Even 10% Women do Not Contest Assembly Election: पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा 255 महिलाओं ने अजमाया था भाग्य

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Even 10% Women do Not Contest Assembly Election: पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा 255 महिलाओं ने अजमाया था भाग्य

भोपाल: लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिये जाने का बिल लोकसभा में पारित होने के बाद यह आस जागी है कि प्रदेश में होने वाले इस विधानसभा चुनाव में बिना यह आरक्षण लागू हुए महिलाओं के चुनाव लड़ने की संख्या बढ़ेगी। प्रदेश में महिला विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ने से बचती है। महिलाओं का विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर प्रदेश के हाल ऐसे हैं कि पिछले आठ चुनाव में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि पुरुष उम्मीदवारों के मुकाबले में महिला उम्मीदवारों की संख्या दस फीसदी भी रही हो। इस दौरान पिछले 8 चुनावों में उम्मीदवार बनी महिलाओं का आंकड़ा डेढ़ हजार भी पार नहीं कर सका।

प्रदेश में पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं का विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर रुझान कम ही रहा है। राजनीतिक दल भी पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं को टिकट दिए जाने में उतनी तवज्जो नहीं देते हैं। नतीजे में प्रदेश विधानसभा में 14 प्रतिशत से ज्यादा महिला विधायकों की संख्या ही नहीं हो पाती है।

प्रदेश की विधानसभा में अभी महिला विधायकों की संख्या महज 21 है।

यह रही पिछले कुछ चुनावों की स्थिति

प्रदेश में पिछले कुछ चुनावों में महिला उम्मीदवारों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है, लेकिन उतनी ही तेजी से पुरुषों उम्मीदवारों की भी संख्या बढ़ गई। पिछले विधानसभा चुनाव में 255 महिलाओं ने भाग्य अजमाया था। जबकि पुरुष उम्मीदवारों की संख्या दो हजार 644 थी। प्रतिशत के अनुसार सबसे ज्यादा महिलाओं ने चुनाव वर्ष 2003 में लड़ा था। उस वक्त प्रदेश में कुल उम्मीदवारों की संख्या दो हजार 171 थी, जिसमें से 199 महिलाएं और 1972 पुरुषों ने चुनाव लड़ा था। यह अब तक के सबसे ज्यादा 9.17 प्रतिशत था। इसके बाद पिछले चुनाव में पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं का चुनाव लड़ने का प्रतिशत 8.8 रहा।

 

*किस चुनाव में कितनी महिलाएं लड़ी चुनाव* 

प्रदेश में 1998 तक के चुनाव में 320 विधानसभा सीटे होती थी। वर्ष 1985 में कुल 2450 उम्मीदवार मैदान में उतरे, इनमें से सिर्फ 76 महिलाओं ने चुनाव लड़ा। यह पुरुष उम्मीदवारों के मुकाबले में 3.0 प्रतिशत था। इसके बाद वर्ष 1990 में कुल उम्मीदवारों की संख्या 4 हजार 216 हुई, महिला उम्मीदवारों की भी संख्या बढ़कर 150 हुई, यहां पर महिला उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने का प्रतिशत बढ़कर 3.56 हुआ। वर्ष 1993 में हुए चुनाव में कुल 3 हजार 729 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे, इनमें से 164 महिलाएं थी। उनका प्रतिशत बढ़कर 4.4 हुआ। वर्ष 1998 में कुल दो हजार 510 उम्मीदवार चुनाव लड़े, इनमें से महिला उम्मीदवारों की संख्या 181 हुई, महिलाओं के चुनाव लड़ने का प्रतिशत पहली बार 7.21 हुआ। वर्ष 2003 के चुनाव में प्रदेश में विधानसभा की सीटें कम होकर 230 हो गई। इन 230 सीटों पर कुल 2171 उम्मीदवार बने। इनमें से महिलाओं की संख्या 199 रही। यह पुरुषों के मुकाबले में 8.17 प्रतिशत रहा। वर्ष 2008 में हुए चुनाव में 3 हजार 179 लोगों ने चुनाव लड़ा, इसमें से 221 महिलाएं थी। यहां पर उनका प्रतिशत कम होकर 6.95 पर आ गया। इसके बाद वर्ष 2013 के चुनाव में 2583 लोगों ने चुनाव लड़ा, जबकि दो सौ महिलाएं भी उम्मीदवार बनी, प्रतिशत बढ़कर 7.74 हुआ। संख्या के अनुसार पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा महिलाएं उम्मीदवार बनी। वर्ष 2018 में 255 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था।

2013 से कम हुई 2018 में सदन में पहुंचने की संख्या

महिलाओं के विधानसभा में पहुंचने की संख्या वर्ष 2013 में लगभग 14 प्रतिशत थी। जबकि इस विधानसभा में उनकी संख्या 10 प्रतिशत भी नहीं हैं। वर्ष 2013 में प्रदेश की विधानसभा में 32 महिला विधायक थी। जिसमें से 24 भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती थी। जबकि दो बसपा के टिकट पर चुनाव जीती थी और 6 कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधानसभा के अंदर पहुंची थी। इस बार प्रदेश विधानसभा में इनकी संख्या 21 है। इसमें से 14 भाजपा से विधायक हैं। एक बसपा से विधायक हैं और 6 कांग्रेस की विधायक हैं।