कानून और न्याय:उच्च न्यायालयों के लिए हाइब्रिड सुनवाई आवश्यक

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कानून और न्याय:उच्च न्यायालयों के लिए हाइब्रिड सुनवाई आवश्यक! 

सर्वोच्च न्यायालय ने अभी-अभी 6 अक्टूबर को सभी उच्च न्यायालयों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अभिभाषक संघों (बार) द्वारा किसी भी सदस्य को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग सुविधाओं या हाइब्रिड सुविधा के माध्यम से सुनवाई तक पहुंचने से वंचित न किया जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी उच्च न्यायालयों को अपने आदेश का पालन करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। यह पहली बार नहीं है, जब मुख्य न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ द्वारा इस बात को कहा गया है इससे पहले भी वे इस बात को कई बार कह चुके हैं कि न्यायपालिका को टैक्नोलाॅजी को अपनाने की सख्त जरूरत है एवं न्याय प्रणाली को लोगों की बेहतर पहुंच में लाने में यह तकनीक कारगर है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वर्चुअल सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के उन मुख्य न्यायाधीशों के प्रति अपनी पीड़ा व्यक्त की, जिन्होंने वर्चुअल सुनवाई के लिए बुनियादी ढांचे को खत्म करना शुरू कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश सदैव से न्यायपालिका में तकनीक के उपयोग के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने में वर्चुअल सुनवाई के महत्व पर जोर दिया है। मुख्य न्यायाधिपति ने इस आदेश में अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश तकनीक के अनुकूल हो या न हो, इस तरह आप सार्वजनिक धन के साथ व्यवहार नहीं कर सकते हैं। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आधारभूत संरचना उपलब्ध हो।

मुख्य न्यायाधिपति ने रेखांकित किया कि न्यायाधीश यह कहकर वकीलों की फिजिकल उपस्थिति पर जोर नहीं दे सकते कि वे अदालत में आ रहे हैं। दूसरा दृष्टिकोण यह भी है कि हम जज यहां आते हैं तो वकीलों को वर्चुअल रूप से क्यों पेश होना चाहिए। जजों के आने की स्थिति वकीलों के सामने आने वाली स्थितियों से बहुत अलग है। एक चीफ जस्टिस तकनीक को समझता है या नहीं, लेकिन वे इसे लागू करने के लिए वे कर्तव्यबद्ध है। कुछ न्यायाधिकरण भी इस व्यवस्था को नहीं मान रहे हैं।

न्यायालय ने उच्च न्यायालयों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उच्च न्यायालयों में पेश होने वाले सभी वकीलों और पक्षकारों को वाईफाई सहित पर्याप्त इंटरनेट सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाएं। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपलब्ध लिंक संबंधित अदालत की काज लिस्ट में उपलब्ध कराई जानी चाहिए। वर्चुअल मोड के माध्यम से पेश होने के लिए अलग से आवेदन करने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। न्यायालय ने सभी उच्च न्यायालयों को चार सप्ताह के भीतर हाइब्रिड/वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई तक पहुंच प्राप्त करने के लिए पक्षकारों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू करने का भी निर्देश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्वी राज्यों में कम इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी चिंता व्यक्त की। यह इन राज्यों में उच्च न्यायालयों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं प्रदान करने से रोक रही है। इसलिए न्यायालय ने केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऑनलाइन सुनवाई तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उत्तर पूर्व की सभी अदालतों में इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कई उच्च न्यायालयों द्वारा हाइब्रिड प्रणाली समाप्त करने पर नाराजगी भी व्यक्त की।

मुख्य न्यायाधिपति ने सुनवाई के दौरान कई उच्च न्यायालयों पर निराशा व्यक्त की। ये उच्च न्यायालय भारत संघ द्वारा इसके लिए धन आवंटित किए जाने के बावजूद वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस कार्य के लिए सात लाख करोड़ रूपये भेजे हैं। लेकिन, यह कहते हुए दुख हो रहा है कि कुछ उच्च न्यायालय तकनीक के प्रति उदासीन हैं। मैं मुख्य न्यायाधीशों पर जोर दे रहा हूं कि वे इस तकनीक का उपयोग न्यायहित में करें। प्रत्येक उच्च न्यायालय को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए।

मुख्य न्यायाधिपति ने कहा कि जजों के पास तकनीक को अपनाकर आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सवाल यह नहीं कि कोई विशेष न्यायाधीश तकनीकी अनुकूल है या नहीं। यदि आप जज बनना चाहते हैं, तो आपको टेक फ्रेंडली होना होगा। यह ऐसा है जैसे कोई न्यायाधीश यह नहीं कह सकता कि मुझे नहीं पता कि न्यायिक व्यवस्था क्या है ? प्रणाली में प्रत्येक न्यायाधीश को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने प्रौद्योगिकी के प्रति उदासीन होने के लिए कुछ उच्च न्यायालयों के लिए कहा कि उन्हें इसका उपयोग बेहतर न्याय प्रणाली बनाने के लिए किया जाए। मुख्य न्यायाधिपति की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूरी तरह से अपना बुनियादी ढांचा बंद कर दिया। उन्होंने बाॅम्बे उच्च न्यायालय द्वारा अपने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग बुनियादी ढांचे को खत्म करने पर भी निराशा व्यक्त की। बाॅम्बे उच्च न्यायालय ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग ढांचे को क्यों भंग कर दिया गया! मुंबई जैसे शहर में यात्रा करना भी कितना कठिन है। टेक्नोलाॅजी पसंद का विषय नहीं है। टेक्नोलाॅजी हमारी कानूनी प्रणाली का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जितना कि कानून की किताबें। टेक्नोलाॅजी के बिना हम कैसे कार्य करेंगे?

मुख्य न्यायाधिपति ने कहा केरल और उड़ीसा जैसे राज्य टेक्नोलाॅजी को अपनाने में अन्य उच्च न्यायालयों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि टेक्नोलाॅजी के मामले में केरल बेहतर उच्च न्यायालय में से एक है। यह न्यायाधीशों द्वारा ली जाने वाली रूचि से संबंधित भी है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा, जस्टिस मुरलीधर द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों का लाभ उठा रहा है। लेकिन, यह काम अभी भी आगे जारी रखना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि न्यायाधिकरणों को हाइब्रिड सुनवाई की भी अनुमति देनी चाहिए। न्यायालय ने देशभर के न्यायाधिकरणों में वर्चुअल सुनवाई सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली। एडिशनल साॅलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडी आरसी) हाइब्रिड सुनवाई कर रहा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) दिल्ली और इसकी क्षेत्रीय पीठों में हाइब्रिड सुनवाई कर रहा है। हालांकि, यह बताया गया कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को कुछ अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। तद्नुसार न्यायालय ने निर्देश दिया कि काॅपार्रेट वित्त मंत्रालय की एक बैठक अगले सप्ताह राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के अध्यक्ष के साथ आयोजित की जाए। इसी तरह की बैठक दो सप्ताह की अवधि के भीतर एनसीएलटी अध्यक्ष के साथ आयोजित की जाए।

मुख्य न्यायाधिपति ने कहा कि हमारा मिशन लोगों तक पहुंचना है। जो वकील अंग्रेजी नहीं समझ सकते हैं, हम उनके लिए निर्णयों का अनुवाद करेंगे और तकनीक ऐसा कर भी रही है। आईआईटी मद्रास हमारी मदद कर रहा है। हम इसका उपयोग मशीनी अनुवाद के लिए कर रहे हैं। हम इस मिशन के लिए सबकी सहायता चाहते हैं। यहां तक कि अगर आपके पास प्रौद्योगिकी तक पहुंच नहीं है तो भी आप दौड़ से बाहर नहीं होंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि एनसीएलटी और एनसीएलएटी यह सुनिश्चित करेंगे कि पक्षकारों के विकल्प पर हाइब्रिड सुनवाई 4 सप्ताह से पहले न हो सके, इसके लिए सभी कदम उठाए जाएं। सर्वोच्च न्यायालय सर्वेश माथुर द्वारा प्रस्तुत एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा हाइब्रिड सुनवाई विकल्पों को समाप्त करने के खिलाफ दायर की गई थी। कुछ उच्च न्यायालय तथा न्यायाधिकरण अपने आचरण से मानो यह कह रहे है कि टेक्नोलॉजी केवल महामारी के लिए थी। टेक्नोलॉजी केवल महामारी के लिए नहीं थी। यह भविष्य के लिए यहीं रहने के लिए है। हम एक आदेश बनाएंगे और पारित करेंगे।