मालवा की लोक परम्पराओं पर केन्द्रित संस्था का अनूठा प्रयास-डॉ.दवे
रतलाम : मालवा की लोककला,लोकसाहित्य और मालवा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को हमें सहेज कर रखना होगा।इन परम्पराओं को सहेजने का कार्य कर रही हैं हमारी मालवी बोली।इसलिए हमें हमारी मातृभाषा मालवी को महत्त्व देना होगा,हमें परस्पर वार्ता और बोलचाल में भी मालवी भाषा का उपयोग करना होगा।उक्त विचार राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति रतलाम (मालवा) द्वारा आयोजित “म्हारो मालवा” नाम से आयोजित समारोह में डॉ विकास दवे (निदेशक- साहित्य अकादमी भोपाल) ने मुख्य अतिथि के रुप में व्यक्त किए।
राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति रतलाम (मालवा) द्वारा गत दिवस मालवा की समृद्ध लोक परम्पराओं को “म्हारो मालवा” नाम से एक समारोह का आरंभ किया गया,जिसके तहत यह प्रथम आयोजन था।इस अवसर पर विशेष अतिथि के रुप में राजेन्द्र सिंह लुनेरा (भाजपा जिलाध्यक्ष रतलाम),डॉ लीना कुलथिया (राजनीति विज्ञान विभाग अध्यक्ष टीकमगढ़),कलाविद डॉ ऋतम उपाध्याय एवं श्री आशीष नाटानी (इतिहास संकलन समिति मालवा प्रांत उज्जैन) थे।समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मुरलीधर चांदनीवाला ने की।
समारोह के आरंभ में अतिथियों द्वारा भारत माता एवं मां वीणावादिनी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात संस्था अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह पंवार (गढ़ी भैंसोला) ने अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण देते हुए समारोह की महत्ता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर कलाविद एवं चिंतक डॉ. खुश्बू जांगलवा द्वारा लिखी गई पुस्तक “क्रांति और आध्यात्मिक क्रांति के प्रणेता महायोगी श्री अरविन्द” का अतिथियों के करकमलों से विमोचन हुआ। डॉ खुश्बू जांगलवा ने अपने वक्तव्य में पुस्तक की भूमिका प्रस्तुत की।
समारोह में विशेष अतिथि के रुप में डॉ.ऋतम उपाध्याय ने श्री अरविन्द के दिव्य व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी शिक्षा और ज्ञान को वर्तमान परिस्थितियों में विश्व कल्याण के लिए अति आवश्यक बताया।डॉ उपाध्याय ने मालवी बोली की समृद्धता की ओर संकेत करते हुए बताया कि हमारी मालवी में गतागम (गत और आगम) जैसे संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग भी बखूबी होता है।
डॉ लीना कुलथिया ने अपने वक्तव्य में डॉ खूश्बू जांगलवा की पुस्तक की विवेचना प्रस्तुत करते हुए महत्वपूर्ण और पठनीय कृति बताया।
विशेष अतिथि के रुप भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह लुनेरा ने कहा कि मालवी में मिठास है और अपनत्व की बोली है।मालवा की बोली और यहां की संस्कृति हमें जोड़कर रखती है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने समारोह की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्था ने यह आयोजन करके मालवा की संस्कृति को जीवित रखने के लिए रतलाम से एक अनूठी शुरुआत की है,इसके लिए नि:संदेह संस्था धन्यवाद की पात्र हैं। डॉ चांदनीवाला ने मालवी बोली की समृद्धता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि उच्चारण की दृष्टि इसका स्वरूप और लहजा विविधताओं से युक्त हैं,कुछ किलोमीटर के फासले पर बदल जाता है।जो मालवी रतलाम में बोली जाती हैं वह मंदसौर,नीमच,धार,उज्जैन और इंदौर में कुछ-कुछ बदल जाती है।यही हमारी मालवी बोली की खूबसूरती है।हमें अपनों की बीच अपनी भाषा में ही बातचीत करना चाहिए ताकि हमारे संस्कार जीवित रह सके।
*अलंकरण प्रदान किया*
साहित्य और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ विकास दवे का संस्था द्वारा “चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य अलंकरण” से सम्मानित किया गया।अलंकरण के तहत स्मृति चिन्ह एवं सम्मान पत्र प्रदान किया गया।सम्मान पत्र का वाचन वरिष्ठ व्याख्याता डॉ मुनीन्द्र दुबे ने किया।
भारतीय सेना में रहकर 19 वर्षों तक मां भारती की अमूल्य सेवा करने वाले सेवानिवृत्त सैनिक श्री राघवेन्द्रसिंह पंवार का स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया।
इस अवसर पर स्व. ठाकुर साहब मोहनसिंह जी सरवन द्वारा लगभग 100 वर्ष पूर्व भगवत् गीता का मालवी में अनुवाद की गई पुस्तक उनके प्रपोत्र कुंवर भवानी प्रताप सिंह राठौर ने अतिथियों को भेंट की।
*इनकी रही मौजूदगी*
समारोह में श्रमजीवी पत्रकार संघ के वरिष्ठ प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष शरद जोशी,डॉ अभय पाठक,डॉ शिवमंगलसिंह सुमन शोध संस्थान की निदेशिका डॉ शोभना तिवारी,वरिष्ठ साहित्यकार आशीष दशोत्तर, पाठक मंच की प्रमुख श्रीमती रश्मि पंडित,प्रकाश हेमावत,श्रीमती वैदेही कोठारी,आनंद जांगलवा, पार्षद शक्ति बना, साहित्यकार हरिशंकर भटनागर,सुभाष यादव, महावीर वर्मा,डॉ मोहन परमार,देवेन्द्र वाघेला फिल्म और मूर्तिकला से जुड़े ओमप्रकाश त्रिवेदी,गीतकार यशपाल सिंह तंवर,श्रीमती नूतन मजावदिया,सुश्री रक्षा के कुमार सहित बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
समारोह में संस्था के संग्रामसिंह राठौर,श्रीमती उमा पंवार,दिलीप सिंह बेरछा,भूपेन्द्र सिंह नरेड़ी, दीपेन्द्रसिंह राठौर,दिलीप सिंह राजावत आदि ने अतिथियों का सम्मान शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर किया।कार्यक्रम का संचालन मालवी में धीरेन्द्र सिंह सरवन ने तथा आभार समारोह संयोजक सतीश जोशी (नगरा) ने व्यक्त किया।