मन की बात कहते ‘कैलाश‘ और कांग्रेसियों को उत्साहित करते ‘दिग्विजय’

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मन की बात कहते ‘कैलाश‘ और कांग्रेसियों को उत्साहित करते ‘दिग्विजय’

दक्षिण भारत के लिए भाजपा का प्रवेश द्वार कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत का प्रभाव मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नजर आने लगा है। इससे जहां एक ओर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश व उमंग हिमालयीन उछाल मार रहा है तो वहीं भाजपा भी अब तेजी से ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करेगी जिससे लगे कि वह चुनावी लड़ाई में पूरी ताकत से भिड़ गई है। जहां तक भाजपा का सवाल है इस समय सबसे कमजोर पायदान पर वह छत्तीसगढ़ में है और यही कारण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हौसले कुछ अधिक ही बुलंद हैं। हालांकि उन्हें यह याद रखना होगा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की कमान बतौर प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर के हाथों मे है जो चुनावी रणनीति और भाजपा को जिताने में महारत हासिल कर चुके हैं। रणनीति बनाने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में उनका मुकाबला करने वाले बहुत कम नेता देश में भाजपा के पास हैं। मध्यप्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंक कर भाजपा की जीत का कीर्तिमान रचने वालों में उनकी भी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी।

छत्तीसगढ़ में समस्या यह है कि इस बार भाजपा के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है लेकिन माथुर को कमतर आंकना कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। हालांकि भूपेश बघेल ने कांग्रेस की जड़ें वहां काफी मजबूत कर दी हैं, लेकिन फिर भी उन्हें और अधिक चौकन्ना एवं सतर्क रहने की आवश्यकता है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय कार्यकर्ताओं के मन की बात कह रहे हैं और अभी से नेतृत्व को चेता रहे हैं कि भाजपा को भाजपा ही हरा सकती है कोई दूसरा नहीं। दिग्विजय सिंह उन कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं जो अपनी उपेक्षा या अन्य कारणों से घरों में बैठ गये हैं। उन सबको संगठित कर कांग्रेस की ताकत बढ़ाने के अभियान में वह लग चुके हैं तथा उनकी नजर उन 66 सीटों पर है जहां कांग्रेस कई सालों से हारती चली आ रही है।

​विधानसभा की 230 में से 200 सीटें जीतने का लक्ष्य सामने रखकर भाजपा एक महा जनसंपर्क अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक माह तक चलाने जा रही हैै। प्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों और 230 विधानसभा क्षेत्रों में इस महा जनसपंर्क अभियान के सहारे वह लगभग 5 करोड़ मतदाताओं व हितग्राहियों से सीधे संपर्क साधेगी और उन्हें राज्य व केन्द्र सरकार की जनहितैषी योजनाओं को बतायेगी। इस महा अभियान को भाजपा के मिशन-23 के शंखनाद के रुप में देखा जा सकता है। भाजपा ने 1168 अपने मैदानी कार्यकर्ताओं को भोपाल में जुटाया और प्रदेश कार्यसमिति की इस बड़ी बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने दोटूक शब्दों में कहा कि कर्नाटक के चुनाव परिणामों से घबराने की आवश्यकता नहीं है, जी-जान से जुट जाओ। इसके साथ ही बैठक में समन्वय की राह पर चलने का भी संदेश भी दिया गया।

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शिवराज का भी दो टूक शब्दों में कहना था कि यह कर्नाटक-वर्नाटक क्या है, यह मध्यप्रदेश है और इतना समझ लो कि यहां धूमधाम से जीत कर आयेंगे। प्रदेश अध्यक्ष शर्मा का कहना था कि जो लोग भाजपा में नाराजगी ढूंढ रहे हैं वे समझ लें कि यह भाजपा है और पूरी तरह एकजुट है। केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने भी मैदानी अमले में नया जोश खरोश फूंकने की कोशिश की। इसके साथ ही जून मासान्त तक के कार्यक्रम भी घोषित कर दिए गए ताकि कार्यकर्ता हाथ पर हाथ रखकर न बैठें और मैदान में सक्रिय नजर आयें।

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कार्यकर्ताओं के मन की बात करते कैलाश
​इन दिनों भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय आम कार्यकर्ताओं और हाशिए पर पड़े भाजपा नेताओं के बीच अच्छे-खासे लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि वे बिना किसी लाग-लपेट के कार्यकर्ताओं के मन की बात को अपना स्वर प्रदान कर रहे हैं और वह भी इस लहजे में कि इससे पार्टी को नुकसान कम हो और वह समय रहते अपने कार्य-व्यवहार में अपेक्षित बदलाव कर ले। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में तो विजयवर्गीय ने यह कह कर कि कोई मिलने जाये तो कुछ जिला अध्यक्ष कुर्सी से उठते तक नहीं हैं और प्रभारी मंत्री हवा की तरह आकर तूफान की तरह चले जाते हैं तथा कार्यकर्ताओं को समय नहीं देते। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में विजयवर्गीय ने जो कुछ कहा वह कार्यकर्ताओं के मन को इतना अधिक छू गया कि पूरे हाल में तालियों पर तालियां बजती रहीं। लगता है उन्होंने कार्यकर्ताओं की दुखती रग पर हाथ रख दिया हो।

मंच पर जब उन्होंने अपना सम्बोधन आरंभ किया तब उनके भाषण के दौरान पूरे हाल में तालियां गूंजती रहीं। उनकी इस बात के लिए प्रशंसा की जाना चाहिए कि केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में उन्होंने वे सारे मुद्दे उठाये जिनसे भाजपा इन दिनों परहेज करती नजर आती है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी का असली कारण बताते हुए मंत्रियों व जिला अध्यक्षों को उन्होंने खूब नसीहत दी। उन्होंने कर्नाटक के चुनाव नतीजों के परिप्रेक्ष्य में कुछ सुझाव भी दिए ताकि मध्यप्रदेश में फिर से विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत हो सके। विजयवर्गीय बोले कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर नाराजगी है, कार्यकर्ता व नेता नाराज हैं और उनका दर्द कोई नहीं पूछ रहा है। वे अपनी अनदेखी से नाराज हैं, उनकी पूछ-परख नहीं हो रही है। सचेत करने के अंदाज में उन्होंने मंच पर मौजूद नेतृत्व को यह नसीहत भी दी कि यहां कार्यकर्ताओं और नेताओं की पूछ परख नहीं हो रही है और उनकी यह उपेक्षा चुनावी साल में भारी पड़ सकती है।

उनका कहना था कि प्रभारी मंत्री अपने जिलों में हवा की तरह जाते हैं और तूफान की तरह वापस आ जाते हैं वे कार्यकर्ताओं से नहीं मिलते, जबकि होना यह चाहिए कि प्रभारी मंत्रियों को हर दौरे में कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए समय सुनिश्चित करना चाहिए और हर बार अलग-अलग कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी नाराजगी दूर करनी चाहिए। विजयवर्गीय ने कहाकि आजकल पार्टी के जिला अध्यक्षों में बहुत अकड़ है, वरिष्ठ नेताओं से मिलना तो दूर उनके पास कोई आ जाये तो कुर्सी से उठते भी नहीं हैं। उनका कहना था कि जिला अध्यक्षों को हर विधानसभा क्षेत्र में नाराज कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं की सूची बनाना चाहिए और इन नेताओं से जिला अध्यक्ष व प्रभारी मंत्रियों को मिलना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि एक व्यक्ति यदि 10 वोट भी प्रभावित कर सकता है तो चुनाव में काफी बड़ा नुकसान हो सकता है। कार्यकर्ताओं-नेताओं की नाराजगी क्या गुल खिला सकती है इस संदर्भ में उनका कहना था कि कर्नाटक की 37 विधानसभा सीटें हम इसी नाराजगी की वजह से हारे। इन सीटों पर हार-जीत का मार्जिन बहुत कम रहा। प्रदेश में हमें इस नाराजगी को दूर करना होगा।

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66 विधानसभा सीटें दिग्विजय सिंह को सौंपी
​मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने 66 विधानसभा सीटें दिग्विजय सिंह को सौंपी है। दिग्विजय सिंह के साथ पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा भी इन क्षेत्रों में जा रहे हैं। दिग्विजय सिंह अब तक 66 में से 40 से ज्यादा सीटों पर जा चुके हैं। वे अपने इस प्रवास में कार्यकर्ताओं से मिलते हैं, उनकी बात सुनते हैं और फिर उन्हें अपनी बात समझाते हैं तथा बताते हैं कि 2023 में फिर से कांग्रेस की सरकार बन रही है, आप सभी कमर कस लो और पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी मुस्तैदी से मैदान में उतरो तथा मतदाताओं से संपर्क करो और उन्हें कमलनाथ सरकार की डेढ़ साल की सरकार की उपलब्धियां बताओ तथा भाजपा सरकार की विफलताओं एवं झूठी घोषणाओं को रेखांकित करो।

कार्यसमिति में शिव ने सराहा विष्णु-कार्यकर्ताओं का काम, तो विष्णु ने मोदी-शिव सरकार की योजनाओं को दिया विकास का नाम

उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने चुनावी नारा उछालते हुए प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा कि कार्यकर्ताओं ने एक मत से यह तय किया है कि अबकी बार 200 पार और मिस्टर बंटाढार से आरपार। कार्यकर्ताओं ने प्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का संकल्प लिया है तो हमने संकल्प लिया है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में एतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाना है। 30 मई से 30 जून तक महा जनसंपर्क अभियान चलाया जायेगा और कमलनाथ की डेढ़ साल की सरकार के भ्रष्टाचार को 64 हजार मतदान केन्द्रों पर एक्सपोज करने का काम पार्टी कार्यकर्ता करेंगे। उनका आरोप था कि जिन लोगों ने वल्लभ भवन को कमीशनखोरी और वसूली का अड्डा बना दिया था उनका कच्चा चिट्ठा मतदाताओं के सामने रखा ही जायेगा।