Inauguration & Discussion : ‘किताबें नदी होती हैं’ का लोकार्पण और विमर्श समारोह!

शीतला प्रसाद दुबे और और सुदर्शना द्विवेदी ने विचार व्यक्त किए!

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Inauguration & Discussion : ‘किताबें नदी होती हैं’ का लोकार्पण और विमर्श समारोह!

Mumbai : कमलेश पाठक के पहले कविता संग्रह ‘किताबें नदी होती हैं’ (इंडिया नेटबुक्स) के ‘नीलांबरी फाउंडेशन’ ने लोकार्पण व विमर्श समारोह आयोजित किया। इसमें महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ शीतलाप्रसाद दुबे ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पहली पुस्तक से ही कविता को नदी बनाने की कोशिश है। यहाँ कविता बन रही है नदी जो अपनी व्यापकता और विराटता में पाठकों के मन और दिल मे उतर रही है।’

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुदर्शना द्विवेदी ने कहा कि नारी शक्ति को किसी बैसाखी की जरूरत नहीं है। यह कविताएँ नारी के भीतर छिपी शक्ति को बाहर ला रही हैं। इन्हें पढ़ते हुए मेरे सामने से गुजरता है छोटे शहर से मुंबई आती, संघर्ष करती लेखिका का संघर्ष।

इस मौके पर भावुक होती कमलेश पाठक ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए कभी न भूलनेवाला दिन है। पिता के घर से, पति के घर तक किताबें हर दौर में मेरे साथ रही हैं। इस अवसर पर वंदना शर्मा, रेखा बब्बल, महेंद्र मोदी, हरिप्रसाद राय व डॉ मधुलिका पाठक ने भी किताब को लेकर अपने विचार रखे।

अभिनेता दिनेश शाकुल व पूनम पटवा ने कमलेश पाठक की कुछ कविताओं का पाठ किया। आयोजन के प्रयोजन पर संस्था की अध्यक्ष डॉ नीलिमा पांडेय ने अपने विचार रखे। सरस्वती वंदना व आभार कूसुम तिवारी ने व संचालन वर्षा सिंह ने किया।

समारोह में वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा, राकेश शर्मा, भरत मिश्र, सुमन्त मिश्र, रमन मिश्र, रमेश मिलन, अजय ब्रह्मात्मज, हरिगोविंद विश्वकर्मा, आनंद निगम, अशोक गुजराती, प्रियम्वदा रस्तोगी, प्रतिमा चौहान, लतिका राय, शकुंतला पंडित, कल्पना सेठी, आभा दवे, सुनिल गलगली, शैलेश सिंह, हरीश पाठक, किरिट पटेल, शिवप्रकाश, शुभम तिवारी, सुशीला तिवारी आदि कला, साहित्य और संस्कृति से जुड़े रचनाकार मौजूद थे।a