उन्हें ‘नफरत’ नजर आती है ‘मोहब्बत’ इनकी…

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उन्हें ‘नफरत’ नजर आती है ‘मोहब्बत’ इनकी…

बात विकास की हो या विनाश की, बात मोहब्बत की हो या नफरत की, बात सच्चाई की हो या झूठ की… राजनीति के चश्मे में विरोधी ही गलत और कटघरे में खड़ा नजर आता है। यह बात और है कि फिर मतदाता अपनी मोहब्बत और नफरत का इजहार कर अंतिम फैसला सुना देता है। पर राजनीति के चश्मों पर तो यही पंक्ति सटीक बैठती है कि “इन्हें नफरत ही नजर आती है, मोहब्बत उनकी…”। यह सार्वत्रिक ‌सत्य है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश में जो कहा, उसका विश्लेषण भी इस नजरिए से किया जाएगा।
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मोदी ने मध्यप्रदेश में कहा कि भगवान श्री राम ने उनको  जीवन भर प्रेरणा दी, उनके आखरी शब्द बने हैं राम। जिस सनातन ने उन्हें अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए प्रेरित किया। यानि कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन्हें इंडिया गठबंधन भी मोहब्बत करता है। मोदी ने कटाक्ष किया कि “ये इंडी गठबंधन के लोग, ये घमंडिया गठबंधन के लोग, उस सनातन परंपरा को समाप्त करना चाहते हैं, जिस सनातन से प्रेरित होकर स्वामी विवेकानंद ने समाज की विभिन्न बुराइयों के प्रति लोगों को जागरूक किया। इंडी गठबंधन के लोग उस सनातन को समाप्त करना चाहते हैं।” बात को आगे बढ़ाया कि जिस सनातन से प्रेरित होकर लोकमान्य तिलक ने माँ भारती की स्वतंत्रता का बीड़ा उठाया, गणेश पूजा को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा, सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा बनाई, आज उसी सनातन को ये इंडी गठबंधन तहस-नहस करना चाहता है। मोदी ने बात को आगे बढ़ाया कि साथियों ये सनातन की ताकत थी कि स्वतंत्रता आंदोलन में फांसी पाने वाले वीर कहते थे कि अगला जन्म मुझे फिर ये भारत माँ की गोद में देना।
फिर ताना मारा कि “कुछ ऐसे दल भी है जो देश को, समाज को विभाजित करने में जुटे हैं। इन्होंने मिल करके एक इंडी एलायंस बनाया है। इस इंडी एलायंस को कुछ लोग घमंडिया गठबंधन भी कहते हैं।” मोदी ने बात आगे बढ़ाई कि इनका नेता तय नहीं हैं। नेतृत्व में भ्रम है। लेकिन मुंबई में जो इनकी मीटिंग हुई थी। मुझे लगता है कि उस मीटिंग में उन्होंने आगे एक घमंडियां गठबंधन कैसे काम करेगा.. उसकी नीति और रणनीति भी बना दी है।उन्होंने अपना एक इंडी एजेंडा भी तय कर लिया है और यह नीति रणनीति क्या है..।यह इंडी एलाइंस की नीति है, ये घमंडी गठबंधन की नीति है कि भारत की संस्कृति पर हमला करने की। इंडी एलाइंस का निर्णय है कि भारतीयों की आस्था पर हमला करो। इंडी एलाइंस घमंडिया गठबंधन की नियत है कि भारत को जिन विचारों, संस्कारों और जिन परंपराओं ने हजारों वर्षों से जोड़ा है, उसे तबाह कर दो। जिस सनातन से प्रेरित होकर देवी अहिल्याबाई होल्कर ने देश के कोने-कोने में सामाजिक कार्य किया। नारी उत्थान का अभियान चलाया। देश की आस्था की रक्षा की। ये घमंडियां गठबंधन, ये एलायंस उस सनातन संस्कारों और परंपराओं को समाप्त करने का संकल्प लेकर आई है। तो फिर बात वही नजरिया की, कि नफरत को नफरत के नजरिए से देखा जा रहा है या फिर नफरत और मोहब्बत में नजरिया ही घालमेल कर रहा है। यह बात जनता भी सब जानती है और मतदाता भी सब समझता है।
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खैर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्यप्रदेश में शिवराज और उनकी टीम की तारीफ वाकई मायने रखती है। मोदी ने कहा कि “हमारे यहां मध्यप्रदेश में भी भोपाल, इंदौर और खजुराहो में भी जी-20 की बैठकें हुईं और उसमें शामिल हो करके जो लोग गए ना, वो आपके गुणगान कर रहे हैं, आपके गीत गा रहे हैं । संस्कृति, पर्यटन, कृषि और औद्योगिक सामर्थ को दुनिया के सामने लाए हैं, इससे पूरे विश्व में मध्यप्रदेश की भी नई छवि निखरकर आई है। मैं शिवराज जी और उनकी पूरी टीम की भी जी-20 का सफल आयोजन सुनिश्चित करने के लिए प्रशंसा करूंगा।” इस बात में मोदी का नजरिया प्रेम भरा है तो विरोधी चश्मे वाले इसमें नफरत ढूंढ़ने में लगे रहते हैं।
खैर लोकतंत्र में नफरत और मोहब्बत का यह खेल हमेशा से चलता रहा है और अनंत काल तक चलता रहेगा। नफरत और मोहब्बत का यह नजरिया लोकतांत्रिक देश अमेरिका से लेकर हर छोटे-बड़े भौगोलिक क्षेत्र से घिरे लोकतांत्रिक और गैर लोकतांत्रिक देशों में पहले से ही व्याप्त था, व्याप्त है और व्याप्त रहेगा। पर ‘नफरत’ तो ‘नफरत’ ही है, यह मोहब्बत की जगह कभी नहीं ले सकेगी। पर यह बात भी सच है कि राष्ट्र के प्रति मोहब्बत रखने वालों की देश और समाज में विशेष जगह है। और मतदाता की पैनी नजर लोकतंत्र पर भी है और लोकतंत्र के उन सशक्त चेहरों पर भी, जो जनप्रतिनिधि बनने मतदाताओं का दरवाजा खटखटाते हैं। यह बात हर देश और हर चुनाव पर लागू होती रही है और होती रहेगी…। पर दक्षिण भारत से विवादों में घिरा सनातन अब इंडिया बनाम एनडीए युद्ध में दिखता रहेगा। स्वामी रामभद्राचार्य ने तो सिवनी में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में ही कह दिया कि मध्य प्रदेश में चुनाव शिवराज और कमलनाथ नहीं लड़ रहे हैं। भाजपा कांग्रेस नहीं लड़ रही है। चुनाव सनातन धर्म और अधर्म लड़ रहे हैं। देखना है जीत किसकी होती है।
पर बात फिर वही कि
उन्हें ‘नफरत’ नजर आती है ‘मोहब्बत’ इनकी…
यह वक्त ही बताएगा क्या है राय बहुमत की…!