Cabinet Reshuffle : मोदी कैबिनेट में फेरबदल हुआ तो MP से किसके नाम!

लोकसभा चुनाव से पहले के अंतिम फेरबदल से बहुत कुछ तय होगा!

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PM Modi's Tweet

Cabinet Reshuffle : मोदी कैबिनेट में फेरबदल हुआ तो MP से किसके नाम!

New Delhi : लम्बे इंतजार के बाद मोदी कैबिनेट में फेरबदल की अटकलें अब जल्द ही आकार ले सकती हैं। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि आज या कल यानी 2-3 जुलाई को ही फेरबदल हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जुलाई को कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है। इसलिए समझा जा रहा है कि 2 जुलाई यानी आज ही नए मंत्रियों का शपथ-ग्रहण हो सकता है। इन संभावनाओं की न तो कोई आधिकारीक रूप से पुष्टि कर रहा है न खंडन। इसलिए समझा जा रहा है कि जो होना है बहुत जल्दी होगा। वैसे भी भाजपा को ऐसे मामलों में चौंकाने की आदत है।

29 जून को प्रधानमंत्री आवास में मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के अलावा संघ के कुछ बड़े नेताओं की 4 घंटे की बैठक के बाद से ही कैबिनेट फेरबदल की संभावनाएं जाहिर की जा रही है। आखिरी बार 2021 में मोदी कैबिनेट में फेरबदल हुआ था और उस वक्त 43 मंत्रियों ने शपथ ली थी। लेकिन, इस बार कौन अंदर आएगा और कौन बाहर जाएगा, इसे लेकर कई तरह की बातें राजधानी के हलकों में है। पिछले मंत्रिमंडल विस्तार में रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन और प्रकाश जावेड़कर जैसे मंत्रियों को बाहर किया गया था। जबकि, अनुराग ठाकुर, किरेन रिजीजू और पुरुषोत्तम रुपाला की इंट्री हुई थी।

नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री समेत केंद्र सरकार में कुल 81 मंत्री बनाए जा सकते हैं। अभी 78 मंत्री कैबिनेट में हैं। सिर्फ 3 पद रिक्त है। पिछली बार कैबिनेट विस्तार में 12 मंत्रियों का इस्तीफा हुआ था। 36 नए मंत्रियों का उस वक्त शपथ हुआ था, जबकि 7 मंत्री प्रमोट किए गए थे। इस बार ज्यादा जगह नहीं है। नए मंत्री बनाने के लिए पुराने मंत्रियों को हटाना। ऐसे में संभावना है कि खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों को हटाने की बजा ए विभागों में पर कतरे जा सकते हैं।

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को ज्यादा जगह
जिन राज्यों में चुनाव होने होते हैं, वहां के नेताओं को हमेशा तरजीह दी जाती रही है। जबकि, उन मंत्रियों का पत्ता कट जाता है जहां चुनाव हो चुके हैं। पिछली बार उत्तरप्रदेश और गुजरात पर ज्यादा ध्यान दिया गया था। इस बार इन दो राज्यों से कुछ की छुट्टी हो तो आश्चर्य की बात नहीं। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर सबकी नजर है। मोदी कैबिनेट के संभावित फेरबदल में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को ज्यादा जगह मिलने की चर्चा भी है।

तीनों राज्यों से अभी 10 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं। इनमें से 1-2 का पत्ता कट भी सकता है। हिंदी बेल्ट के इन तीनों राज्यों से बीजेपी के पास 62 सांसद हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि विस्तार में मध्य प्रदेश को 3, छत्तीसगढ़ को 2 और राजस्थान को 2 और मंत्री पद मिल सकते हैं।

नाम की बात करें तो मध्य प्रदेश से सुमेर सोलंकी, राकेश सिंह और रीती पाठक रेस में सबसे आगे हैं। लेकिन, कयास यह भी लगाए जा रहे हैं वीडी शर्मा को भी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। उनकी जगह कोई नया अध्यक्ष बनाने की सुर्खियां लम्बे समय से चल रही है।

इसी तरह राजस्थान से रंजीता कोली, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। जबकि, छत्तीसगढ़ से विजय बघेल और सरोज पांडेय मंत्री की रेस में आगे हैं।

बिहार-यूपी के मंत्रियों इ पत्ते कटेंगे
संभावित फेरबदल में बिहार और यूपी के मंत्रियों का पत्ता कटना तय है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार और यूपी से 20 मंत्री हैं। बिहार से अश्विनी चौबे, पशुपति पारस और आरके सिंह की कुर्सी खतरे में है। कम से कम 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है। पिछले कैबिनेट विस्तार में ही चौबे को हटाए जाने की चर्चा थी, लेकिन अंतिम वक्त में उनका सिर्फ विभाग बदला गया।

ऊर्जा मंत्री आरके सिंह भी संकट में है। फरवरी 2023 में उनका एक कथित वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे फाइल रोके जाने पर प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने तक की बात कर रहे थे। 2021 में लोजपा तोड़ने के बाद पशुपति पारस को मंत्री बनाया गया था, पर वे रहेंगे या नहीं इस पर संशय है। बिहार से चिराग पासवान की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है। उधर, बीजेपी से संजय जायसवाल, अजय निषाद और राम कृपाल यादव में से एक को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। उत्तर प्रदेश से महेंद्र नाथ पांडेय, अजय मिश्र टेनी समेत 4 मंत्रियों की कुर्सी खतरे में है। पांडेय का विभाग भारी उद्योग पर शिवसेना का दावा रहा है। यूपी कोटे से संजीव बालियान का कद बढ़ाया जा सकता है। लक्ष्मीकांत वाजपेयी या हरिश द्विवेदी को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
ये दोनों अभी राष्ट्रीय संगठन में हैं।

कौन जाएगा गुजरात से और कौन आएगा
गुजरात के कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है। अभी प्रधानमंत्री के अलावा अमित शाह, मनसुख मांडविया, पुरुषोत्तम रूपाला, दर्शना जरदोस, देवूसिंह चौहाण और महेन्द्र मुंजपरा केंद्र में मंत्री हैं। इनमे से अगर छंटनी होती है तो मनसुख मांडविया, पुरुषोत्तम रूपाला और दर्शना जरदोश की कुर्सी खतरे में है। गुजरात से कैबिनेट में सीआर पाटिल को शामिल किए जाने की चर्चा है। हाल के गुजरात चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत में पाटिल ने बड़ी भूमिका रही। 2020 नवासारी के सांसद पाटिल को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी।

महाराष्ट्र-कर्नाटक के मंत्री संकट में
मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र से अभी 8 मंत्री हैं। इनमें नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, नारायण राणे और रामदास आठवले प्रमुख हैं। महाराष्ट्र से शिंदे गुट ने 3 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल का प्रस्ताव दिया है। अगर यह प्रस्ताव मान लिया जाता है, तो बीजेपी अपने कोटे से कुछ मंत्रियों को बाहर कर सकती है।
नए समीकरण में भारती पवार, राव साहेब दानवे और नारायण राणे की कुर्सी भी जा सकती है। महाराष्ट्र में शिंदे गुट से राहुल सेवाले और कृपाल तुमाने की कैबिनेट में एंट्री हो तो आश्चर्य नहीं।
कर्नाटक के 6 मंत्री कैबिनेट में हैं इनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी का नाम प्रमुख है। कर्नाटक से 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदजाले के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा है। कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद से ही बीजेपी नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाई। मोदी कैबिनेट में कर्नाटक के साथ-साथ तेलंगाना और तमिलनाडु की भी भागीदारी बढ़ सकती है। तेलंगाना से एक और तमिलनाडु से 2 मंत्री बनाए जा सकते हैं। तमिलनाडु में सहयोगी एआईएडीएमके को एक मंत्री पद दिया जा सकता है। एआईएडीएमके कोटे से एम थंबीदुरई मंत्री बनाए जा सकते हैं। जबकि, तेलंगाना से मंत्री बनने की रेस में सोयम बापू राव और धर्मपुरी अरविंद का नाम रेस में सबसे आगे है।

गोयल-प्रधान को संगठन में जाएंगे
पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान के बारे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि दोनों को संगठन में भेजा जा सकता है। गोयल के पास खाद्य एवं आपूर्ति और प्रधान के पास शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है। पीयूष गोयल को अगर हटाया जाता है, तो उन्हें राजस्थान बीजेपी का प्रभार दिया जा सकता है। गोयल पिछले दिनों कई बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं। अगर धर्मेंद्र प्रधान की छुट्टी होती है, तो उन्हें यूपी बीजेपी का प्रभारी बनाया जा सकता है। 2022 के चुनाव में प्रधान यूपी के चुनाव प्रभारी थे।