर जब कांग्रेस 1996 का आम चुनाव भी हार गई, जिससे कांग्रेस के नेताओं ने फिर से नेहरु-गांधी परिवार के किसी सदस्य की आवश्यकता अनुभव की। तब सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं की मांग और वक्त की जरूरत के मुताबिक 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और उसके 62 दिनों के अंदर 1998 में वो कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं। सोनिया गांधी अक्टूबर 1999 में बेल्लारी, कर्नाटक से और साथ ही अपने दिवंगत पति के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी, उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ीं और करीब तीन लाख वोटों की विशाल बढ़त से विजयी हुईं।
1999 में 13वीं लोक सभा में वे विपक्ष की नेता चुनी गईं। राजनीति में कदम रखने के बाद उनका विदेश में जन्म होने का मुद्दा उठाया गया। उनकी कमजोर हिंदी को भी मुद्दा बनाया गया। उन पर परिवारवाद का भी आरोप लगा लेकिन कांग्रेसियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा और इन मुद्दों को नकारते रहे। और समय के साथ सोनिया न केवल कांग्रेसी नेताओं बल्कि पूरे देश की उम्मीदों पर खरी साबित हुईं। 2004 तक सोनिया सियासत की पक्की सिपाही बन गईं और जब पूरा देश अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में एक बार फिर एनडीए सरकार के सत्तारूढ़ होने के प्रति आश्वस्त था, तब कांग्रेस ने सोनिया के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन संग चुनाव लड़ा और यूपीए 200 से ज्यादा सीटें हासिल कर केंद्र में सत्तारूढ़ हुआ।
सोनिया गांधी स्वयं रायबरेली, उत्तर प्रदेश से सांसद चुनी गईं।भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए बामपंथियों ने कांग्रेस गठबंधन को समर्थन देकर स्पष्ट बहुमत प्रदान किया। इसके बाद 2009 में भी यूपीए गठबंधन केंद्र में सत्तारूढ़ हुआ। यह सोनिया की सियासी परिपक्वता पर मुहर लगाने के लिए काफी था। महात्मा गांधी की वर्षगांठ के दिन 2 अक्टूबर 2007 को सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित किया।
सोनिया गांधी का कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल पार्टी के इतिहास में सबसे लंबा है। वह 14 मार्च 1998 से 16 दिसम्बर 2017 तक और दूसरी पारी में 10 अगस्त 2019 से 26 अक्टूबर 2022 तक 23 साल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही हैं।
उन्होंने फोर्ब्स की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में अनेकों बार जगह बनाई है। राष्ट्रीय सुझाव समिति का अध्यक्ष होने के कारण सोनिया गांधी पर लाभ के पद पर होने के साथ लोकसभा का सदस्य होने का आक्षेप लगा, जिसके फलस्वरूप 23 मार्च 2006 को उन्होंने राष्ट्रीय सुझाव समिति के अध्यक्ष के पद और लोकसभा की सदस्यता दोनों से त्यागपत्र दे दिया। मई 2006 में वे रायबरेली, उत्तरप्रदेश से पुन: सांसद चुनी गईं। उनकी संसदीय यात्रा जारी है और 76 वर्षीय‌ सोनिया ने सियासी पड़ाव के विराम की इच्छा जता दी है। 9 दिसंबर 1946 को सोनिया का जन्म वैनेतो, इटली के क्षेत्र में विसेन्जा से 20 किमी दूर स्थित एक छोटे से गाँव लूसियाना में हुआ था।
उनका बचपन टूरिन, इटली से 8 किमी दूर स्थित ओर्बसानो में व्यतीत हुआ। 1964 में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में बेल शैक्षणिक निधि के भाषा विद्यालय में अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करने गईं, जहां उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई जो उस समय ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज में पढ़ते थे। 1968 में दोनों का विवाह हुआ जिसके बाद वे भारत में रहने लगीं। विवाह होने के 17 साल बाद उन्होंने 1983 में भारतीय नागरिकता स्वीकार की।
सोनिया ने भारतीय नागरिक के बतौर चालीस साल का सफर पूरा किया है। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष के बतौर उन्होंने पार्टी को दस साल तक शिखर पर बनाए रखा। अब अपने बेटे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और बेटी प्रियंका गांधी से संतुष्ट सोनिया की सियासी जीवन से मुक्त होने की पहल भी आखिरी नहीं बल्कि एक प्रमुख पड़ाव माना जा सकता है…। राजनीति में कदम नहीं रखूंगी…से लेकर राजनीति से विदा लेने तक का यह सफर वाकई बहुत दिलचस्प है। अब सोनिया की यह सियासी पारी हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गई है…।