Atiq Ahmed Punished : उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद समेत 3 को उम्रकैद!
Prayagraj (UP) : 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में आज प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने बाहुबली अतीक अहमद समेत 3 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने अपहरण के इस मामले में अतीक के अलावा हनीफ, दिनेश पासी को भी दोषी पाया है. जबकि अतीक के भाई अशरफ समेत 7 को बरी कर दिया।
बीते महीने 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मियों की बदमाशों ने गोली और बम मार कर हत्या कर दी थी। इसलिए कि उमेश पाल विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह थे। उनकी गवाही बदलवाने के लिए अतीक ने 17 साल पहले 28 फरवरी 2006 को अतीक और उसके गुर्गों ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था। उन्हें दफ्तर ले जाकर टॉर्चर किया और फिर जबरदस्ती हलफनामा दिलवाकर गवाही बदलवा ली थी।
अतीक अहमद के गुनाहों का पहला इंसाफ
आज अतीक अहमद के गुनाहों का पहला इंसाफ हुआ। एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने अतीक समेत तीन आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया है। इस मामले में अतीक का भाई अशरफ सहित कुल 11 आरोपी थे। इनमें से एक की मौत हो चुकी है। मामले में अशरफ समेत सात आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया। बताया जा रहा है कि फैसला सुनाए जाने के वक्त अतीक अपने भाई अशरफ से गले मिलकर रोने लगा। अतीक पूर्व पार्षद दिनेश भाटी और सौलत हनीफ खान एडवोकेट को दोषी करार दिया गया है। तीन आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए, उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया। कोर्ट परिसर में वकीलों ने फांसी दिए जाने के नारे लगाए।
सजा पर बहस के दौरान अतीक ने अपना पक्ष खुद रखा। अतीक अहमद और दिनेश पासी को 134, 120बी, 147, 323/149, 341, 342, 504 के तहत दोषी ठहराया है। जबकि उनके वकील को 506 (2), 7CRLA और 120बी के तहत दोषी ककरा दिया गया। इसमें धारा 364 ए/34 सबसे बड़ी धारा है, जो अपहरण कर जान से मारने की धमकी पर लगाई जाती है। इसमें फांसी अथवा आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
जुल्मों की कहानी कितनी खौफनाक
दोषी करार दिए गए अतीक के जुल्मों की कहानी कितनी खौफनाक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2006 में जब उमेश पाल का अपहरण हुआ था उसके बाद वो एक साल तक अतीक के खिलाफ केस तक दर्ज नहीं करा पाया था। अतीक के खिलाफ केस यूपी की सत्ता में बसपा के आने और मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुआ। उमेश ने 5 जुलाई 2007 को अतीक और उसके गुर्गों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। उमेश ने इन पर अपहरण कर अपने दफ्तर में ले जाने, बंधक बनाने, जबरन हलफनामा तैयार कराने और गवाही दिलाने का आरोप लगाया गया था।
अतीक ने दफ्तर के टार्चर रूम में बंधक बनाया
पुलिस का मानना है कि अतीक ने उमेश को अपहरण के बाद अपने दफ्तर में बंधक बनाया था। वहीं उसकी बेरहमी से पिटाई की और उससे जबरदस्ती हलफनामा लिया कि राजू पाल हत्याकांड के समय वो मौके पर नहीं था। उमेश ने जब गवाही दे दी, कि वह राजू पाल हत्याकांड के समय वहां नहीं था, इसके बाद उमेश को छोड़ दिया गया।
अतीक के गुर्गों को उमेश पाल के अपहरण कांड में तो दोषी करार दिया गया, लेकिन उमेश के हत्याकांड में इंसाफ का भी इंतजार है। इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी अतीक का तीसरे नंबर का बेटा असद और उसके चार अन्य साथी घटना के बाद से ही फरार है। पुलिस ने उन पर 5 लाख का इनाम घोषित कर रखा है। अतीक की पत्नी शाइस्ता पर भी उमेश पाल हत्याकांड की साजिश रचने का आरोप है और वो फरार है। उस पर भी 25 हजार का इनाम रखा गया है। पुलिस ने इस मामले में अब तक दो बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया। उमेश पाल की मां और और पत्नी ने इस हत्याकांड में शामिल सभी अपराधियों के लिए फांसी की सजा की मांग की है। उनका कहना है कि ये जिंदा बच गए, तो अगला नंबर उनका हो सकता है। उनके बच्चे भी छोटे हैं। परिवार ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर भरोसा जताते हुए कहा कि विश्वास है कि उन्हें पूरा इंसाफ मिलेगा।