“MSP” यानि “मास्टर स्ट्रोक ऑफ प्राइम मिनिस्टर…किसान ही तय करेंगे ‘Best Player’

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MSP

केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि MSP में खासी बढ़ोतरी कर एक बार फिर साबित करने की कोशिश की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों के हित में काम करने वाली सरकार है। खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में मोदी सरकार लगातार काम कर रही थी, कर रही है और करती रहेगी। तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में धरने पर बैठे किसान भ्रमित थे, भ्रमित हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान हितैषी फैसले लेकर किसानों की आंखों के सामने से भ्रम का पर्दा उठाकर ही रहेंगे।कोशिश जारी रहेगी और किसान ही अपने मतों के जरिए मोदी को राजनीति में एक बार फिर Best Player “बेस्ट प्लेयर” साबित करेंगे। इसका फैसला भी जल्दी ही होगा, जब अगली साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में होने वाले चुनाव परिणाम सामने होंगे और सेमीफाइनल के यह परिणाम फाइनल जीतने वाली टीम का संकेत देंगे। कहा जाता है कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला उत्तर प्रदेश से होता है। और उत्तर प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला किसान करते हैं और पंजाब सहित अन्य राज्यों में भी किसानों की अहम भूमिका है। ऐसे में MSP में बढ़ोतरी को ” मास्टर स्ट्रोक ऑफ प्राइम मिनिस्टर ” के रूप मेें देखा जा सकता है। जो सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को समर्थन देने वाली कांग्रेस के लिए खुली चुनौती है कि वह साबित करे कि किस आधार पर सरकार के इस फैसले को किसान विरोधी ठहराएगी? और किसानों की सहानुभूति बटोरकर उनके मतों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस के पास अब क्या बचा है? कृषि कानूनों के विरोध में जो दावा किया जा रहा था कि सरकार एमएसपी खत्म करने की साजिश रच रही है, क्या इस मास्टर स्ट्रोक से वह झूठा साबित नहीं होगा? असल परिणाम तो पंजाब का होगा, जहां यह भी साबित होना है कि कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों के साथ वास्तव में राज्य के कितने किसान हैं और मास्टर स्ट्रोक वहां कितना असरदार साबित होता है जबकि भाजपा के लिए यह राज्य ज्यादा उम्मीदों वाला नहीं बचा है।

MSP की वृद्धि पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। एमएसपी में बढ़ोतरी को किसानों को तोहफा बताते हुए उन्होंने दावा किया है कि मसूर, चना, सरसों जो मध्यप्रदेश की मुख्य फसलें हैं, उनमें जिस प्रकार से वृद्धि हुई है उससे मध्यप्रदेश के किसानों को व्यापक लाभ मिलेगा। कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने सवाल किया कि जो लोग बार-बार कह रहे थे कि एमएसपी खत्म हो रही है, झूठ बोलने वाले कांग्रेस के लोग अब जबाव दें। प्रधानमंत्री ने कहा था MSP थी..MSP है…MSP रहेगी। MSP पर वृद्धि कर Prime Minister ने जो कहा था, करके दिखा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार लगातार किसानों के हित में काम कर रही है। केंद्र सरकार का यह निर्णय उन लोगों को करारा जवाब है, जो सिर्फ अपनी राजनीति के लिए कृषि कानूनों के संबंध में भ्रम फैला रहे हैं।नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों की आय को दोगुना करने और उन्हें उनकी उपज का लाभदायक मूल्य प्रदान कराने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इसके लिए केंद्र सरकार लगातार कदम उठा रही है, जिनके परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं।

केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के समर्थन मूल्य में 40 रुपये, जौ के समर्थन मूल्य में 35 रुपये, चने में 130 रुपये, मसूर और सरसों में 400 रुपये तथा कुसुम के फूल के समर्थन मूल्य में 114 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। रबी की जिन फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है, उनमें से अधिकांश का उत्पादन मध्यप्रदेश के किसान भी करते हैं और मोदी सरकार के इस निर्णय का लाभ उन्हें भी रबी सीजन में मिलेगा। और यह वही समय रहेगा, जब पांच राज्यों के चुनाव की फसल पककर कटने को तैयार होगी। गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त होगा। वहीं, उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मई तक चलेगा। ऐसे में “एमएसपी” यहां चुनाव प्रचार में भी असर दिखाएगी और परिणामों में भी इसकी झलक दिखेगी। निश्चित तौर से मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक ने भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को संजीवनी दी है तो भाजपा संगठन को भी यह ताकत दी है कि वह कार्यकर्ताओं के जरिए किसानों के सामने यह दावा करें कि देश में किसान हितैषी सिर्फ भाजपा है, बाकी कोई राजनैतिक दल नहीं। जिस तरह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने देश और प्रदेश के किसानों को समर्थन मूल्य बढ़ने पर बधाई देते हुए उनसे आह्वान किया कि वे उन लोगों को बेनकाब करें, जो किसान हितैषी होने का ढोंग करके किसानों को भड़का रहे हैं, उनका नुकसान कर रहे हैं। वैसे तो अभी कई स्ट्रोक बाकी होंगे जो “मोदी-शाह पॉलिटिक्स” (एमएसपी) को कारगर साबित करने के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों को कड़ी चुनौतियों से गुजरने पर मजबूर करेंगे। फिलहाल तो इस “मास्टर स्ट्रोक ऑफ प्राइम मिनिस्टर” की खिलाफत का दम किसमें है,यह देखने के लिए भाजपा बेसब्री से इंतजार कर ही रही होगी। और कांग्रेस भी इसकी काट ढूढ़ने में व्यस्त होगी।