Well Done My Son: वेलडन माय सन

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Well Done My Son

Well Done My Son: वेलडन माय सन

मन्नत जब पूरी होती है तो जलसा होता है। मुंबई में यह जलसे का समय है। बंगले में ईद-दिवाली की रौनक है। काबिल बेटा 26 दिन बाद लौट रहा है। बाहर एक रंगीन बैनर लगा है, जिस पर लिखा है-‘वेलकम टू होम, प्रिंस आर्यन।’
एक्टर बाप बेइंतहा खुश है।
इतनी खुशी उसे मुंबई में पहली फिल्म मिलने पर भी नहीं हुई थी। बीते एक महीने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी है। पूरी ताकत झाेंक दी। नामी वकीलों की कतार लगा दी। एक की दलीलें न चलीं तो दूसरे ला खड़े किए। दौलत और शोहरत आखिर कमाई किसके लिए थी। राजनीतिक दलों के स्लीपर सेल वानखेड़े को खदेड़ने के लिए उसकी अम्मी और बीवी को भी घसीट लाए हैं।
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खान नाम का परदे की परछाइयों का किंग खुश हुआ। उसके लिए आज अपनी लीगल टीम के साथ ग्रुप फोटो जारी करने का एक खुशगवार मौका है। उसके माेबाइल फोन लगातार बज रहे हैं। मां थाली सजाकर सीढ़ियां उतर रही है।
जेल जाना कोई मामूली बात थोड़े ही है। बड़े-बड़े लोग जेल गए हैं। गांधी, नेहरू, पटेल और मौलाना। बंगले के बाहर हंगामा बढ़ गया है। एक मैनेजर मोबाइल पर घिघिया रहा है-‘सर, अभी बात कराता हूं…वो अंदर हैं…जस्ट मिनट…जी सर वो आ गए…सर, मुकुलजी लाइन पर हैं।’
वह एक्टर को फोन देता है। उधर से आवाज आती है-‘कांग्रेच्युलेशंस…इट वाज रियली अ वेरी टफ फाइल बट अंत भला सो सब भला…।’
-‘म…म…मैनी थैंक्स मुकुलजी…यू आर राइट…बट नाऊ वी आर वेरी हैप्पी…ग्रेटफुल…ऑल आॅफ माय फैमिली…।’ एक्टर ने किसी फिल्म की तरह संवाद पढ़ा।
फोन कटते ही फिर बजा, जिसे मैनेजर ने रिसीव किया और वह कोने में जाकर बात करने लगा।
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-‘वो पहुंचने ही वाले हैं…सारी तैयारियां हो चुकी हैं…सर आप दो मिनट में बाहर आ जाइए…मैम को भी बता दिया है…शी इज रेडी एंड कमिंग।’ ईवेंट मैनेजमेंट कंपनी का एक एक्जीक्यूटिव कोट-टाई में हाथ में वॉकी-टाॅकी लिए आया। तभी कारों के रुकने का शोर सुनाई दिया।
वो ऑक्सफोर्ड से कोई डिग्री टॉप करके नहीं लौट रहे थे, वो एवरेस्ट की चढ़ाई करके नहीं आए थे, न ही सरहद से कोई जंग जीतकर और न ही पहला अवार्ड लेकर मगर कुछ एेसी ही विजयी मुद्रा में प्रिंस एक लंबी कार से उतर रहे थे। आसपास उनकी एक झलक पाने के लिए जन्मजात दीवाने फैंस आए हुए थे। मीडियावालों ने अपने कैमरे का सही फोकस बनाने में दो घंटे लगाए थे। मन्नत जलसे में बदल गई।
मां एक थाली में दीप जलाकर आईं। कार से उतरने अपने लाड़ले की आरती की। उसके माथे पर तिलक सजाया। बलाएं लीं। आंखों में आंसू चमके। आरती-तिलक देखकर किंग खान के बगल में एक मौलवी टाइप शख्स के चेहरे पर बल पड़े, जो इस मुबारक मौके पर दुआ पढ़ने के लिए तशरीफ लाए थे। वह मन ही मन में कुढ़ा-‘लानत है।’
प्रिंस ने मास्क सरकाया और डैड से उसकी निगाह मिलीं। डैड ने फिल्म के किसी दृश्य की तरह अपनी बाहें फैला दीं। फैंस के हुजूम से सीटियों की आवाजों ने उसकी अदा का स्वागत किया। बेरीकेड्स के दूसरी तरफ कैमरे पूरे जोर से चालू थे।
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प्रिंस तेज कदमों से आगे बढ़ा और डैड से लिपट गया। डैड ने आंखों पर काला चश्मा चढ़ाए ही उसे गले से लगा लिया। उसकी पीठ पर धौल जमाए। सिर पर हाथ फेरा। वह बहुत भावुक कर देने वाले पल थे। खान के आसपास के लोग हल्के हाथों से तालियां बजाने की मुद्रा में आ गए। सबके चेहरों पर नूर था।
-‘वेलकम माय सन…।’ एक्टर की आवाज भर्राई हुई थी।
बेटे को यूथ आइकन की तरह देखा जा रहा था। इतनी कम उम्र मंे इतना नाम कमाकर आया था। कई प्रोडयूसर्स हलचल में आ गए थे। भाड़े के लेखकों से एक ऐसी स्क्रिप्ट लिखने को कहा जा रहा था जिसमें एक हाईप्रोफाइल नौजवान नशेड़ियों के बीच से निकलकर नशे के कारोबार को ध्वस्त करते हुए समाज के लिए कुछ करने निकल पड़ता है। पहला शॉट क्रूज पर फिल्माया जाए। परदे पर वह प्रिंस का पहला ब्रेक होगा, जो एक ही झटके में सौ करोड़ क्लब से आगे छलांग लगा देगा।
पहला जौहर दिखाने के लिए सब करण की ओर देख रहे थे। जावेद साहब को कोई गीत सुझाई नहीं दे रहा था, क्योंकि तारेक फतह से इतिहास की एक ताजा बहस में उनका दिमागी जायका बिगड़ा हुआ था और संजय दीक्षित ने जयपुर डायलॉग्स में अपने प्रिय चीचाजी पर खास शो की खिल्ली उड़ाऊ लिंक उन्हंे भिजवा दी थी।
कमला पसंद वाले तो डैड से मोर देन डबल फीस पर प्रिंस काे लेने के लिए उनके बिजनेस मैनेजर्स के पास प्रपोजल तभी भेज चुके थे, जब पहली बार कोर्ट ने जमानत की अर्जी खारिज करके प्रिंस को जेल रवाना किया था। लज्जतदार पान मसाले का एक ऐसा नया निरापद प्रोडक्ट जो खासकर यूथ के लिए लांच होगा। एक लुभावने पैक में, जिसे फांकते ही कन्याएं झूमकर झपट जाएं और आर्यन मुस्कराकर कहे-‘हाय कमला, तुम मेरी पहली पसंद हो।’
मीडियावालों के लिए तसल्ली दायक वक्त देने के बाद सब बड़े से दरवाजे के भीतर लौटे, जहां वही मैनेजर फिर फोन पर हाथ रखे एक्टर के पास आकर बोला-‘सिमी मैम हैं…दूसरा कॉल है उनका।’ एक्टर ने फोन अपने हाथ में लिया-‘गुड आफ्टर नून…या…या…ही जस्ट कम…यू केन टॉक आफ्टर लंच…या…या…आई विल…श्योर।’ बात खत्म होते ही मैनेजर ने फोन वापस ले लिया क्योंकि फिर घंटी बजी थी।
इवेंट मैनेजर वापस बाहर गया और मीडियावालों को इशारे में शुक्रिया अदा किया, जो दर्जनों कैमरों पर लाइव प्रसारण में मसरूफ हो गए थे। वे प्रिंस की वापसी पर की गई तैयारियों पर बड़े जोश से लाइव दे रहे थे।
लेकिन फैंस अब उस अलबेले स्वतंत्र बिहारी पत्रकार की नई आवाज सुनकर ठहाके लगा रहे थे जो चारों तरफ घूम-घूमकर भोजपुरी में अपना कवरेज फेसबुक पर लाइव दे रहा था
-‘ये पान मसालों का प्रचार करने वाले और किराए पर शादियों में नाचने वाले, जिन्हें आपने-हमने न हीरो बनाया है…देखिए न ये अपने बच्चों को क्या शिक्षा दे रहे हैं…ये ऐसे स्वागत कर रहे हैं जैसे लड़कवा दुश्मन के खिलाफ कोई जंग या चुनाव जीतकर आया है…आईएएस न बन गया है, कोई मैच जिताया हो जैसे…और ये हमारे हीरो हैं जैसे असली हीरो का अकाल न पड़ गया हो देश में और ये मीडिया…ये मनचले क्यों दिवाली मना रहे हैं…वो कहावत है न बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना…?’
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अंदर वह मैनेजर फिर फोन पर हाथ रखे एक्टर के पास आया और कान में बोला-‘सर मनोज कुमार लाइन पर हैं…।’ एक्टर ने बुरा सा मुंह बनाया।
फोन कान से लगाकर नकली मुस्कान चेहरे पर चिपकाकर बोला-‘सर नमस्कार करता हूं…।’
-‘कैसे हो शाहरुख…बेटे की वापसी के लिए आशीर्वाद देने के लिए फोन किया…।’ मनोज कुमार की सदाबहार आवाज सुनाई दी।
-‘धन्यवाद मनोज सर…अ…अ…आपका फोन आया…हमारे लिए ब…ब…बड़ी बात है।’ एक्टर हकलाया।
-‘देखो बेटे…एक बात निश्चित है…तुम मानो या न मानो।’ मनोज कुमार बोले।
-‘व…व…वो क्या सर?’ एक्टर सतर्क हुआ।
-‘वो ये कि मैंने सिमी ग्रेवाल वाला वो पुराना इंटरव्यू कल ही देखा, जब कोर्ट ने आर्यन को बेल दी…’ मनोज कुमार रुककर धीमी आवाज में फिर बोले-‘…तुम्हारी वाणी में सरस्वती है शाहरुख…अपनी शक्ति को पहचानो।’
-‘सर…मैं समझा नहीं।’ एक्टर अब खीजने लगा था।
-‘इसीलिए समझा रहा हूं…तुम मेरे बेटे की उम्र के हो शाहरुख…मगर ऊपरवाले ने तुम्हारी वाणी सिद्ध करके दिखा दी।’ अब मनोज कुमार की आवाज कुछ तेज हुई।
-‘वाणी सिद्ध…व्हाट डू यू मीन सर…आई कांट अंडरस्टैंड…हू इज वाणी, हू इज सिद्धि…।’ एक्टर ने इशारे में मैनेजर पर दांत पीसे, जो फोन वापस लेने के लिए बगल में हाथ जोड़े खड़ा था।
-‘सिमी के उस इंटरव्यू में तुमने कहा था कि तुम अपने बेटे का कैसा भविष्य चाहते हो…वह ड्रग के मजे ले और लड़कियों से रिश्ते बनाए और लोग ये शिकायतें लेकर तुम्हारे पास आएं…इसे हमारे शास्त्रों में वाणी सिद्धि कहा गया…मुंह से निकली ऐसी बात जो सच हाे जाए…तब तुम्हारे बेटे की उम्र क्या होगी तीन-चार साल ही होगी और तुम बेटे के लिए क्या कामना कर रहे थे…अगर तुम्हारी वाणी सिद्ध न होती तो वह बात सच हो नहीं सकती थी…बहरहाल…आर्यन नाम दिया है तो आर्य जैसा बनने का आशीर्वाद अब दो…तुम्हारी वाणी सिद्ध है मेरी यह बात याद रखना…आप सबको बहुत शुभकामनाएं और आशीर्वाद।’
मनोज कुमार ने जवाब का इंतजार नहीं किया। फोन दूसरी तरफ से ही डिस्कनेक्ट हुआ। कटे हुए कॉल के बाद हक्का-बक्का एक्टर आईफोन की स्क्रीन में घूर रहा था…